Tata Group की पावर कंपनी पर बड़ा अपडेट, मंगलवार को शेयर पर रखें नजर
Tata Group Stock: टाटा ग्रुप की पावर कंपनी को ट्रांसफॉर्मर की लाइफ को लंबा करने वाले उपकरण ‘सेल्फ-रीजेनरेटिंग ट्रांसफार्मर ब्रीदर’ (Self Regenerating Transformer) के लिए पेटेंट मिला है.
Tata Power-DDL Patent: पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. (Tata Power-DDL) को ट्रांसफॉर्मर के जीवनकाल को लंबा करने वाले उपकरण ‘सेल्फ-रीजेनरेटिंग ट्रांसफार्मर ब्रीदर’ (Self Regenerating Transformer) के लिए पेटेंट मिला है. कंपनी ने सोमवार को बयान में कहा कि यह उपकरण बिजली ट्रांसफार्मर को नमी से बचाता है और इस तरह उसका जीवनकाल लंबा करता है. शेयर (Tata Power Share Price) सोमवार (23 सितंबर) को 2.29 फीसदी बढ़कर 454.35 रुपये पर बंद हुआ.
20 साल का पेटेंट मिला
उत्तरी दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली टाटा पावर डीडीएल ने कहा, कंपनी को ‘सेल्फ-रीजेनरेटिंग ट्रांसफार्मर ब्रीदर’ उपकरण के लिए 20 साल का पेटेंट मिला है. बयान के अनुसार, यह तकनीक टाटा पावर-डीडीएल के इनोवेशन के क्षेत्र में एक और उल्लेखनीय उपलब्धि है. इससे ट्रांसफॉर्मर ब्रीदर को नमी से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उसमें सिलिका जेल को बदलने संबंधी रखरखाव कार्यों में भी कमी आएगी.
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बता दें कि इस तकनीक के चलते सिलिका जेल (Silica Gel) को केवल ट्रांसफॉर्मर के रखरखाव के दौरान ही जांचा या बदला जाएगा. यह आमतौर पर दो साल में एक बार किया जाता है. इससे उलट, पारंपरिक डिजाइन वाले ट्रांसफॉर्मर में सिलिका जेल को प्रत्येक दो साल की रखरखाव अवधि में चार से छह बार बदला जाता है.
इस बारे टाटा पावर डीडीएल (Tata Power-DDL) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) गजानन एस काले ने कहा, हम मौजूदा चुनौतियों से पार पाने के लिए लगातार इनोवेशन और नयी तकनीक पर काम कर रहे हैं ताकि हमारे उपभोक्ताओं को बिजली की निर्बाध आपूर्ति होती रहे. उन्होंने कहा, यह पेटेंट प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी क्षमताओं का सबूत है, जो प्रतिकूल मौसम में बिजली आपूर्ति से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाये रखेगी.
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बयान के अनुसार, टाटा पावर-डीडीएल की इंजीनियरिंग टीम ने दिसंबर, 2015 में ‘सेल्फ-रीजेनरेटिंग ट्रांसफार्मर ब्रीदर’ तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. इसके बाद, 2016-17 में, 20 ब्रीदर को पायलट आधार पर लगाया गया था. इसकी सफलता के बाद कंपनी ने 2016 में इसके लिए पेटेंट को लेकर आवेदन किया था.
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05:30 PM IST