सिर्फ 4 महीने में ही हो जाएंगे मालामाल, इस फसल से कमाएं बंपर मुनाफा
Sweet Potato farming: शकरकंद की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है. यह एक बारहमासी बेल है. शकरकंद उबालकर और भूनकर ऐसे ही खाया जाता है.
इस फसल से कमाएं बंपर मुनाफा. (Image- Pexels)
इस फसल से कमाएं बंपर मुनाफा. (Image- Pexels)
Sweet Potato farming: भारत में करीब 2 लाख हेक्टेयर में शकरकंद की खेती की जाती है. बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. पूरे विश्व में शकरकंद (Sweet Potato) का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला देश चीन है. भारत का शकरकंद उत्पादन में छठा स्थान है. शकरकंद (Sweet Potato) बीटा कैरोटिन का बेहतर स्रोत है और इसे एंटीऑक्सीडेंट और अल्कोहल के रूप में भी उपयोग किया जाता है. यह एक बारहमासी बेल है. शकरकंद उबालकर और भूनकर ऐसे ही खाया जाता है. आलू की तुलना में शकरकंद में स्टार्च और मिठान ज्यादा मात्रा में पाई जाती है. इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन पाया जाता है, जिस वजह से शकरकंद का सेवन करने से चेहरे पर चमक और बालों में भी बढ़ोतरी होती है.
शकरकंद की किस्में
शकरकंद (Sweet Potato) की ज्यादा उपज देने वाली किस्म- वर्षा, श्रीनंदिनी, श्री वर्धिनी, श्रीरत्न, क्रॉस-4, कालमेघ, राजेंद्र शकरकंद-5, श्रीवरुण, श्रीअरुण, श्रीभद्र, कोंकण अश्विनी, पूसा सफेद, पूसा सुनहरी हैं.
ये भी पढ़ें- किसानों को मालामाल बनाएगी सरसों की नई किस्म
बुआई समय और रोपाई
TRENDING NOW
Maharashtra Winners List: महाराष्ट्र की 288 सीटों पर कौन जीता, कौन हारा- देखें सभी सीटों का पूरा हाल
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
Retirement Planning: रट लीजिए ये जादुई फॉर्मूला, जवानी से भी मस्त कटेगा बुढ़ापा, हर महीने खाते में आएंगे ₹2.5 लाख
Maharashtra Election 2024: Mahayuti की जीत के क्या है मायने? किन शेयरों पर लगाएं दांव, मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने बताया टारगेट
शकरकंद की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है. लेकिन अच्छी पैदावार पाने के लिए गर्मी और बारिश का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है. जायद के मौसम में इसके पौधों की रोपाई जून और अगस्त महीने के बीच में की जा सकती है. इसके बाद इसकी फसल खरीफ की फसल के साथ तैयार हो जाती है. Sweet Potato की नर्सरी में तैयार की गई कटिंग की रोपाई खेत में मेड़ों पर की जाती है. मेड़ पर रोपाई के दौरान प्रत्येक कटिंक के बीच लगभग एक फीट की दूरी होनी चाहिए.
बीज और मिट्टी
एक एकड़ खेती के लिए 250 से 340 किलो बेल की जरूरत होती है. इसके लिए बेल की शीर्ष और मध्य भाग की ही कटिंग रोपाई के लिए उपयोग में ली जाती है. इसकी जड़ों की कटिंग के दौरान हरेक कटिंग में 4 से 5 गाठें होनी चाहिए. शकरकंद की तैयार की गई कटिंग को उपचारित करने के लिए मानोक्रोटोफॉस या सल्फ्यूरिक एसिड की उचित मात्रा के घोल में डुबोकर रखना चाहिए.
ये भी पढ़ें- भैंस की ये Top 10 नस्लें बना देगी मालामाल
शकरकंद (Sweet Potato) की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है. मिट्टी का पीएच 5.7 से 6.7 होना चाहिए. जमीन की तैयारी में अच्छी तरह सड़ी हुई 25 टन गोबर की खाद को मिट्टी में मिला दें. N.P.K जैविक खाद को 60:60:120 किग्रा प्रति हेक्टेयर के अनुपात में डालना चाहिए. पौधा रोपण के समय P, K और N की आधी और बाकी पूरी खुराक देनी चाहिए. शकरकंज की बिजाई के 1 महीने बाद N की बची हुई आधी मात्रा डालें.
रोग और कीट
शकरकंद (Sweet Potato) के पौधों में अगेती झुलसा रोग फफूंद की वजह से फैलता है. इसकी फफूंद मौसम परिवर्तन में के दौरान मौसम में अधिक नमी और उमस के कारण होती है. इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर मैन्कोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड की उचित मात्रा का छिड़काव रोग दिखाई देने के बाद तुरंत कर देना चाहिए.
ये भी पढ़ें- Subsidy News: किसानों के लिए खुशखबरी! यहां 50% Subsidy पर मिल रहे खेती की मशीनें, जल्द करें आवेदन
इसकी खेती में रोग माहूं कीट की वजह से फैसला है. कीटों का आकार छोटा और रंग पीला, काला, लाल और हरा दिखाई देता है. इसकी रोकथाम के लिए पौधों पर इमिडाक्लोप्रिड की उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा पौधों पर नीम के तेल का छिड़काव रोग दिखाई देने के तुरंत बाद 10 दिनों के अंतराल में 2 से 3 बार करना चाहिए.
110-120 दिन में फसल तैयार
शकरकंद (Sweet Potato) के पौधे रोपाई के लगभग 110 से 120 दिनों बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसकी पैदावार किस्मों के अनुसार अलग-अलग होती हैं. आमतौर पर औसत पैदावार 15 से 25 टन प्रति हेक्टेयर होती है.
ये भी पढ़ें- खजूर की खेती से किसान बना मालामाल, हर साल कमा रहे ₹20 लाख
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
01:15 PM IST