बेबी कॉर्न की खेती से होगा मोटा मुनाफा, एक साल में 3-4 बार कर सकते हैं कमाई
Baby Corn Farming: केंद्र और राज्य सरकारें किसानों बेबी कॉर्न की खेती को प्रोत्साहित कर रही है. इस खेती से किसान साल में तीन-चार बार कमाई कर सकते हैं.
Baby Corn Farming: दुनिया भर में मक्के की खूब मांग है. भारत में मक्का खरीफ (Kharif) और रबी (Rabi) में दोनों सीजन में उगाया जाता है. हालांकि, अगर आप बेबी कॉर्न (Baby Corn Farming) की खेती करते हैं तो भी मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. मक्के की खेती के लिए केंद्र और राज्य सरकारें भी किसानों (Business Idea) को प्रोत्साहित कर रही है. इस खेती से किसान साल में तीन-चार बार कमाई कर सकते हैं. बेबी कॉर्न (Baby Corn) का इस्तेमाल सलाद, सूप, सब्जी, अचार व कैंडी, पकौड़ा, कोफ्ता, टिक्की, बर्फी लड्डू हलवा, खीर आदि के रूप में किया जाता है.
पौष्टिक आहार है बेबी कॉर्न
बेबी कॉर्न (Baby Corn) स्वादिष्ट व पौष्टिक आहार है और पत्ती में लिपटी होने के कारण कीटनाशक दवाईयों के प्रभाव में मुक्त होता है. बेबी कॉर्न में फास्फोरस भरपूर मात्रा में उपलब्ध है. इस के अतिरिक्त इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, लोहा व विटामिन भी उपलबध है. कोलेस्ट्राल रहित और रेशों के अधिकता के कारण यह एक कम कैलोरी वाला आहार है जो ह्रदय रोगियों के लिए काफी लाभदायक है.
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बेबी कॉर्न की खेती कैसे करें?
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बेबी कॉर्न (Baby Corn) की खेती के लिए पर्याप्त दोमट मिट्टी अच्छी होती है. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और बाकी दो-तीन जुताई कल्टीवेटर से करके पाटा लगाकर खेत को तैयार कर लेना चाहिए. बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना जरूरी है अन्यथा खेत पलेवा करके तैयार करना चाहिए.
Baby Corn की किस्में
बेबी कॉर्न (Baby Corn) की खेती के लिए कम समय में पकने वाली मध्यम ऊंचाई की सिंगल क्रॉस हाइब्रिड किस्में सबसे अधिक बेहतर होती है. इसमें बी.एल.-42, प्रकाश, एच.एम.-4 और आजाद कमल शामिल हैं. कम समय में पकने वाली सिंगल क्रॉस हाइब्रिड किस्में, जिसमें सिल्क आने की अवधि 70-75 दिन खरीफ में, 45-50 दिन बसन्त में और 120-130 दिन जाड़ें के मौसम में है. उत्तर भारत में बेबी कॉर्न (Baby Corn) फरवरी से नवंबर के बीच कभी भी बोया जा सकता है. बुआई मेड़ों के दक्षिणी भाग में करनी चाहिए और मेड़ से मेड़ और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी ×15 सेमी रखनी चाहिए.
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मौसम और फसल के अनुसार 2-3 सिंचाई की जरूरत होती है. पहली सिंचाई 20 दिन बाद दूसरी फसल के घुटने के ऊंचाई के समय व तीसरी फूल आने के पहले करनी चाहिए. बेबी कॉर्न (Baby Corn) में किसी तरह की बीमारी या कीट नहीं लगता क्योंकि इसकी बाली पत्तियों में लिपटी रहने के कारण घातक कीट व बीमारी से मुक्त होता है.
3-4 बार ले सकते हैं उपज
बेबी कॉर्न (Baby Corn) की गुल्ली को 3-4 सेमी , रेशमी कोपलें आने पर तोड़ लेना चाहिए. गुल्ली तुड़ाई के समय ऊपर की पत्तियों को नहीं हटाना चाहिए. पत्तियों को हटाने से ये जल्दी खराब हो जाती है. खरीफ में प्रतिदिन और रबी में एक दो दिन छोड़कर गुल्ली की तुड़ाई करनी चाहिए. सिंगल क्रॉस हाइब्रिड मक्का में 3-4 तुड़ाई जरूरी है. इस तरह खेती करने से बेबी कॉर्न (Baby Corn) की उपज 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है. इसके अलावा 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरा चारा भी मिल जाता है.
खरीफ में हरी फली और चारा के लिए लोबिया, उर्द, मूंग और रबी में बेबी कॉर्न (Baby Corn) के साथ आलू, मटर, राजमा, मेथी, धनिया, गोभी, शलजम, मूली, गाजर आदि इंटरक्रॉपिंग के रूप में लिया जाता है. इससे जो उपज मिलती है वह एक्स्ट्रा कमाई होती है.
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कितनी कमाई
बेबी कॉर्न (Baby Corn) की एक फसल से एक हेक्टेयर में 40,000 से 50,000 रुपये तक की नेट इनकम हो सकती है और वर्ष में 3-4 फसले उगाई जा सकती है. इस तरह कम समय में अधिक फायदा हो सकता है. अगर आप चार बार उपज लेते हैं तो साल में 2,00,000 रुपये कमा सकते हैं.
08:00 AM IST