सोशल मीडिया पर छाया President Of Bharat लिखा G-20 डिनर कार्ड, क्या है माजरा, जानें कहां से आया भारत और इंडिया शब्द?
हमारे देश को इंडिया, भारत और हिंदुस्तान जैसे तमाम नामों से जाना जाता है, ऐसे में निमंत्रण कार्ड पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिख देना क्या गैर संवैधानिक है? आइए आपको बताते हैं कि कहां से आए भारत, इंडिया और हिंदुस्तान जैसे शब्द?
Image Source- X Social Media Platform
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इन दिनों दिल्ली में G-20 समिट की तैयारियां काफी जोर-शोर से चल रही हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जी-20 डिनर कार्ड की काफी चर्चा है. दरअसल 9 से 10 सितंबर में जी-20 सम्मेलन भारत में होने जा रहा है. इस बीच 9 सितंबर को होने वाले G20 के डिनर के लिए राष्ट्रपति भवन की ओर से निमंत्रण पत्र भेजा गया है. इस पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा हुआ है.
ये इन्विटेशन कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और इसको लेकर एक नई बहस छिड़ गई है. हमारे देश को इंडिया, भारत और हिंदुस्तान जैसे तमाम नामों से जाना जाता है, ऐसे में सवाल ये है कि निमंत्रण कार्ड पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिख देना क्या गैर संवैधानिक है? आइए आपको बताते हैं कि कहां से आए भारत, इंडिया और हिंदुस्तान जैसे शब्द?
पहले बात भारत की
अगर भारत की बात करें तो इस नाम से हमारे देश को पुकारे जाने का जिक्र पौराणिक काल से देखने को मिलता है. पौराणिक मान्यताओं के आधार पर देखें तो भारत नाम राजा दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत के नाम पर रखा गया है, जो एक चक्रवर्ती राजा थे. वहीं मत्स्यपुराण में मनु को प्रजा को जन्म देने वाले और उनका भरण-पोषण करने के कारण भरत कहा गया है.जिस क्षेत्र पर मनु का राज था उसे भारतवर्ष कहा गया. वहीं यजुर्वेद में बताया गया है कि किसी भी पूजा को करने से पहले संकल्प लेना जरूरी है. इसके लिए एक मंत्र भी है. इस मंत्र में एक जगह 'जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे' आता है. जैन धर्म में कहा जाता है कि भगवान ऋषभदेव के बड़े बेटे महायोगी भरत के नाम पर इस देश को भारत कहा गया. इन सबको देखते हुए ये कहा जा सकता है कि हमारे देश को प्राचीन समय से भारत के नाम से पुकारा जाता रहा है.
हिंदुस्तान नाम को लेकर क्या है कहानी
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हिंदुस्तान के नाम का इतिहास भी करीब 2500 साल पुराना बताया जाता है. कहा जाता है कि बाहर से आने वाले लोग 'स' को 'ह' बोलते थे इसलिए सिंध बन गया हिंद. हिंद के कारण इस सभ्यता से जुड़े लोगों को हिंदू कहा जाने लगा और जिस स्थान पर वो रहा करते थे, उसे हिंदुस्तान कहा जाने लगा.
इंडिया नाम कैसे पड़ा
भारत को इंडिया कहे जाने का संबन्ध सिंधु नदी से है. दरअसल सिन्धु नदी को ग्रीक भाषा में इंडस नाम से जाना जाता था. इंडस शब्द लैटिन भाषा का शब्द है. यूनानी शासक सिकंदर ने जब भारत पर आक्रमण किया, तब इसकी पहचान 'इंडिया' के तौर पर हो गई थी. भारत की सिंधु घाटी की सभ्यता को यूनान के लोग इंडो या इंडस घाटी की सभ्यता कहा करते थे. इसी के चलते हिंदुस्तान को इंडिया कहा जाने लगा. इतिहासकारों का कहना है कि 16वीं शताब्दी तक हिंदुस्तान और भारत नाम सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाते थे. जब अंग्रेज आए तो उन्होंने सरकारी दस्तावेजों से लेकर पत्राचार में हिंदुस्तान या भारत के बजाय इंडिया नाम का इस्तेमाल शुरू कर दिया. तब से लेकर आज तक भारत को इंडिया ही कहा जा रहा है.
संविधान में भारत और इंडिया दोनों नाम
अब बात आती है कि इंडिया को भारत लिखने में इतना बवाल क्यों, जबकि हमारे संविधान में भारत और इंडिया दोनों नामों को स्वीकृति दी गई है. इस बात का जिक्र हमारे देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी एएनआई से बातचीत के दौरान किया है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि 'इंडिया मतलब भारत - यह संविधान में है. मैं हर किसी को अपने संविधान को पढ़ने के लिए आमंत्रित करना चाहूंगा.'
#WATCH | EAM Dr S Jaishankar speaks on the row over invitation cards to the G20 Summit, mentioning 'Bharat', India/Bharat debate
— ANI (@ANI) September 6, 2023
"India, that is Bharat - it is there in the Constitution. I would invite everybody to read it...When you say Bharat, in a sense, a meaning and an… pic.twitter.com/5tg6QTK86c
दरअसल संविधान सभा की बहस के दौरान 17 सितंबर 1949 को 'संघ का नाम और क्षेत्र' खंड चर्चा के लिए पेश हुआ. जैसे ही अनुच्छेद 1 को पढ़ा गया- 'इंडिया, जो भारत है राज्यों का एक संघ होगा'. संविधान सभा में इसे लेकर मतभेद आने लगे. अंबेडकर कमेटी के उस मसौदे पर आपत्ति जताई गई जिसमें देश के दो नाम इंडिया और भारत दोनों का जिक्र था.इसको लेकर एक संशोधन प्रस्ताव रखा गया जिसमें वेदों, महाभारत और कुछ पुराणों का जिक्र करते हुए बताया गया कि भारत इस देश का मूल नाम है.
ज्यादातर लोगों का मानना था कि अब देश के आजाद होने के बाद प्राथमिक रूप से भारत का नाम आना चाहिए, न कि इंडिया का. लेकिन कमेटी ने संशोधन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और भारत और इंडिया, दोनों ही नाम संविधान में पारित हो गए. ऐसे में देखा जाए तो अगर देश के राष्ट्रपति ने इंडिया की जगह भारत लिख दिया तो वो गलत या असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता. भारत की जगह अगर हिंदुस्तान या कुछ और लिखा होता तो शायद सवाल उठाना लाजमी होता.
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09:43 AM IST