Secured Vs Unsecured loan: सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड लोन में क्या है अंतर? आपके लिए कौन है बेहतर ऑप्शन
Secured and Unsecured loan: आमतौर पर बैंकिंग सिस्टम में दो तरह के लोन जारी किए जाते हैं. पहला, सेक्योर्ड लोन और दूसरा अनसेक्योर्ड लोन. हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि इनमें क्या फर्क होता है.
Secured Vs Unsecured loan: अक्सर हम लोन (Loan) के बारे में यही बात करते हैं कि कभी इसके चक्कर में न पड़ा जाए. लोन न लो या जितना कम हो उतना ही बेहतर है. हालांकि, कई बार लोन हमारे लिए जरूरी हो जाता है. जैसेकि अगर आप घर खरीद रहे हैं, तो होम लोन (Home Loan) आपके लिए मददगार साबित होता है. वहीं, अगर आपको अचानक पैसे की जरूरत पड़ जाए, तो आप बैंक से पर्सनल लोन (Personal Loan) भी ले सकते हैं. ऐसे में हमें लोन से जुड़े हर पहलू के बारे में जान लेना चाहिए. आमतौर पर बैंकिंग सिस्टम में दो तरह के लोन जारी किए जाते हैं. पहला, सेक्योर्ड लोन और दूसरा अनसेक्योर्ड लोन. हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि ये लोन होते क्या हैं और इनमें क्या फर्क होता है.
सेक्योर्ड लोन (secured loan)
सेक्योर्ड लोन यानी सुरक्षित कर्ज. नाम से ही बहुत कुछ साफ है. सेक्योर्ड लोन में बैंक किसी संपत्ति को गिरवी रखकर लोन देता है. सेक्योर्ड लोन में कस्टमर को हमेशा बैंक को किसी गारंटी या संपत्ति (Asset) देनी होती है. जैसे अगर आपने घर खरीदने के लिए होम लोन लिया है, तो मकान के कागजात पर बैंक का अधिकार तब तक रहेगा, जब तक कि आप सारा होम लोन चुका न दे.
सेक्योर्ड में कोलेटरल या सिक्युरिटी के लिए फिजिकल और फाइनेंशियल दोनों तरह के एसेट का इस्तेमाल कर सके हैं. फिजिकल एसेट में गोल्ड, मकान, कार जैसे एसेट आते हैं. वहीं, फाइनेंशियल एसेट में इक्विटी शेयर, एफडी, म्यूचुअल फंड, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी शामिल हैं. सेक्योर्ड लोन (secured loan) चूंकि आपकी संपत्ति प्रॉपर्टी पर दिया जाता है इससे बैंक का पैसा सुरक्षित हो जाता है. बैंक को भरोसा हो जाता है कि अगर आपने पैसा नहीं दिया तो आपकी संपत्ति बेचकर वह रिकवरी कर लेगा. इसलिए इसमें ब्याज दर कम होती है. इसका नुकसान यह है कि अगर आपने लोन रिपेमेंट नहीं किया तो, बैंक आपकी एसेट बेचकर अपने पैसे की रिकवरी करता है.
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अनसेक्योर्ड लोन (Unsecured Loan)
अनसेक्योर्ड लोन यानी असुरक्षित कर्ज. जब कोई लोन बिना किसी गारंटी के दिया जाता है, तो वह अनसेक्योर्ड लोन होता है. इस लोन में कस्टमर से किसी तरह की गारंटी या कोलेटरल नहीं किया जाता है. बैंक अनसेक्योर्ड लोन (unsecured loan) कस्टमर की क्रेडिट हिस्ट्री और क्रेडिट स्कोर देखकर देते हैं. इसमें बैंक कस्टमर की पिछली रिपेमेंट हिस्ट्री, इनकम सोर्स, छह महीने की सैलरी स्लिप या इनकम टैक्स रिटर्न जैसे फैक्ट्स देखता है और इसी आधार पर लोन मंजूर करता है. अनसेक्योर्ड लोन में सिक्योर्ड लोन की अपेक्षा ब्याज दर अधिक होती है और इनका रिपेमेंट टेन्योर यानी लोन चुकाने का समय कम रहता है.
पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन, इंस्टेंट लोन, क्रेडिट कार्ड लोन और बिजनेस लोन अनसेक्योर्ड लोन की कैटेगरी में आते हैं. अनसेक्योर्ड लोन बैंकों के लिए असुरक्षित कर्ज होते है क्योंकि इसमें बैंक कस्टमर से कोई गारंटी नहीं लेता है. इसमें अगर कस्टमर लोन नहीं चुका पता है, बैंक को इसमें नुकसान पड़ता है. ऐसे मामले अक्सर कोर्ट में चले जाते हैं. हालांकि, अनसेक्योर्ड लोन नहीं चुकाने से कस्टमर का सिबिल स्कोर खराब हो जाता है. जिससे भविष्य में आपको लोन (loan) मिलने में बहुत दिक्कत होगी.
सेक्योड और अनसेक्योर्ड लोन: क्या है फर्क
सेक्योर्ड लोन की ब्याज दरें आमतौर पर कम रहती है. वहीं, अनसेक्योर्ड लोन के लिए कस्टमर को ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है. सेक्योर्ड लोन (secured loan) मंजूर होने में ज्यादा समय लगता है क्योंकि बैंक गिरवी रखी जाने वाली एसेट की वैल्युएशन करते हैं. वहीं, अनसेक्योर्ड लोन बहुत जल्दी मंजूर हो जाता है. कम क्रेडिट स्कोर पर भी सेक्योर्ड लोन मिल जाता है. जबकि, अनसेक्योर्ड लोन (unsecured loan) के लिए सिबिल स्कोर मजबूत होना चाहिए. सेक्योर्ड लोन में अमाउंट अमूमन कोलेटरल प्रॉपर्टी की वैल्यू पर निर्भर करता है. जबकि, अनसेक्योर्ड लोन में अमाउंट कस्टमर की इनकम और रिपेमेंट कैपेसिटी पर तय होता है. सेक्योर्ड लोन लंबी अवधि के लिए दिए जाते हैं, जबकि अनसेक्योर्ड लोन का टेन्योर कम रहता है.
(इनपुट: एक्सिस बैंक पोस्ट)
05:43 PM IST