Budget 2023: लगातार चौथे साल अपने विनिवेश लक्ष्य से चूकेगी सरकार, क्या बजट में होंगे नए ऐलान?
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था. हालांकि, अबतक उसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में कुछ हिस्सेदारी बेचकर सरकार केवल 31,106 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है.
2024 के बाद प्राइवेटाइजेशन में फिर आ सकती है तेजी. (File Photo)
2024 के बाद प्राइवेटाइजेशन में फिर आ सकती है तेजी. (File Photo)
Budget 2023: बजट 2023 पेश होने तीन रह गए हैं. बजट से पहले विनिवेश को लेकर बड़ी खबर आई है. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) अगले वित्त वर्ष में पहले से घोषित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन (Privatisation) की योजना पर आगे बढ़ेगा. हालांकि, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (CPSEs) के प्राइवेटाइजेशन की सूची में और कंपनियों को जोड़े जाने की संभावना नहीं है. न्यूज एजेंसी भाषा ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी. अगले वित्त वर्ष के लिए बजट में विनिवेश लक्ष्य (Disinvestment Target) को कम कर और इसे वास्तविकता के और करीब किए जाने की उम्मीद है, क्योंकि चालू वित्त वर्ष लगातार चौथा साल रहने वाला है जबकि सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य से चूकेगी.
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था. हालांकि, अबतक उसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में कुछ हिस्सेदारी बेचकर सरकार केवल 31,106 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है.
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बड़े विनिवेश की घोषणा की उम्मीद नहीं
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सरकार ने 2021 में घाटे में चल रही एअर इंडिया (Air India) का प्राइवेटाइजेशन सफलता के साथ पूरा किया था. लेकिन पिछले साल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण के मोर्चे पर प्रगति अच्छी नहीं रही है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2024 में होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर किसी बड़े विनिवेश की घोषणा की उम्मीद इस बजट में नहीं है.
एक अधिकारी ने कहा, योजना उन कंपनियों की रणनीतिक बिक्री को आगे बढ़ाने की है जिनके लिए यूनियन कैबिनेट (Union Cabinet) की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. इसका मतलब यह है कि सरकार शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Shipping Corporation of India), एनएमडीसी स्टील लिमिटेड (NMDC Steel Ltd), बीईएमएल (BEML), एचएलएल लाइफकेयर (HLL Lifecare), कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (COntainer Corporation of India) और आरआईएनएल (RINL) या विजाग स्टील (Vizag Steel) जैसी कंपनियों के साथ-साथ आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) के प्राइवेटाइजेशन को आगे बढ़ाएगी.
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इन बातों पर निर्भर करता है विनिवेश
यह देखते हुए कि स्ट्रैटेजिक सेल या प्राइवेटाइजेशन में कम से कम एक साल का समय लगता है, बजट में ऊंचा विनिवेश लक्ष्य तय कर उसे हासिल करना मुश्किल होता है. नांगिया एंडरसन एलएलपी के भागीदार- सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र परामर्श सूरज नांगिया ने कहा, प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया में अक्सर समय लगता है, जो निजीकरण के प्रकार और आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बातों पर निर्भर करता है. इसके लिए एक मध्यम अवधि की योजना, एक ठोस नियामकीय रूपरेखा और प्रतिस्पर्धी बाजार की जरूरत होती है.
2024 के बाद प्राइवेटाइजेशन में फिर आ सकती है तेजी
ईवाई इंडिया (EY India) के एसोसिएट पार्टनर टैक्स एंड इकोनॉमिक पॉलिसी ग्रुप रजनीश गुप्ता ने कहा कि प्राइवेटाइजेशन प्रोग्राम में 2024 के आम चुनावों के बाद तेजी देखी जा सकती है. गुप्ता ने कहा, हो सकता है कि इस साल का बजट थोड़ा ‘स्थिर’ रहे और हम विनिवेश और कुछ हिस्सेदारी बिक्री के बारे में कुछ घोषणाएं देख सकें. हालांकि, 2024 के बाद हम प्राइवेटाइजेशन प्रोग्राम में फिर से तेजी देख सकते हैं. पिछले एक साल में निवेशकों द्वारा रुचि नहीं दिखाने की वजह से सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (BPCL) सहित कुछ रणनीतिक बिक्री को टाल दिया था.
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02:02 PM IST