H3N2 vs Covid-19: क्या कोविड की तरह इंफ्लुएंज़ा वायरल की आएगी बड़ी लहर? क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
H3N2 vs Covid-19: कुछ लोगों को आशंका है कि यह कहीं कोविड की तरह एक और संक्रमण नहीं हो, लेकिन पल्मोनोलॉजिस्ट अनुराग अग्रवाल ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इसकी कोई बड़ी लहर आएगी.
H3N2 vs Covid-19: भारत में सीजनल इंफ्लूएंजा के Subtype H3N2 से दो मरीजों की मौत की पुष्टि के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि इस वायरस से बचाव के लिए सतर्कता बढ़ाने और एहतियाती कदम उठाने की जरूरत है. भारत में इस वायरस से दो लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, उनमें से एक मरीज कर्नाटक और दूसरा मरीज हरियाणा का था. कर्नाटक में हीरे गौड़ा (82) नाम के व्यक्ति की H3N2 Virus से 1 मार्च को मौत हो गई. वह डायबिटीज़ से पीड़ित थे और हाई ब्लडप्रेशर की भी समस्या थी. इसके अलावा हरियाणा में 56 वर्षीय एक कैंसर मरीज की H3N2 वायरस से मौत होने की पुष्टि हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को साझा किये गये आंकड़ों के अनुसार, 2 जनवरी से 5 मार्च तक देश में H3N2 के 451 मामले सामने आये हैं. मंत्रालय ने कहा कि वह स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है और माह के अंत से मामले घटने की उम्मीद है.
क्या हैं H3N2 के लक्षण (H3N2 Symptoms)
अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, H3N2 एक ऐसा इंफ्लूएंजा वायरस है जो आमतौर पर सूअरों से मनुष्यों में फैलता है. इसके लक्षण मौसमी फ्लू वायरस के समान होते हैं. इसमें बुखार और खांसी एवं बलगम समेत श्वसन संबंधी समस्या के लक्षण दिखाई देते है. इसके अलावा कुछ मरीजों को शरीर में दर्द, मतली, उल्टी या दस्त सहित अन्य समस्याएं भी होती हैं.
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क्या कोविड-19 की तरह आएगी इंफ्लुएंज़ा संक्रमण की लहर? (H3N2 vs Covid-19)
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कुछ लोगों को आशंका है कि यह कहीं कोविड की तरह एक और संक्रमण नहीं हो, लेकिन पल्मोनोलॉजिस्ट अनुराग अग्रवाल ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इसकी कोई बड़ी लहर आएगी. ‘अपोलो हॉस्पिटल’ के इंटरनल मेडिसिन विभाग में वरिष्ठ सलाहकार तरुण साहनी ने कहा, ‘‘अस्पताल में भर्ती होना बहुत आम नहीं है और केवल पांच प्रतिशत मरीजों के ही अस्पताल में भर्ती होने की सूचना मिली है.’’ साहनी ने कहा कि अभी घबराने की आवश्यकता नहीं है और कोविड के समय की तरह की सावधानी बरतने की जरूरत है.
‘इंडियन नेशनल यंग एकेडमी ऑफ साइंस’ (आईएनवाईएएस) की पूर्व छात्र और ‘ग्लोबल यंग एकेडमी’ (जीवाईए) की सदस्य उपासना रे ने कहा कि लॉकडाउन और लंबे टाइम के लिए मास्क के व्यापक इस्तेमाल ने वायरस के अधिक खतरनाक सबटाइप के संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद की, लेकिन इसने नियमित रूप से होने वाले श्वसन संबंधी मौसमी वायरस संक्रमण से भी सुरक्षा प्रदान की, जबकि ये संक्रमण रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं. वाइरोलॉजिस्ट रे ने कहा कि कम से कम दो साल तक मास्क के व्यापक उपयोग के कारण लोगों में श्वसन संबंधी समस्या से जुड़े वायरस के अन्य स्वरूपों के खिलाफ भी रोग प्रतिरोधी क्षमता खत्म हो गई.
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बड़ी लहर तो नहीं, लेकिन मौत चिंता का कारण हैं
अशोका विश्वविद्यालय में त्रिवेणी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेस के डीन अनुराग अग्रवाल ने कहा, ‘‘लोगों में फ्लू के खिलाफ आम तौर पर रोग प्रतिरोधी क्षमता होती है और इसके टीके भी उपलब्ध है, इसलिए मुझे किसी बड़ी लहर की आशंका नहीं है, लेकिन हां, सभी संक्रमण और उनसे होने वाली मौत कुछ चिंता का कारण तो हैं.’’ IDSP-IHIP (इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉरमेशन प्लेटफॉर्म) पर उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार, नौ मार्च तक इंफ्लूएंजा (H3N2 Influenza) के विभिन्न स्वरूपों के 3,038 मामले सामने आये हैं, जिनमें H3N2 के मामले भी शामिल हैं. इन आंकड़ों में, जनवरी के 1,245, फरवरी के 1,307 और नौ मार्च तक सामने आये 486 मामले शामिल हैं.
(भाषा से इनपुट)
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