Leafy Vegetable Cultivation: पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर हैं ये पत्तेदार सब्जियां, इनकी खेती कराएगी तगड़ी कमाई
Leafy Vegetable Cultivation: हरी पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पोषक तत्व और मिनरल्स हमारे दिल से लेकर पूरी शरीर को फिट रखता है. हरी पत्तेदार सब्जियों की मांग को देखते हुए किसानों के लिए इसकी खेती फायदेमंद साबित हो सकती है.
(Image- Freepik)
(Image- Freepik)
Leafy Vegetable Cultivation: सर्दी आते ही बाजार में हरी पत्तेदार सब्जियों की बिक्री बढ़ जाती है. इस सीजन में पत्तेदार सब्जियां खाने से शरीर को काफी फायदा मिलता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व और मिनरल्स हमारे दिल से लेकर पूरी शरीर को फिट रखता है. हरी पत्तेदार सब्जियों की मांग को देखते हुए किसानों के लिए इसकी खेती फायदेमंद साबित हो सकती है.
पत्तेदार सब्जियों की पत्तियां या टहनियां खाने लायक होती है. इनमें फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं. इन्हें कम उत्पादन लागत व ज्यादा उपज के साथ उगाया जा सकता है. इनमें कलमी साग, करी पत्ता, बथुआ, पोई साग शामिल हैं. हरी पत्तेदार सब्जियां जबरदस्त पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं. कलमी साग, पोई साग और बथुआ का इस्तेमाल इनके एंटी-डाबिटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-अल्सर, एंटी-वायरल, सीएनएस डिप्रेसेंट, हेपेटोप्रोटेक्टिव और घाव भरने वाले गुणों के लिए किया जाता है.
ये भी पढ़ें- धान-गेहूं से ज्यादा मुनाफा देगा ये पौधा, रोज होगी ₹20-30 हजार कमाई
बथुआ
TRENDING NOW
Maharashtra Winners List: महाराष्ट्र की 288 सीटों पर कौन जीता, कौन हारा- देखें सभी सीटों का पूरा हाल
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
Retirement Planning: रट लीजिए ये जादुई फॉर्मूला, जवानी से भी मस्त कटेगा बुढ़ापा, हर महीने खाते में आएंगे ₹2.5 लाख
Maharashtra Election 2024: Mahayuti की जीत के क्या है मायने? किन शेयरों पर लगाएं दांव, मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने बताया टारगेट
यह तेजी से बढ़ने वाली पत्तेदार सब्जी है. सीमांत जमीन में इसकी खेती की जा सकती है. इसकी पत्तियां और कोमल पौधे के हिस्सों का इस्तेमाल पत्तेदार सब्जी और हर्बल दवा के रूप में किया जाता है. इसकी पत्तियां फाइबर, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन, एंटी-ऑक्सीडेंट और ओमेगा-6 फैटी एसिड की बहुत अच्छी स्रोत हैं. आईसीएआर-आईएआरआई, पूसा, नई दिल्ली ने बथुआ की किस्में विकसित हैं. इनमें काशी बथुआ-2 (हरी पत्तियां), काशी बथुआ-4 (बैंगनी-हरा), पूसा बथुआ-1 और पूसा हरा जैसी प्रमुख किस्में हैं.
पोई साग
इसे मालाबार पालक के नाम से जाना जाता है. इसकी खेती पूरे देश में की जाती है. पोई साग की पत्तियों और टहनियों के लिए उगाया जाता है. इससे स्वादिष्ट सब्जी बनती है. इसकी पत्तियों को सलाह के रूप में कच्चा खाया जा सकता है. पोई साग विटामिन और मिनरल का एक अच्छा स्रोत है. आईसीएआर के मुताबिक, पोई साग की तीन किस्मों- काशी पोई-1, काशी पोई-2 और काशी पोई-3 को जारी और नोटिफाई किया गया है.
ये भी पढ़ें- Sarkari Yojana: चाय की खेती करने वाले किसानों को 90% तक सब्सिडी दे रही सरकार, जानिए आवेदन का तरीका
कलमी साग
इसका आमतौर पर खाद्य पौधे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. पत्तियां मिनरल्स और विटामिन खासकर कैरोटीन का अच्छा स्रोत है. 'काशी मनु' कलमी साग की पहली किस्म है. यह किस्म 2023 में सीवीआरसी द्वारा जारी और नोटिफाई की गई है. एक हेक्टेयर में इसकी खेती से 1000 क्विंटल उपज ली जा सकती है. यह साग 3-4 कटाई प्रति माह के साथ सालभर खेती के लिए बेहतर है.
सरसों साग
सरसों के साग को 'चाइनीज सरसों' के नाम से भी जाना जाता है. यह बरसात के मौसम के बाद उगाया जाता है. पत्तियों की कटाई नवंबर से शुरू होती है और जनवरी-फरवरी के अंत तक जारी रहती है. यह आयरन, सल्फर, पोटेशियम, फॉस्फोरस और कई अन्य मिनरल्स से भरपूर है. हरे पत्तदार साग की उपज 519-629 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के बीच होती है.
ये भी पढ़ें- रबी की फसलों का रजिस्ट्रेशन समय पर करवाएं, उपज को मंडियों में बेचने समेत मिलेंगे ये बड़े फायदे
07:09 PM IST