प्रदूषण रोकने के लिए Delhi-NCR में कंस्ट्रक्शन बैन का होगा गंभीर असर, 5.68 लाख हाउसिंग यूनिट का काम रुका
दिल्ली-NCR की हवा फिर से बिगड़ गई है. प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कंस्ट्रक्शन पर बैन का फैसला लिया गया है. रियल एस्टेट के जानकारों का कहना है कि इससे काफी नुकसान होता है. एक महीने के बैन से प्रोजेक्ट्स में 3-4 महीने की देरी हो जाती है.
Construction Ban in Delhi-NCR: दिल्ली की हवा फिर से जहरीली हो रही है. प्रदूषण चरम पर पहुंच गया है और चारों तरफ धुएं का गुबार है. हवा को सांस लेने लायक बनाने के लिए कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (CAQM) की तरफ से दिल्ली और एनसीआर में कंस्ट्रक्शन एक्विविटी रोकने का आदेश जारी किया गया है. माना जा रहा है कि इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर पर बहुत बुरा असर होगा. दिल्ली-NCR में वर्तमान में 5.68 लाख हाउसिंग यूनिट कंस्ट्रक्शन फेज में है. इनमें से 70 फीसदी यानी 4 लाख यूनिट से ज्यादा तो टॉप-10 लोकेशन पर है.
दिल्ली-NCR में ऐवरेज प्रोजेक्ट कंप्लीशन टाइम सबसे ज्यादा
सबसे ज्यादा निर्माण ग्रेटर नोएडा वेस्ट, यमुना एक्सप्रेसवे, न्यू गुरुग्राम, नोएडा एक्सप्रेसवे, द्वारका एक्सप्रेसवे, सेंट्रल नोएडा, सेक्टर-150 नोएडा, ग्रेटर फरीदाबाद राज नगर एक्सटेंशन गाजियाबाद, सोहना एंड गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड पर चल रहा है. कंस्ट्रक्शन बैन से इन प्रोजेक्ट्स पर काफी बुरा असर होगा. वैसे भी दिल्ली-एनसीआर में ऐवरेज प्रोजेक्ट कंप्लीशन टाइम टॉप-7 शहरों में सबसे ज्यादा है. यह आंकड़ा साल 2010 से 2022 के बीच आधारित है. छोटे प्रोजेक्ट जिनमें 100-500 यूनिट होते हैं, उसके लिए ऐवरेज कंप्लीशन टाइम दिल्ली एनसीआर में 6-6.5 साल है. 500 यूनिट से ज्यादा वाले लार्ज प्रोजेक्ट के लिए ऐवरेज टाइम 7.5-8 साल है.
5.68 लाख यूनिट कंस्ट्रक्शन फेज में
एनारॉक ग्रुप के सीनियर डायरेक्टर और रिसर्च प्रमुख, प्रशांत ठाकुर ने कहा कि ANAROCK रिसर्च के मुताबिक, वर्तमान में करीब 5.68 लाख हाउसिंग यूनिट कंस्ट्रक्शन के अलग-अलग फेज में हैं. समय-समय पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, सरकार और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बैन लगाए जाने से इन प्रोजेक्ट्स पर गंभीर असर होता है. अगर बैन एक महीने के लिए लगाया जाता है तो प्रोजेक्ट में करीब 3-4 महीने की देरी हो जाती है.
कीमत पर असर ना के बराबर
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प्रोजक्ट में देरी होने से इसकी कीमत पर भी असर नगण्य होता है. चूंकि, बैन का फैसला समय-समय पर कुछ अवधि के लिए लिया जाता है. ऐसे में कीमत पर असर ना के बराबर ही होता है. अपने देश में रियल एस्टेट प्रॉपर्टी की कीमत पर एनवायरनमेंटल कंसर्न का असर नहीं होता है. दिल्ली के पॉश एरिया लुटियन्स जोन में चारों तरफ हरियाली है, इसके बावजूद प्रदूषण का स्तर कम नहीं रहता है.
मुंबई रीजन में न्यू प्रोजेक्ट लॉन्च की भरमार
मुंबई की बात करें तो वहां बारिश के मौसम में बाढ़ की समस्या बहुत कॉमन है. हालांकि, इससे प्रॉपर्टी की कीमत पर किसी तरह का असर नहीं होता है. मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन यानी MMR कोरोना काल में रियल एस्टेट अट्रैक्शन का केंद्र बन गया है. पिछले ढाई सालों में यह न्यू प्रोजेक्ट लॉन्च और न्यू सप्लाई के मामले में काफी एक्टिव रहा है.
23 फीसदी अनसोल्ड घर बिके हैं
Delhi-NCR का क्षेत्र भी प्रॉपर्टी के मामले में काफी एक्टिव है. हालांकि, डेवलपर्स की तरफ से न्यू सप्लाई कम है. हाउसिंग सेल्स में अच्छा ग्रोथ दिखा है. कोरोना काल में दिल्ली-एनसीआर में 23 फीसदी अनसोल्ड घर बिके हैं. 2020 की पहली तिमाही में 1.73 लाख यूनिट घर नहीं बिके थे. 2022 की तीसरी तिमाही में यह घटकर 1.32 यूनिट पर आ गया.
08:40 PM IST