आयुष्मान भारत: उत्तर प्रदेश और बिहार में क्या है 'मोदी केयर' की जमीनी हकीकत?
देश की बड़ी आबादी को बीमारी पर होने वाले खर्च की चिंता से मुक्त करने के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी 'आयुष्मान भारत' योजना का शुभारंभ हो गया है. ऐसे में ये सवाल सबके मन में है कि हिंदी पट्टी के दो बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में इस योजना की स्थिति क्या है.
मोदी सरकार ने दस करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा की है.
मोदी सरकार ने दस करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा की है.
देश की बड़ी आबादी को बीमारी पर होने वाले खर्च की चिंता से मुक्त करने के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी 'आयुष्मान भारत' योजना का शुभारंभ हो गया है. ऐसे में ये सवाल सबके मन में है कि हिंदी पट्टी के दो बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में इस योजना की स्थिति क्या है. इस योजना के तहत पांच लाख रुपये का मुफ्त कैशलेस मेडिकल कवर पाने के लिए जरूरी गोल्ड कार्ड हासिल करना आसान नहीं है. खासतौर से उत्तर प्रदेश और बिहार के दूरदराज के जिलों में.
समाचार पत्र इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक इस योजना के तहत अभी तक कुल 54,000 गोल्ड कार्ड जारी किए जा चुके हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी तक 5686 लोगों को और बिहार में मुश्किल से 1592 लोगों को ही ये कार्ड मिल सकते हैं. दूसरी ओर इन दो राज्यों में करीब छह करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ दिया जाना है.
आयुष्मान भारत के मुख्य कार्यकारी इंदु भूषण ने माना कि इन दोनों राज्यों के साथ ही मध्य प्रदेश में कुछ मसले हैं. उन्होंने बताया, 'हम इन तीन बड़े राज्यों पर फोकस कर रहे हैं क्योंकि उनके पास अतीत में ऐसी कोई योजना नहीं थी.'
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भूषण ने बताया कि उन्होंने छह अधिकारियों की टीम बिहार भेजी है, जो वहीं रहकर योजना के बेहतर प्रदर्शन के लिए काम करेगी. वो खुद इन राज्यों पर खासतौर से फोकस कर रहे हैं. इस योजना के तहत लाभार्थियों को पहले सिल्वर कार्ड दिया जाता है. ये एक तरह के पावती या एक्नॉलेजमेंट है. उन्होंने बताया, 'सिल्वर कार्ड का अर्थ है कि लाभार्थी को पता है कि वो इस योजना का हिस्सा है. गोल्ड कार्ड का अर्थ है कि सिस्टम को पता है कि आप इस योजना का हिस्सा हैं. जब लाभार्थी के नाम का मिलान सामाजिक आर्थिक जाति की जनगणना से हो जाता है और बायो-ऑथराइजेशन की पुष्टि हो जाती है, तो गोल्ड कार्ड जारी कर दिया जाता है.'
गोल्ड कार्ड मिलने के बाद लाभार्थी किसी भी सूचीबद्ध अस्पताल में मुफ्त इलाज करा सकता है. भूषण ने ये भी कन्फर्म किया कि हाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गोल्ड कार्ड हासिल करने के लिए आधार जरूरी है.
उप्र: बहराइच से जमीनी रिपोर्ट
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बहराइच में सिर्फ जिला अस्पताल में ही गोल्ड कार्ड बनाने का इंतजाम है. ऐसे में दूरदराज के गांव के लोगों को कार्ड बनवाने के लिए जिला मुख्यालय आना पड़ता है. कॉमन सर्विस सेंटर में दो आरोग्य मित्र के नियुक्त किया गया है, लेकिन एक आरोग्य मित्र छुट्टी पर था. बहराइच में एक अक्टूबर तक सिर्फ 54 गोल्ड कार्ड जारी किए गए हैं.
बिहार: गया की जमीनी रिपोर्ट
बिहार के गया में अभी तक गोल्ड कार्ड जारी करने की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है. गया के जय प्रकाश नारायण हॉस्पिटल में अभी तक इसके लिए जरूरी उपकरण नहीं लग सके हैं. एक स्टॉफ मैंबर ने बताय, 'सेवा शुरू होने में कुछ समय लगेगा क्योंकि हम अभी वेबकैम और थम इंप्रेशन स्कैनर जैसे उपकरणों का इंतजार कर रहे हैं. हमारे पास अभी आरोग्य मित्र की आईडी भी नहीं है.'
मांग के मुताबिक गोल्ड कार्ड जारी नहीं हो पाने के कारण लोगों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है. इसके चलते 23 सितंबर को योजना की शुरुआत होने के बाद से बीते शुक्रवार तक उत्तर प्रदेश में सिर्फ 31 मरीजों को और बिहार में सिर्फ छह मरीजों को इस योजना के तहत इलाज मिल सका.
इस बारे में इंदु भूषण ने कहा, 'उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश से अधिक आंकड़े आने चाहिए. प्रतिदिन करीब दस हजार. अभी नंबर है सिर्फ 20.' उन्होंने बताया, 'कुछ दिन पहले मैं मध्य प्रदेश में था और मैंने नोटिस किया कि दो जिला अस्पताल लाभार्थियों को ई-कार्ड दे रहे थे, लेकिन वो ट्रांजैक्शन मैनेजमेंट सिस्टम के नेक्स्ट स्टेज को पूरा नहीं कर रहे. जबकि उसे पूरा करने के बाद ही पैसे मिलेंगे. कार्ड देना तो सिर्फ पहला स्टेप है.'
01:31 PM IST