हेल्थ कवर तो ले लिया लेकिन क्या आपने चेक किया, Crohn’s Disease जैसी गंभीर बीमारियों में कवर कितना है कारगर
बाउल सिस्टम में किसी भी तरह की खराबी से क्रोहन रोग (Crohn’s Disease ) जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इसके लिए अपने हेल्थ इंश्योरेंस को रिव्यू करना जरुरी है.
एक हेल्दी डाइजेशन सिस्टम एक हेल्दी पर्सन की निशानी है. अपने डाइजेस्टिव सिस्टम को को हेल्दी रखने के लिए, एक स्मूद बाउल मूवमेंट का होना जरुरी है. ये आपके भोजन को पचाने में मदद करता है और ब्लड में न्यूट्रिएंट को एबजॅार्ब करता है. जिससे आपके शरीर से वेस्ट बाहर निकलता है. क्रोहन डिसीज एक ऐसी बीमारी है जो आपके डाइजेस्टिव सिस्टम में सूजन लाती है. ये एक तरह का इंफ्लिमेंट्री आंत्र रोग (आईबीडी) है. जो डाइजेस्टिव सिस्टम के किसी भी हिस्से में हो सकता है. इसमें इंफ्लेमेशन काफी पेनफुल होता है. ये आमतौर पर आंतों की परतों में गहराई तक फैल जाता है. कुछ मामलों में, यह पेट के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को भी जन्म दे सकता है. इस कारण इसे एक गंभीर बीमारी माना जाता है. वर्तमान में, डॉक्टर क्रोहन डिसीज के एक्जेक्ट कॅाज से अनजान हैं. हालांकि, उनका मानना है कि कुछ फैक्टर हैं जो हमारी बॅाडी में इसे ट्रिगर कर सकते हैं. इनमें से कुछ फैक्टर बाउल डिसऑर्डर, एलर्जी, स्मोकिंग, पर्यावरणीय फैक्टर के साथ-साथ ऑइली और मसालेदार खाना भी हो सकता है. इसके साथ ही कई केसेज में फैमिली हिस्ट्री के कारण इस डिसीज के ट्रांसफर होने को भी देखा गया है.
क्या है इसका ट्रीटमेंट
Crohn’s Disease में गंभीर दस्त,पेट दर्द या ऐंठन,बुखार,थकान,मुँह के छाले,भूख में कमी, मल में रक्त, वजन घटना,कुपोषण जैसे सिम्टम्स हो सकते हैं. इसके साथ ही कई गंभीर मामलों में, आंख, त्वचा, जोड़ों, लिवर और बाइल डक्ट की सूजन, आयरन की कमीं, गुर्दे की पथरी होती है. क्रोहन डिसीज एक लाइफटाइम रहने वाली बीमारी है. इसे ठीक नहीं किया जा सकता है. हालांकि अपनी लाइफ स्टाइल और खाने की आदतों में कुछ बदलाव करके इसमें काफी सुधार किया जा सकता है. अगर इन चेंज के बावजूद कंडीशन में इम्प्रूवमेंट नहीं होता है, तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए. डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट, स्टूल टेस्ट, एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई सहित कई मेडिकल टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं. कुछ मामलों में, इफेक्टिव डाइग्नोसिस के लिए एंडोस्कोपी या कोलोनोस्कोपी की जरुरत भी हो सकती है. ऐसे में आपको एक लंबे ट्रीटमेंट और सर्जरी की जरुरत हो सकती है जो बहुत महंगी हो सकती है. इसके साथ ही सीटी स्कैन और एमआरआई के साथ-साथ एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी जैसे बॉडी इमेजिंग टेस्ट भी बहुत कॅास्टली होते हैं. आपका डॉक्टर आपको स्टेरॉयड, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डायरियल दवाएं भी लिख सकता है, जो मार्केट में बहुत महंगी आती हैं.
क्या हेल्थ इंश्योरेंस प्लान कवर करता है इसे
भारत में कई हेल्थ इंश्योरेंस प्लान क्रोहन डिसीज के मेडिकल एक्सपेंस के लिए कवरेज देते हैं. ये एक गंभीर बीमारी है, इसलिए भारत में बहुत से क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान क्रोहन डिसीज के ट्रीटमेंट पर होने वाले मेडिकल एक्सपेंस को कवर करते हैं. इनके तहत, जैसे ही आपको बीमारी का पता चलता है, इंश्योरेंस कंपनी आपको लम्प सम का पेमेंट करती हैं. आप जो प्लान लेते हैं उसके बेसिस पर कवरेज अमाउंट 25 करोड़ रुपये तक जा सकता है. लेकिन सभी क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान क्रोहन रोग के लिए कवरेज नहीं देते हैं. इसलिए, आपको ये जानने के लिए अपने क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान के तहत कवर की गई गंभीर बीमारियों की लिस्ट की जांच करनी चाहिए कि क्या आपकी इंश्योरेंस कंपनी क्रोहन डिसीज के ट्रीटमेंट के एक्सपेंस को कवर करेगी.
क्या है वेटिंग पीरियड
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भारत में सभी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम 30 दिनों के इनिशियल वेटिंग पीरियड के साथ आती हैं. लेकिन सभी क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान 90 दिनों के इनिशियल वेटिंग पीरियड के साथ-साथ 30 दिनों के सरवाइवल पीरियड के साथ आती हैं. ये केवल तभी लागू होता है जब बीमा पॉलिसी खरीदने के बाद आपको क्रोहन डीसिज का पता चलता है. अगर आपकी पॉलिसी खरीदने से पहले ही क्रोहन बीमारी डाइग्नोज होती है तो इसे पहले से मौजूद बीमारी माना जाएगा. ऐसी कंडीशन में आपको क्रोहन डिसीज के कवरेज के लिए अपनी पॉलिसी के तहत क्लेम करने से पहले 2 से 4 साल तक इंतजार करना होगा.
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01:45 PM IST