Farmer News: किसानों के लिए फायदे का सौदा है इस दाल की खेती, जानिए उन्नत किस्में
Written By: संजीत कुमार
Fri, Oct 27, 2023 04:18 PM IST
Masoor ki Kheti: दलहनी फसलों में मसूर (Lentil) का एक महत्वपूर्ण स्थान है. कब्ज व अनियमित पाचन क्रिया में मसूर की दाल का सेवन लाभकारी होता है. इसका इस्तेमाल खाने के अलावा, नमकीन और मिठाइयों को बनाने के लिए भी किया जाता है. धान के बाद खाली खेती में मसूर की खासकर बुवाई जाती है. किसान कमर्शियल तौर पर मसूर की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाते हैं. (Image- Freepik)
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मिट्टी और बुवाई का समय
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मसूर की उन्नत किस्में
मसूर की इन उन्नत किस्मों की खेती करके मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है. इसकी उन्नत किस्में- आई.पी.एल.-81, नरेन्द्र मसूर-1, डी.पी.एल.-62, पन्त मसूर-5, पन्त मसूर-4, डी.पी.एल.-15, एल-4076, पूसा वैभव, के.-75, एच.यूएल.-57 (मालवीय विश्वनाथ), के.एल.एस.-218, आई.पी.एल.-406, शेखर-3, शेखर-2 और आई.पी.एल.-316 हैं. (Image- Freepik)
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बीजोपचार
समय से बुवाई के लिए 30-40 किलोग्राम और पिछेती व उत्तेरा बुवाई के लिए 40-50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर जरूरी हैं. 10 किग्रा बीज को मसूर के एक पैकेट 200 ग्राम राइजोबियम लेग्यूमिनोसेरम कल्चर से उपचारित करके बोना चाहिए. खासकर उन खेतों में जिनमें पहले मसूर न बोई गई हो. बीजोपचार व रासायनिक उपचार के बाद बीजोपचार किया जाना चाहिए. पी. एस. बी. का जरूर इस्तेमाल करें. (Image- Freepik)
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सिंचाई और खाद
एक सिंचाई फूल आने के पहले करनी चाहिए. धान के खेतों में बोई गई मसूर की फसल में अगर बारिश न हो तो एक सिंचाई फली बनने के समय करनी चाहिए. समान्य बुवाई में 20 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फोरस, 20 किग्रा पोटाश और 20 किग्रा गंधक प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करें. उतेरा विधि से बुवाई के लिए 20 किग्रा नाइट्रोजन धान की कटाई के बाद टापड्रेसिंग करे और फास्फोरस 30 किग्रा को दो बार फूल आने और फलिया बनते समय पत्तियों पर छिड़काव करें. (Image- Freepik)
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फसल सुरक्षा
माहू कीट- ये कीट पत्तियों, तनों व फलियों का रस चूस कर कमजोर कर देते है. सेमीलूपर- इस कीट की सूडियां हरे रंग की होती है जो लूप बनाकर चलती है. सूडियां पत्तियों, कोमल टहनियों, कलियों, फूलों व फलियों को खाकर नुकसान पहुंचाती है. फली बेधक कीट- इस कीट की सूड़ियं फलियों में छेद बनाकर अंदर घुस जाती है और अंदर ही अंदर दानों को खाती रहती है. इससे फलियां खोखली हो जाती है और उत्पादन में गिरावट आ जाती है. (Image- Freepik)
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