सोना और चांदी जैसा कीमती होता है केसर, जानिए कैसे कर सकते हैं इसकी खेती
Saffron Cultivation: केसर की खेती मुख्य रूप जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में की जाती है लेकिन कृषि वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और खोज से केसर की खेती अब मैदानी इलाकों में भी संभव हो सका है. आइए जानते हैं केसर की खेती (Kesar ki kheti) के बारे में सबकुछ.
एक बार रोपाई करने के बाद किसान दूसरे साल भी केसर के फसल की उपज ले सकते हैं. (Photo- Pixabay)
एक बार रोपाई करने के बाद किसान दूसरे साल भी केसर के फसल की उपज ले सकते हैं. (Photo- Pixabay)
Saffron Cultivation: केसर (Saffron) को धरती का सोना कहा जाता है. यह दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. यह सोना और चांदी जैसा कीमती होता है. बाजार में एक किलोग्राम केसर की कीमत 3,00,000 रुपये से भी ज्यादा है. केसर की खेती मुख्य रूप जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में की जाती है लेकिन कृषि वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और खोज से केसर की खेती अब मैदानी इलाकों में भी संभव हो सका है. हालांकि, इसके लिए तापमान को नियंत्रित करने की जरूरत होती है. आइए जानते हैं केसर की खेती (Kesar ki kheti) के बारे में सबकुछ.
कैसी होनी चाहिए मिट्टी?
शबला सेवा संस्थान गोरखपुर के अध्यक्ष किरण यादव के मुताबिक, केसर (Saffron) की खेती के लिए बंजर और दोमट मिट्टी उपयुक्त है. उनका कहना है कि केसर की खेती जहां करनी है वह जलभराव का खेत नहीं होना चाहिए. केसर के खेत में जलभराव होने से कंद हरने लगता है और पौधे सूखने लगते हैं. इसकी खेती के लिए हल्की सिंचाई की जरूरत होती है लेकिन सिंचाई के समय जल का भराव नहीं होनी चाहिए.
ये भी पढ़ें- Business Idea: बिना तालाब मछली पालन से करें मोटी कमाई, जानिए बायोफ्लॉक तकनीक के बारे में सबकुछ
कब करें केसर की खेती?
TRENDING NOW
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
केसर की फसल लगने का सही समय जुलाई से अगस्त है लेकिन मध्य जुलाई का समय सबसे बेहतर होता है. केसर की खेती (Saffron Farming) कंद से की जाती है. कंद लगाते वक्त ध्यान रखे की कंद को लगाने के लिए 6 या 7 सेंटीमीटर का गड्ढ़ा करें और दो कंद के बिच की दूरी लगभग 1 सेंटीमीटर रखें. इससे पौधों अच्छे से फलेगी फूलेगी और पराग भी अच्छे मात्रा में निकलेगा. कंद लगाने के बाद 15 दिन में हल्की तीन सिंचाई की जरूरत होती है. यह 3 से 4 महीने की फसल है. धूप कम से कम 8 घंटा चाहिए. अधिक ठंड में यह पौधा सूख जाता है. इसकी खेती में सड़ा गोबर का खाद उपयुक्त होता है. औषधीय गुण में कोई कमी नहीं होती है.
एक हेक्टेयर में 1.5 किलोग्राम से 2 किलोग्राम सूखे फूल मिलता है जो केसर (Saffron) कहलाता है. पौधा अक्टूबर में फूलना शुरू कर देता है. फूल सुबह में खिलते हैं और दिन बढ़ने पर मुरझा जाते हैं. केसर की कटाई के बारे में अधिक विशिष्ट होने के लिए, केसर के फूलों को सूर्योदय से सुबह 10 बजे के बीच तोड़ना चाहिए.
ये भी पढ़ें- कड़कड़ाती ठंड में आलू की फसल में लग सकते हैं ये रोग, जान लें बचाव का तरीका नहीं होगा नुकसान
सोना-चांदी जैसा कीमती है केसर
किरण यादव का कहना है कि केसर की खेती में एक हेक्टेयर में करीब 1,80,000 रुपये की लागत आती है. दूसरे साल किसान को खेती में मजदूरी की लागत लगती है, क्योंकि रोपाई के लिए कंद होता है. एक बार रोपाई करने के बाद किसान दूसरे साल भी केसर के फसल की उपज ले सकते हैं. कश्मीरी केस की कीमत 3 से 5 लाख रुपये प्रति किलो होती है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
03:47 PM IST