LIC Front Running Case: गिरते शेयरों के बीच फ्रंटरनिंग मामला सामने आने पर कंपनी ने दी सफाई
सेबी ने LIC के एक कर्मचारी के फ्रंट रनिंग प्रैक्टिस में शामिल होने की पुष्टि की थी. इसके साथ कुल पांच लोगों को सिक्योरिटी मार्केट से बैन किया था.
मार्केट रेगुलेटर SEBI की ओर से सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी LIC (Life Insurance Corporation) के एक कर्मचारी को सिक्योरिटी मार्केट से बैन किए जाने की खबर का खुलासा होने के बाद कंपनी की ओर स्पष्टीकरण जारी किया गया है. दरअसल, सेबी ने LIC के एक कर्मचारी (LIC Employee) के फ्रंट रनिंग प्रैक्टिस में शामिल होने की पुष्टि की थी. इसके साथ कुल पांच लोगों को सिक्योरिटी मार्केट से बैन किया था. फ्रंट रनिंग (what is frontrunning) से मतलब ऐसे प्रैक्टिस से होता है जिसमें कोई भी शख्स किसी ऐसे ट्रेड, डील या समझौते की जानकारी, जोकि पब्लिक में जारी नहीं है, का फायदा उठाने के लिए शेयरों की खरीद-बिक्री करता है. ये खबर तब आई है जब LIC के शेयरों में (LIC share price) में पिछले कई दिनों से गिरावट आ रही है. मंगलवार को इसमें लगभग 3% की गिरावट आई थी और ये अपने 52 हफ्तों की ऊंचाई से सीधे 25% गिर चुका है.
LIC ने क्या सफाई दी?
कंपनी ने इसपर सफाई जारी करते हुए कहा कि फ्रंट रनिंग के एक पुराने मामले को लेकर मीडिया में खबरें छपी हैं. ये पुराना मामला है, हमने किसी भी तरह के फ्रंट रनिंग पर रोक लगाने के लिए मजबूत सिस्टम लागू कर दिया है. डीलिंग रूम में सुरक्षा बनी रहे, इसके लिए बायोमीट्रिक से एंट्री, सीसीटीवी फुटेज, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर रोक लगाने जैसे कदम उठाए गए हैं.
कर्मचारी के खिलाफ लिया गया एक्शन
LIC ने ये भी बताया गया है कि संबंधित कर्मचारी के खिलाफ पहले ही एक्शन लिया जा चुका है. कंपनी ने बताया कि कर्मचारी के खिलाफ प्रशासनीय कार्यवाही के बाद डिसिप्लिनरी अथॉरिटी (disciplinary authority) की ओर से निगम की सेवाओं से हटा दिया गया है. बीमा कंपनी ने कहा कि "LIC हमेशा से नियमों का पालन करने में आगे रहने वाली संस्था रही है और हम आगे भी कॉरपोरेट गवर्नेंस के सभी मामलों को मजबूत करते रहेंगे."
क्या है पूरा मामला? (LIC Front Running Case)
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सेबी ने अप्रैल, 2023 में पांच इकाईयों को सिक्योरिटी मार्केट से बैन किया था और इनकी ओर से अवैध तरीकों से कमाए गए 2.44 करोड़ रुपये को जब्त किया था. इन पांच लोगों में से एलआईसी का एक कर्मचारी भी शामिल था. अभी इस मामले की आगे जांच होनी है. सेबी ने अपने आदेश में कहा कि 27 अप्रैल, 2023 को दिए गए अंतरिम आदेश में योगेश गर्ग, सरिता गर्ग, कमलेश अग्रवाल, वेद प्रकाश HUF और सरिता गर्ग HUF पर सिक्योरिटी मार्केट में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष खरीद-बिक्री पर रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी. इसमें कहा गया है कि अंतरिम आदेश में प्राथमिक आरोप हैं कि आरोपी ने बड़े क्लाइंट को फायदा पहुंचाने के लिए फ्रंटरनिंग की और इससे PFUTP (Prohibition of Fraudulent and Unfair Trade Practices) नियमों का उल्लंघन हुआ है.
सेबी के आदेश के मुताबिक, योगेश गर्ग अभी भी LIC के साथ जुड़ा हुआ है. बीमा कंपनी ने बताया है कि उसने योगेश गर्ग को इन्वेस्टमेंट डिपार्टमेंट से से हटाकर किसी दूसरे विभाग में ट्रांसफर कर दिया था. सेबी ने पाया कि गर्ग एलआईसी में डीलर था और उसके पास एलआईसी के किसी पेंडिंग ऑर्डर की नॉन-पब्लिक जानकारी थी, जिसको लेकर उसने इन्फॉर्मेशन कैरियर का काम किया. उसने किसी स्वर्गीय वेद प्रकाश गर्ग के अकाउंट का इस्तेमाल इस इन्फॉर्मेशन के आधार पर ट्रेड के लिए किया. बाकी चारों एंटिटी की या उनके अकाउंट की भी फ्रंटरनिंग में लिप्तता पाई गई है. आरोप है कि उन्होंने इससे 244.09 लाख कमाए.
क्या है LIC के शेयरों का हाल?
आज बुधवार को कंपनी के शेयर (LIC Share price) 7.25 अंक या 0.82% की गिरावट लेकर 872.30 रुपये प्रति शेयर पर चल रहा था. इसमें पिछले चार दिनों से गिरावट चल रही है. मंगलवार को शेयर बीएसई पर 2.77 प्रतिशत गिरकर 879.50 रुपये पर बंद हुआ. दिन में कारोबार के दौरान यह 3.15 प्रतिशत टूटकर 876.05 रुपये पर आ गया था. एनएसई पर यह 2.71 प्रतिशत गिरकर 879.85 रुपये पर आ गया था.
तीन दिन में बीएसई में कंपनी का शेयर 8.27 प्रतिशत टूटा है. कंपनी का शेयर अपने 52-सप्ताह के उच्चस्तर 1,175 रुपये से 25.14 प्रतिशत नीचे आया है. देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी मई, 2022 में लिस्ट हुई थी. सरकार ने IPO (LIC IPO) के माध्यम से एलआईसी में 22.13 करोड़ से अधिक शेयर या 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी. कंपनी में सरकार की 96.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
12:53 PM IST