Chhath Puja 2022: छठी मइया के इन गीतों के बिना अधूरा है यह पर्व, लोकगीतों में बसती है व्रती महिलाओं की आस्था
Chhath Puja Geet: छठ गीतों का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना पुराना यह पर्व. छठ कर्मकांड, शास्त्र और मंत्र विहीन पर्व है. इसलिए बिना छठी मैया के गीत के आप इसे सोच भी नहीं सकते हैं. छठी मइया के गीतों की यात्रा और अहमियत समझने के लिए हमने भोजपुरी लोकगीतों की दो बेहद पॉपुलर गायिकाओं से बात की.
(Source: IANS)
(Source: IANS)
Chhath Puja Geet: छठ पूजा (Chhath Puja 2022) आते ही हर किसी की जुबान पर छठी मइया के गीत आने लगते हैं. घाट से लेकर घर-घर में चार दिनों तक महिलाएं छठ के इन गीतों को गाते हुए सारी रस्मों को निभाती जाती हैं. आस्था के इस महापर्व में छठ के लोकगीत प्राणरस की तरह होते हैं. ये सिर्फ गीत नहीं बल्कि इस पूजा में शास्त्र और मंत्र की भूमिका भी निभाते हैं. छठ पूजा करने वाले इन गीतों के बिना इसकी कल्पना तक नहीं कर सकते हैं . इस साल 28 अक्टूबर से महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है और यह 31 अक्टूबर तक चलने वाली है. चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार में व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. इसमें हर दिन का अपना खास महत्व है. इस पूरी अवधि में व्रती महिलाएं छठी मइया को प्रसन्न करने के लिए छठ के गीत और भजन गाती हैं. आइए जानते हैं कैसे ये गीत छठ व्रत के साथ मिलकर इस पूजा को संपूर्ण करते हैं.
कितना पुराना है छठ के गीतों का इतिहास
भोजपुरी की मशहूर गायिका चंदन तिवारी (Chandan Tiwari) बताती हैं कि छठ गीतों का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना पुराना यह पर्व. उन्होंने कहा कि छठ कर्मकांड,शास्त्र और मंत्र विहीन पर्व है. इसलिए बिना छठी मैया के गीत के आप इसे सोच भी नहीं सकते हैं. घर-घर में महिलाएं इस पर्व की रस्मों को करते समय अपनी स्थानीय भाषा में लोकगीत गाती रही हैं. यह सामान्य महिलाओं के गायन की विधा रही है. आज भी सबसे ज्यादा मनभावन छठ गीत व्रती महिलाएं ही गाती है. हालांकि अगर गायकों की भूमिका की बात करें तो विंध्यवासिनी देवी का नाम सबसे ऊपर आएगा, जिन्होंने छठ के लोकगीतों को एक फलक दिया. इसके बाद शारदा सिन्हा के लोकगीत भी काफी ज्यादा सुने जाते रहे हैं. आज भी कई सारे कलाकार हर साल छठी मैया के कई सारे नई गीत लेकर आते हैं.
इन लोकगीतों में ही समाई है आस्था
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मशहूर लोक गीत गायिका कल्पना पटवारी (Kalpana Patowary) भी बताती हैं कि चूंकि महिलाएं इन गीतों को अपने सारे रस्मों के दौरान गाती रहती हैं, तो इन गीतों में पूजा से जुड़ी सारी आस्था घुली रहती है. चार दिन के इस त्योहार में हर दिन का अपना खास महत्व होता है और हर रस्म से कोई न कोई भावना जुड़ी रहती है. ऐसे में छठी मईया के गीतों में इन्ही सारी रस्मों- जैसे सुबह-शाम की अर्घ्य, खरना आदि रस्मों को गाया जाता है. लोग इन गीतों को पूरी आस्था के साथ गाते हैं. समाज में समय के साथ बहुत सारे परिवर्तन आते रहे हैं लेकिन इन गीतों के ही जरिए छठ महापर्व से जुड़ी सारी आस्थाओं को आगे बढ़ाया जाता है.
छठ के गीत सिर्फ लोकगीत नहीं मंत्र हैं
छठी मैया के जिन गीतों को महिलाएं गाती हुई आई हैं उनमें से ज्यादातर की जो धुन है वह आमतौर पर समान पाई जाती है. कल्पना बताती है कि यह गीत छठ महापर्व में मंत्रों की भूमिका निभाते हैं. इसी तरह जैसे वैदिक मंत्रों को एक ही शैली, सुर और तरीके से पढ़ा जाता है. उसी तरह से इन गीतों को भी गाने की यही शैली होती है. जिस कारण ज्यादातर गीत एक ही धुन में सुनाई देते हैं. हालांकि समय के हिसाब से कई सारे प्रयास इसे अलग-अलग धुनों में भी गाया जाता रहा है.
वहीं चंदन भी कहती है कि छठ के पारंपरिक धुन ही करीब दर्जन भर है और इन गीतों का निरंतर विस्तार हो रहा है. हर साल छठ में दर्जनों नए गीत आते हैं. बिहार,झारखंड और पूर्वी उत्तरप्रदेश के लगभग लोक गायक कलाकार छठ में गीत गाते हैं. यह एक अच्छी बात है, क्योंकि छठ बिहार,झारखंड,पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए पहचान का पर्व है. लेकिन यह विस्तार धीरे धीरे बनाव, बदलाव के नाम पर बिगड़ाव के रास्ते भी चल रहा है. अभी कम दिख रहा है, जल्द ही ज्यादा दिखेगा.
मूल भावना से न हो छेड़छाड़
चंदन का मानना है कि छठ गीतों को समकालीन बनाने की बहुत जरूरत नहीं. क्योंकि छठ के गीत दूसरी विधाओं के लोकगीत की तरह सिर्फ गीत नहीं होते बल्कि छठ के पर्व के आधार होते हैं. छठ के पर्व में छठ के गीत ही शास्त्र और मंत्र, दोनों भूमिका में होते हैं. क्या किसी पूजा पाठ के मंत्र में आप छेड़ छाड़ कर सकते हैं. बिल्कुल हर कलाकार हर साल नये गीत गायें लेकिन छठ के मूल गीतों के करीब ही गीतों को रहने दे.
छठ के गीतों को देखने पर मालूम चलेगा कि मोटे तौर पर इसमें सौ तत्व होते हैं. सृष्टि,प्रकृति के तत्व. जगत कल्याण, परिवार कल्याण, स्वास्थ्य, धन—संतान आदि की बात.छठ गीतों के धुनों को भी देखें दो दर्जन भर धुन ही लोकप्रिय रहे हैं आम जनमानस में. लोक परंपरा में. इन धुनों को रखकर, इन तत्वों को रखकर अनेक गीत रचे जाये हर साल,यह अच्छा ही होगा. लेकिन अब छठ के गीतों में भी समकालीन विषय को लाया जाता है. समकालीन विषयों को लोकगीत में लाने के लिए अनेक विधाएं हैं. कजरी में लाइये, फाग में लाइये. ऐसी अनेक विधाएं तो हैं पहले से जिसमें समकालीन विषय आते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जनगीत गाइये. पर, छठ के गीतों को छोड़ दीजिए. आप इसे समकालनीता से जोड़ेंगे तो दूसरे गायक इसे ढोढ़ी के धुन से जोड़कर गायेंगे. इस साल ऐसा हुआ भी है. फिर आप कहेंगे कि अरे ढोढ़ी पर छठ गीत गा रहा है, ऐसा गाया जाता है क्या? तो उनका जवाब होगा कि आप जो समकालीन विषय पर गा रहे हैं तो क्या जाता है क्या? छठ के गीतों को हमेशा शास्त्र और मंत्र की दृष्टि से देखें. श्रद्धा और आदर की भावना से. क्योंकि इन गीतों पर पर्व आगे बढ़ता है, चलता है, पीढ़ियों से मनाया जाता है.
इन्हीं भाषाओं में ही गाए जाते हैं छठी मैया के गीत
चंदन बताती है कि छठ के गीतों के बारे में यह जान लेना चाहिए कि यह जब भी होंगे तो तीन ही भाषा में होंगे. भोजपुरी, मगही, मैथिली में या इनकी उपभाषाओं में, क्योंकि मूल रूप से यह पर्व बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ इलाके का है. जिन इलाकों का पर्व है, उन इलाके की भाषाएं यही हैं. छठ के गीत को अप हिंदी में नहीं गा सकते. यह लोक पर्व है, इसलिए लोक भाषा में ही अराधान की परंपरा रही है. इसलिए छठ गीत जब से गाये जाते हैं, इन भाषाओं में ही गाये जाते हैं, आगे भी गाये जाएंगे. हां, अब कोई किसी भाषा में गाये और उसे विस्तार कहे, प्रयोग कहे तो वह बनावटीपन ही होगा. हर राज्य या इलाके के ऐसे लोक पर्व को देखें, वहां की भाषा में ही गाये जाते हैं. झारखंड में सरहुल या कर्मा में वहीं की भाषा में गीत चलते हैं. असम के बिहू में के वहीं की भाषा में गीत चलते हैं. बंगाल में बांग्ला भाषा में ही गीत चलते हैं. दशकों पहले छठ के कुछ गीतों हिंदी में गाने—लाने की कोशिश हुई थी पर वे गीत चले नहीं. कोई सुना ही नहीं. कहीं बजा ही नहीं. यह चल भी नहीं सकता.
छठ पूजा गीत - कांच ही बांस के बहंगिया
कांच ही बांस के बहंगिया,
कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए
होए ना बलम जी कहरिया ,
बहंगी घाटे पहुंचाए,
बहंगी घाटे पहुंचाए
कांच ही बांस के बहंगिया ,
बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए
बाट जे पूछे ना बटोहिया ,
बहंगी केकरा के जाय,
बहंगी केकरा के जाय,
तू तो आंध्र होवे रे बटोहिया ,
बहंगी छठ मैया के जाए,
बहंगी छठ मैया के जाए,
वह रे जे बाड़ी छठी मैया ,
बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए,
कांच ही बांस के बहंगिया
बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए
होए ना देवर जी कहरिया ,
बहंगी घाटे पहुंचाई,
बहंगी घाटे पहुंचाई
वह रे जो बाड़ी छठी मैया
बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए
बाटे जे पूछे ना बटोहिया
बहंगी केकरा के जाय,
बहंगी केकरा के जाय
तू तो आन्हर होय रे बटोहिया
बहंगी छठ मैया के जाए,
बहंगी छठ मैया के जाए
वह रे जय भइली छठी मैया ,
बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए.
08:33 PM IST