Budget 2025 से एसोचैम को क्या हैं उम्मीदें? MSME के लिए क्रेडिट फ्लो बढ़ाने समते की ये मांग
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (Assocham) ने सोमवार को कहा कि माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) को और सशक्त बनाने और व्यापार में आसानी के लिए इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर टाउनशिप और यूनिवर्सिटी बनाने की जरूरत है.
केंद्रीय बजट की तैयारियां लगातार चल रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ अलग-अलग संस्थाओं की बैठकें जारी हैं. ये बैठक 30 दिसंबर तक होनी हैं. बजट को अलग-अलग संस्थाओं के साथ बैठक में वित्त मंत्री के सामने अपनी मांगें रखी जा रही हैं. संस्थाएं बजट से अपनी उम्मीदों की फेहरिस्त को वित्त मंत्री के सामने पेश कर रहे हैं. इन्हीं उम्मीदों, मांग और सुझाव के बीच देश की अगला बजट तैयार किया जाएगा. इसी सिलसिले में एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (Assocham) ने सोमवार को कहा कि माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) को और सशक्त बनाने और व्यापार में आसानी के लिए इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर टाउनशिप और यूनिवर्सिटी बनाने की जरूरत है. ताकि स्किल डेवलपमेंट और एंटरप्रेन्योरशिप ट्रेनिंग को प्रमोट किया जा सके.
Assocham ने रखी ये मांगें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ अपनी बजट पूर्व बैठक में व्यापार चैंबर ने निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई उपायों की मांग की. चैंबर ने एमएसएमई और न्यू एज बिजनेस जैसे डाटा सेंटर, डाटा होस्टिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग के लिए अनुमानित कराधान के दायरे को बढ़ाने की मांग की. एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर के अनुसार, इससे पूर्व निर्धारित आधार पर आय की गणना कर ऐसे करदाताओं के हाथों में अनुपालन को सरल बनाने में मदद मिलेगी, जिससे कर विवाद और मुकदमेबाजी को लेकर कमी आएगी.
नायर ने कहा कि ये व्यवसायों को एडवांस में कर देयता को जानते हुए जटिल ऑडिट/बुककीपिंग से बचने में सक्षम बनाता है, जिससे व्यवसायों को बेहतर वित्तीय योजना और प्रबंधन करने में मदद मिलती है. उन्होंने देश भर में एमएसएमई (पुराने औद्योगिक एस्टेट विकास कार्यक्रम का संशोधित संस्करण) के लिए इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर टाउनशिप डेवलप करने की जरूरत पर जोर दिया.
टाउनशिप में होंगे ये कार्यक्रम
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इन टाउनशिप में कॉमन टेस्टिंग और रिसर्च एंड डेवलपमेंट सुविधा केंद्र, वित्तीय संस्थान, कॉमन सर्विस प्रोवाइडर, श्रमिकों के लिए आवास, स्कूल, अस्पताल, श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण केंद्र और निर्यात सहायता केंद्र आदि शामिल हो सकते हैं.
कोलेटरल फ्री लोन की नीति के बावजूद, एमएसएमई को अभी भी ऋण प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. बैंक अक्सर पर्सनल प्रॉपर्टी कोलेटरल की मांग करते हैं. इसके अलावा, बैंकों द्वारा उच्च ब्याज दर भी वसूली जाती है, जिससे ऋण तक पहुंच में बाधा आती है.
क्रेडिट फ्लो बढ़ाने की मांग
नायर ने कहा कि बैंकों के लिए समय-समय पर दिए गए कोलेटरल फ्री लोन की संख्या और राशि का खुलासा करना अनिवार्य किया जाना चाहिए. आगामी बजट में एमएसएमई को क्रेडिट फ्लो बढ़ाने के लिए अतिरिक्त आवंटन या शुद्ध प्रावधान किया गया है. यह ठीक उसी तरह हो सकता है जैसे कोरोना के दौरान माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) शुरू किया गया था, जो एमएसएमई के विकास को गति देने में अहम साबित हुआ.
04:01 PM IST