CIBIL Score ही अच्छा होना काफी नहीं, Loan चाहिए तो ये 3 चीजें भी ठीक रखें, वरना लोन तो भूल ही जाना
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Sun, Sep 08, 2024 10:27 AM IST
जब कभी बात आती है पर्सनल लोन (Personal Loan) लेने की तो आपको हर कोई यही कहता होगा कि आपका सिबिल स्कोर (Cibil Score) अच्छा होगा, तो लोन मिल जाएगा. हालांकि, जब कोई बैंक किसी शख्स को पर्सनल लोन देता है तो वह सिर्फ उसका सिबिल स्कोर नहीं देखता, बल्कि 3 तरह के रेश्यो भी चेक करता है. इन सब से बैंक ये सुनिश्चित करना चाहता है कि आप बैंक के लोन के पैसे समय से चुका पाएंगे या नहीं. आइए जानते हैं सिबिल स्कोर के अलावा बैंक कौन से 3 रेश्यो चेक करता है.
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1- Debt-to-Income (DTI) Ratio
किसी को भी लोन देने से पहले बैंक डेट-टू-इनकम रेश्यो जरूर चेक करता है. यह रेश्यो मंथली डेट पेमेंट और आपकी ग्रॉस सैलरी की तुलना कर के कैल्कुलेट किया जाता है. जितना कम DTI रेश्यो होगा, आपको लोन मिलने के चांस उतने ही अधिक होते हैं. इस रेश्यो के जरिए बैंक से समझता है कि आपके ऊपर पहले से कितने लोन हैं और आपके हाथ में कितना पैसा बचता है. ये भी पढ़ें- Cibil Score को हल्के में ना लें, एक गलती से होगा ₹50 लाख के Home Loan पर ₹19 लाख का नुकसान! समझें कैलकुलेशन
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2- EMI/NMI Ratio
EMI/NMI रेश्यो के जरिए बैंक इस बात का कैल्कुलेशन करता है कि आपकी नेट मंथली इनकम का कितना हिस्सा मौजूदा ईएमआई और प्रस्तावित लोन की ईएमआई पर खर्च होगा. अगर आपकी EMI/NMI 50-55 फीसदी तक है, तब तो ठीक है, लेकिन उससे अधिक रेश्यो होने पर बैंक आपको लोन देने से कतराने लगते हैं. अगर इसके बावजूद बैंक आपको लोन देते हैं तो वह अक्सर अधिक ब्याज दर चार्ज करते हैं. ये भी पढ़ें- 20-30 साल की उम्र तक जरूर अपना लें फाइनेंस से जुड़ी ये 5 आदतें, CIBIL Score भी है इनमें से एक
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3- Loan-to-Value Ratio (LTV)
इस रेश्यो का कैल्कुलेशन खासतौर पर हाउसिंग लोन के मामले में किया जाता है. इस रेश्यो की मदद से रिस्क को समझना आसान हो जाता है. LTV रेश्यो दिखाता है कि आपके लोन की असेट या कोलेट्रल की तुलना में कितनी वैल्यू है. इससे लोन को सिक्योर करने में मदद मिलती है. इस जानकारी का इस्तेमाल कर्ज देने वाला बैंक जरूरी नियम और शर्तें बनाने में करता है. ये भी पढ़ें- Credit Card रखने वालों के लिए आई एक बड़ी खबर, अगर अब तक हैं अनजान तो अभी पढ़ लीजिए
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सिबिल स्कोर भी चेक करते हैं बैंक
यह एक तीन अंकों की संख्या है या यूं कहें कि स्कोर है. इसकी रेंज 300 से लेकर 900 अंकों तक होती है. यह आपके लोन लेने की योग्यता को दिखाता है. आपके पुराने लोन, क्रेडिट कार्ड के बिल आदि के आधार पर यह संख्या तय होती है. अगर आप अपने सारे कर्जों और कार्ड बिल को चुकाते रहते हैं तो आपका सिबिल स्कोर बेहतर होता जाता है, जबकि अगर आप कोई डिफॉल्ट करते हैं तो आपका सिबिल स्कोर खराब होता जाता है. ये भी पढ़ें- काश मैंने ये गलती ना की होती... नौकरी के दौरान की हुई ये 5 Mistakes बुढ़ापे पर पड़ती हैं भारी
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अच्छे सिबिल स्कोर के क्या हैं फायदे
अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा है तो इसके कई फायदे होते हैं. हर बैंक लोन देने से पहले व्यक्ति के सिबिल स्कोर को चेक करता है. ऐसे में आपको लोन आसानी से और सस्ता मिल सकता है. यहां तक कि आपको कई बार प्री-अप्रूव्ड लोन ऑफर भी मिल सकता है और आपको इंस्टेंट लोन यानी चंद मिनटों में खाते में पैसे आने की सुविधा भी मिल सकती है. ये भी पढ़ें- Credit Card से होते हैं ये 7 फायदे, जो खराब कहे उसे गिना देना, अगली बार से नहीं बोलेगा
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