भारतीय रेलवे की इस यात्रा पर लीजिए स्विट्जरलैंड का मजा, तस्वीरें देखकर हो जाएंगे हैरान
सर्दियां बढ़ने और मौसम में बदलाव के साथ ही जम्मू कश्मीर में बफबारी होने लगी है. मौसम की पहली बर्फबारी के साथ ही रेलवे ने घाटी में रेलवे स्टेशनों व घाटी में चलने वाली डीएमयू रेलगाड़ी की कुछ तस्वीरें जारी की हैं.
कश्मीर में शुरू हुई बफबारी, काजीगुंड रेलवे स्टेशन भी बर्फ से ढका (फोटो- भारतीय रेलवे)
कश्मीर में शुरू हुई बफबारी, काजीगुंड रेलवे स्टेशन भी बर्फ से ढका (फोटो- भारतीय रेलवे)
सर्दियां बढ़ने और मौसम में बदलाव के साथ ही जम्मू कश्मीर में बफबारी होने लगी है. मौसम की पहली बर्फबारी के साथ ही रेलवे ने घाटी में रेलवे स्टेशनों व घाटी में चलने वाली डीएमयू रेलगाड़ी की कुछ तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों को देख कर आपको अंदाजा हो जाएगा कि कश्मीर को धरती का स्वर्ग क्यों कहा जाता है. बर्फबारी के बाद यहां की वादियां स्वीट्जरलैंड जैसी खूबसूरत हो चुकी हैं. आइये खूबसूरत तस्वीरों के साथ जानें रेलवे के नेटवर्क के बारे में...
घाटी में बर्फबारी का मजा लेने के लिए इन दिनों रेलवे की ओर से चलाई जाने वाली डीएमयू एक सुरक्षित और बेहतर साधन है. घाटी में दूरदूर तक पटरियों के दोनों तरफ बर्फ की चादर फैली हुई है. ट्रेन पर भी चारों तरफ बर्फ की परतें लिपटी हुई दिखती हैं. इससे पर्यटकों के लिए यहां का आकर्षण और बढ़ जाता है.
घाटी में बढ रहा है रेल नेटवर्क
घाटी को रेलवे के नेटवर्क से जोड़ने के लिए एक रेलवे का USBRL प्रोजेक्ट चल रहा है. इसके तहत 326 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक पूरा पूरा करने का काम किया जा रहा है, जो कश्मीर घाटी में भारतीय रेलवे नेटवर्क के साथ चरण-वार और हेराल्डिंग ऑल वेदर प्रोजेक्ट में शामिल है. इस योजना को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना के रूप में घोषित किया गया है. यह रेल मार्ग हिमालय की पहाड़ियों के बीच से गुजरता है और दुनिया में सबसे चुनौतीपूर्ण रेल निर्माण माना जाता है.
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पीर पंजाल टनल
यह टनल 11.2 किलोमीटर लंबी जिसे टनल टी -80 भी कहा जाता है. यह सबसे लंबी परिवहन सुरंग है, जो अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित है. यह पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के बीच से छेद करता है और अब सभी मौसम में रेल परिवहन के माध्यम से जम्मू के लोगों को कश्मीर घाटी की परिवहन आवश्यकताओं के लिए एक वैकल्पिक विकल्प प्रदान करता है. इसे पूरा करने में 7 साल और 5 महीने लगे, जिसमें 150 इंजीनियर और 1300 फील्ड कर्मचारी काम कर रहे थे. इसके निर्माण के लिए 3 लाख घन मीटर से अधिक कंक्रीट और 7,500 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया था.
घाटी में हैं ये रेलवे स्टेशन
इस रेल खंड में आने वाले स्टेशनों में बनिहाल, शाहाबाद हॉल्ट, क़ाज़ीगुंड, सदुरा, अनंतनाग, बिजबेहेरा, पंजगाम, अवंतीपोरा, काकापोरा, पंपोर, श्रीनगर, बडगाम, मझम, पट्टान, हमरे, सोपोर और बारामूला शामिल हैं.
घाटी में चलती है खास ट्रेन
कश्मीर घाटी में जो ट्रेन चलती है वह खास तकनीक से बनी है. यह 1400 हॉर्स पावर (एचपी) का डीजल इंजन है. यह सर्दियों में तेजी के साथ चलने और परेशानी मुक्त हीटिंग सिस्टम के साथ प्रदान किया गया है. ड्राइवर कैब को कश्मीर की ठंड के हिसाब से बनाया गया है.
04:29 PM IST