Kidbea: 3 बैकबेंचर्स को आया बांस से कपड़े बनाने का आइडिया, एक 'ग्राहक' के दिल को छू गए प्रोडक्ट, खरीद ली कंपनी में हिस्सेदारी
आज के वक्त में आप बहुत सारे ऐसे स्टार्टअप (Startup) के बारे में सुनते होंगे, जो बच्चों के कपड़े बनाते हैं. एक ऐसा ही स्टार्टअप है Kidbea, जो बच्चों के फैशन से जुड़े कपड़े बनाता है. इस स्टार्टअप की खास बात ये है कि इसके सारे कपड़े बांस के फैब्रिक से बने होते हैं.
आज के वक्त में आप बहुत सारे ऐसे स्टार्टअप (Startup) के बारे में सुनते होंगे, जो बच्चों के कपड़े बनाते हैं. एक ऐसा ही स्टार्टअप है Kidbea, जो बच्चों के फैशन से जुड़े कपड़े बनाता है. इस स्टार्टअप की खास बात ये है कि इसके सारे कपड़े बांस के फैब्रिक से बने होते हैं. यूपी के नोएडा में स्थित इस स्टार्टअप की शुरुआत जनवरी 2021 में हुई थी. इसे स्वप्निल श्रीवास्तव, मोहम्मद हुसैन और अमन कुमार महतो ने शुरू किया था. यह कंपनी ना सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बच्चों के फैशन प्रोडक्ट्स बेचती है, बल्कि बच्चों के प्रीमियम अस्पतालों में इसके 30 से भी अधिक स्टोर हैं.
कंपनी ने अपनी मौजूदगी यूएई, बहरैन और ऑस्ट्रेलिया तक बढ़ाने में कामयाबी हासिल कर ली है. कंपनी के पास 250 से भी अधिक प्रोडक्ट हैं, जिनमें रोम्पर, बॉडीशूट, कपड़े के डायपर, सॉफ्ट टॉय और कई अन्य चीजें हैं. यह ब्रांड बांस से बने प्रोडक्ट्स पर फोकस करता है. वित्त वर्ष 2023 में कंपनी ने 8 गुना रेवेन्यू ग्रोथ हासिल की थी. पिछले साल कंपनी का रेवेन्यू करीब 8 करोड़ रुपये था, जो इस साल 25 करोड़ रुपये रह सकता है. वहीं अगले साल तक कंपनी 50-60 करोड़ रुपये का रेवेन्यू टारगेट कर रही है. कंपनी का विजन है कि वह 2025 तक 100 करोड़ रुपये का टर्नओवर हासिल कर ले.
तीन बैकबेंचर्स ने कैसे शुरू किया ये बिजनेस?
इस स्टार्टअप की शुरुआत करने वाले तीनों दोस्त बैकबेंचर्स हुआ करते थे और अभी उनकी उम्र 26-27 साल के करीब है. यह उनका पहला स्टार्टअप नहीं है. इससे पहले उन्होंने कॉलेज टाइम में ही 2018 में एक बिजनेस शुरू किया था, जिसके तहत वह टीशर्ट कस्टमाइज कर के कॉलेज के बच्चों को दिया करते थे. उस छोटे से बिजनेस से तीनों दोस्त अपनी पॉकेट मनी निकाला करते थे. हुसैन बताते हैं कि तीनों ही पढ़ने में एवरेज स्टूडेंट थे, जो बस जैसे-तैसे पास हो जाया करते थे. अपने पुराने दिन याद करते हुए हुसैन बताते हैं कि शुरुआती दिनों में संघर्ष इतना ज्यादा था कि कई बार ठीक से खाने-पीने के पैसे भी नहीं होते थे. घरवालों से भी मदद नहीं ले सकते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि बच्चे कहीं काम कर रहे हैं.
12-15 लाख का पैकेज ठुकराया
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2019 में कॉलेज खत्म करने के बाद उन्होंने जॉब करने की सोची और सभी को करीब 12-15 लाख का पैकेज मिल भी गया. हालांकि, तीनों दोस्तों ने तय किया कि कुछ अपना करते हैं और ये सोच कर जॉब का ऑफर ठुकरा दिया. उसके बाद उन्होंने अपनी पॉकेट मनी से ही एक ऐप बनाया, जो वुमेन सेफ्टी के लिए था. वह एक खास तरह की ड्रेस थी, जिससे मुसीबत के वक्त मदद हासिल की जा सकती थी. हालांकि, हुसैन कहते हैं कि वह आइडिया भारतीय मार्केट के हिसाब से थोड़ा जल्दी था, इसलिए वह चला नहीं. वहीं कुछ ही समय बाद कोविड भी आ गया और उन्हें अपना बिजनेस बंद करना पड़ा.
बैंबू फैब्रिक से कपड़े बनाने का बिजनेस किया शुरू
उसके बाद तीनों दोस्तों ने काफी मार्केट रिसर्च किया और देखा कि बैंबू फैब्रिक से भी कपड़े बनते हैं, जो प्रीमियम सेगमेंट में आ रहे हैं. उन्होंने सबसे पहले साउथ कोरिया से कुछ सैंपल मंगाए और तमाम बच्चों की माओं को भेजकर टेस्ट किया. सभी से यही फीडबैक मिला कि इससे सॉफ्ट प्रोडक्ट उन्होंने नहीं देखा. रिसर्च से उन्हें यह भी पता चला कि विदेश में इस तरह का बिजनेस करने वाली कई कंपनियां हैं. इसके बाद तीनों दोस्तों ने तय कर लिया कि ये बिजनेस किया जाएगा, जिसके बाद उन्होंने तिरुपुर में प्रोडक्ट बनवाने शुरू कर दिए.
थर्ड पार्टी से करवाते हैं मैन्युफैक्चरिंग
इन कपड़ों को बनाने में जो फैब्रिक इस्तेमाल होता है, वह बांस से बनता है. Kidbea में यह फैब्रिक थर्ड पार्टी से लिया जाता है. बता दें कि बांस से फैब्रिक बनाना आसान काम नहीं है, बल्कि ऐसा करने में ही 50-60 दिन का वक्त लग जाता है. ऐसे में फाउंडर्स ने तय किया कि वह इस फैब्रिक को थर्ड पार्टी से लेंगे. यहां तक कि वह मैन्युफैक्चरिंग भी पार्टनरशिप के जरिए करवाते हैं. इसमें तीनों दोस्त मुख्य रूप से मार्केटिंग और सेल्स का पार्ट देखते हैं और उसी से एक बड़ा बिजनेस खड़ा कर दिया है. हुसैन बताते हैं कि उनकी कंपनी के प्रोडक्ट्स की कीमत 500-700 रुपये के बीच रहती है. वहीं एवरेज ऑर्डर वैल्यू करीब 900 रुपये है.
ग्राहक को पसंद आए प्रोडक्ट तो किया इन्वेस्ट
Kidbea के को-फाउंडर मोहम्मद हुसैन बताते हैं कि उनके प्रोडक्ट ग्राहकों को बहुत ज्यादा पसंद आते हैं. एक किस्सा साझा करते हुए उन्होंने बताया कि जापान के एक निवेशक भारत आए हुए थे. यहां उन्होंने अपने किसी दोस्त-रिश्तेदार के घर कंपनी के कुछ प्रोडक्ट देखे. उन्हें प्रोडक्ट इतने पसंद आए कि उन्हें देखने के बाद जापान के उस निवेशक ने लिंक्डइन के जरिए स्टार्टअप फाउंडर्स से संपर्क किया. इसके बाद बातचीत के बाद जापान के उस निवेशक ने कंपनी में कुछ हिस्सेदारी खरीदते हुए निवेश भी किया. हुसैन बताते हैं कि बहुत सारे लोगों के रिश्तेदार दूसरे देशों से भी उनके प्रोडक्ट्स खरीद रहे हैं और कुरियर चार्ज तक वह खुद ही चुकाने का ऑफर देते हैं.
फंडिंग और फ्यूचर
यह स्टार्टअप अभी तक दो राउंड की फंडिंग उठा चुका है. पहला राउंड मार्च 2022 में किया था, जब 1.2 करोड़ रुपये की फंडिंग उठाई थी. वहीं दूसरा राउंड इसी साल की शुरुआत में उठाया, जिसके तहत 1 मिलियन डॉलर यानी 8.3 करोड़ रुपये उठाए हैं. भविष्य में यह कंपनी एक तो अपना बिजनेस दुनिया के अलग-अलग देशों तक फैलाना चाहती है, वहीं अपने प्रोडक्ट्स की रेंज में कुछ नए प्रोडक्ट भी शामिल करना चाहती है.
04:06 PM IST