सबसे बड़े खतरे में दुनिया- हवा में घुला जहर! इंसानी इतिहास के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा कार्बन डाईऑक्साइड (Co2)
NOAA के मौना लोवा ऑब्जर्वेटरी ने वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) का पता लगाया और पाया कि मई के महीने में कार्बन डाईऑक्साइड औसतन 424.0 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) रही. मई 2022 की तुलना में ये 3.0 पीपीएम ज्यादा है.
सबसे बड़े खतरे में दुनिया- हवा में घुला जहर! इंसानी इतिहास के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा कार्बन डाईऑक्साइड (Co2)
सबसे बड़े खतरे में दुनिया- हवा में घुला जहर! इंसानी इतिहास के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा कार्बन डाईऑक्साइड (Co2)
National Oceanic and Atmospheric Administration (NOAA) के अनुसार वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Dioxide-CO2) रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. NOAA के मौना लोवा ऑब्जर्वेटरी (Mauna Loa Observatory) ने वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) का पता लगाया और पाया कि मई के महीने में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) औसतन 424.0 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) रही. मई 2022 की तुलना में ये 3.0 पीपीएम ज्यादा है और एनओएए के रिकॉर्ड में कीलिंग कर्व के शिखर में चौथी सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि है. इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया है कि औद्योगिक युग की शुरुआत से अब तक कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर 50% से ज्यादा हो गया है.
पर्यावरण पर असर
रिपोर्ट के मुताबिक धरती पर कार्बन डाईऑक्साइड के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण इंसानी करतूत है. इसके कारण वातावरण में गर्मी बढ़ती है, जिसके कारण जलवायु परिवर्तन होता है और हीट वेव, सूखा, बाढ़, जंगल में आग और तूफान जैसी आपदाएं सामने आती हैं. इसके अलावा CO2 का बढ़ता स्तर दुनिया के महासागरों के लिए भी खतरा पैदा करता है, जो CO2 गैस और वातावरण से अतिरिक्त गर्मी दोनों को अवशोषित करता है.
क्या है मौना लोवा ऑब्जर्वेटरी
मौना लोवा ऑब्जर्वेटरी पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले वातावरण में तत्वों को मापने का काम करता है. ये 1950 के दशक से पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बनडाई ऑक्साइड की निगरानी कर रहा है. मौना लोवा ऑब्जर्वेटरी उन तत्वों को भी मापते हैं जो ओजोन परत को ख़राब कर सकते हैं.
CO2 सेहत को कैसे पहुंचाती है नुकसान
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इस मामले में हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. रमाकान्त शर्मा का कहना है कि हम सभी जानते हैं कि सांस लेने की क्रिया के दौरान व्यक्ति ऑक्सीजन लेता है और कार्बन डाइ ऑक्साइड को छोड़ता है. शरीर के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड गैस हानिकारक होती है. इसके कारण व्यक्ति के सबसे पहले फेफड़ों पर असर पड़ता है और उसे सांस लेने में दिक्कत होती है. ऑक्सीजन की कमी से व्यक्ति को चक्कर, भारीपन, सिर दर्द, हार्ट और ब्रेन से जुड़ी समस्याएं और बेहोशी की स्थिति भी पैदा हो सकती है.
क्या है कार्बन डाईऑक्साइड
कार्बन डाईऑक्साइड एक रंगहीन और गन्धहीन गैस है जो पृथ्वी पर जीवन के लिए जरूरी मानी जाती है. ये प्राकृतिक रूप से धरती पर पाई जाती है. वायुमण्डल में ये गैस आयतन के हिसाब से लगभग 0.03 प्रतिशत होती है. इसे ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों को तो ये पृथ्वी तक आने देती है, लेकिन पृथ्वी की गर्मी को वापस अंतरिक्ष में जाने में ये रुकावट पैदा करती है. इसलिए जब कार्बनडाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, तो ये जीवों के लिए कई तरह के मुश्किल हालात पैदा करने लगती है.
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01:31 PM IST