Budget 2024: बजट में सामाजिक योजनाओं पर खर्च की गुंजाइश बरकरार, टैक्स कलेक्शन में उछाल से मिली उम्मीद
Budget 2024 Latest Update: आयकर और जीएसटी मासिक संग्रह बढ़ने से सरकार अंतरिम बजट में राजकोषीय सूझबूझ पर चलते हुए भी किसानों और सामाजिक योजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित करने की स्थिति में रहेगी.
Budget 2024 Latest Update: अगले महीने यानी फरवरी में मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी अंतरिम बजट पेश करेगी. इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पिटारे से कई ऐलान निकल सकते हैं. बजट से पहले कई संस्थाएं सरकार के सामने अपनी मांग और उम्मीदों को रख रहे हैं. इसी सिलसिले में आयकर और जीएसटी मासिक संग्रह बढ़ने से सरकार अंतरिम बजट में राजकोषीय सूझबूझ पर चलते हुए भी किसानों और सामाजिक योजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित करने की स्थिति में रहेगी. सूत्रों ने यह अनुमान जताया है. सरकार आम चुनाव में जाने के पहले एक फरवरी को अपना अंतरिम बजट पेश करेगी. ऐसे में इस बजट में समाज के गरीब वर्गों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है.
इनकम और कॉरपोरेट टैक्स में उछाल
सूत्रों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में आय और कॉरपोरेट कर संग्रह में उछाल दिख रहा है. इससे कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान से लगभग एक लाख करोड़ रुपये अधिक रह सकता है. सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रत्यक्ष करों से 18.23 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बजट लक्ष्य रखा था.
जीएसटी कलेक्शन के भी ज्यादा होने की उम्मीद
इस मद में 10 जनवरी, 2024 तक कर संग्रह 14.70 लाख करोड़ रुपये हो चुका था, जो बजट अनुमान का 81 प्रतिशत है. अभी वित्त वर्ष पूरा होने में लगभग ढाई महीने का वक्त बाकी है. वहीं जीएसटी के मोर्चे पर केंद्रीय जीएसटी राजस्व 8.1 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से लगभग 10,000 करोड़ रुपये अधिक होने की उम्मीद है.
उत्पाद और सीमा शुल्क संग्रह भी बढ़ेगा
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हालांकि उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क संग्रह में करीब 49,000 करोड़ रुपये की कमी की आशंका है. केंद्र का सकल कर राजस्व 33.6 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से 60,000 करोड़ रुपये अधिक होने की उम्मीद है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अपनी बजट आकलन रिपोर्ट में कहा था कि अगले वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर एवं जीएसटी संग्रह के कारण सकल कर राजस्व 11 प्रतिशत बढ़ेगा लेकिन उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क संग्रह में वृद्धि कम रह सकती है.
इक्रा रेटिंग्स के मुताबिक वर्तमान मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 9.5 प्रतिशत वृद्धि के पूर्वानुमान के साथ वित्त वर्ष 2024-25 में कर उछाल 1.2 रह सकती है. चालू वित्त वर्ष में इसके 1.4 रहने का अनुमान है. कर संग्रह बढ़ने से सरकार राजकोषीय सशक्तिकरण मार्ग से हटे बगैर मनरेगा, ग्रामीण सड़क, पीएम किसान सम्मान निधि और पीएम विश्वकर्मा योजना जैसी सामाजिक योजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित कर पाने की स्थिति में रहेगी.
2025-26 तक राजकोषीय घाटा 4.5% तक लाने का टारगेट
चालू वित्त वर्ष में सरकारी प्राप्तियों और व्यय के बीच का अंतर यानी राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. राजकोषीय घाटे को 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया है. डेलॉयट इंडिया में साझेदार संजय कुमार ने कहा कि फिलहाल सरकार के पास कुछ निश्चित राजकोषीय गुंजाइश है और वे अंतरिम बजट में उसे खर्च करना चाहेंगे.
कुमार ने कहा, ''2024-25 के अंतरिम बजट में बुनियादी ढांचे, महिला केंद्रित योजनाओं के लिए आवंटन बढ़ने की उम्मीद है. चालू वर्ष के लिए सरकार के बजट का आकार 40 लाख करोड़ रुपये था और अगले वित्त वर्ष में इसके 10 प्रतिशत बढ़कर 43-44 लाख करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है.
05:37 PM IST