दुर्गा पूजा से ठीक पहले बहरीन पहुंची बंगाल की मिठाई मिहिदाना, विदेशी मार्केट में भारतीय व्यापारियों की होगी बल्ले-बल्ले
Mihidana Exported To Bahrain: APEDA लगातार स्वदेशी और भौगोलिक पहचान (GI) टैग प्रोडक्ट को बढ़ावा देने की पहल कर करा है.
एक बार मिल जाने के बाद जीआई टैग 10 साल के लिए मान्य होते हैं. (फोटो: twitter.com/PiyushGoyal)
एक बार मिल जाने के बाद जीआई टैग 10 साल के लिए मान्य होते हैं. (फोटो: twitter.com/PiyushGoyal)
Mihidana Exported To Bahrain: दुर्गा पूजा से ठीक पहले पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. बर्धमान से जीआई-टैग वाली मिठाई मिहिदाना की पहली खेप बहरीन एक्सपोर्ट की गई है. एपीईडीए (Agriculture and processed food production export Development Authority) द्वारा एक्सपोर्ट की जाने वाली यह अनूठी मिठाई बहरीन के अलजजीरा सुपरस्टोर्स में कंज्यूमर्स के लिए डिस्प्ले की जा रही है. वहीं दिवाली पर भी बहरीन को इस मिठाई की ज्यादा खेप एक्सपोर्ट की जाएगी. आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के बर्धमान को सदी पुरानी मिठाइयों के लिए 2017 में जीआई टैग मिला था.
एपीडा ने ट्वीट किया कि, स्वदेशी और जीआई टैग किए गए उत्पादों की निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने के लिए, पश्चिम बंगाल के अनूठे मीठे व्यंजनों से युक्त एक खेप, सीताभोग, लंगचा, चंद्रपुली और नारकेल नारू (नारियल, लड्ड और गुड़) बहरीन को निर्यात किया गया. आपको बता दें कि GI टैग एक विशिष्ट भौगोलिक पहचान को दर्शाता. यह Intellectual Property Rights (आईपीआर) का एक रूप आईपीआर के दूसरे रूपों से अलग है. APEDA लगातार स्वदेशी और भौगोलिक पहचान (GI) टैग प्रोडक्ट को बढ़ावा देने की पहल कर करा है.
In a boost to harness export potential of indigenous & #GI tagged products, a consignment consisting of unique sweet dishes from #WestBengal – #Sitabhog, #Langcha, #Chandrapuli & #Narkel Naru (#coconut #laddu with #jaggery) was exported the Kingdom of #Bahrain. #APEDA #Vocal4GI pic.twitter.com/9NX71MKeQm
— APEDA (@APEDADOC) October 5, 2021
जीआई टैग के साथ बेचे जाने वाले कुछ सामान
जीआई टैग कृषि, प्राकृतिक या मैन्युफैक्चर्ड सामानों के लिए जारी किया जा सकता है जिनकी भौगोलिक उत्पत्ति के कारण खास क्वालिटी और दूसरी खासियत हैं. जीआई टैग के साथ बेचे जाने वाले बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, कांचीपुरम सिल्क, मैसूर सिल्क, हैदराबादी हलीम आदि का प्रीमियम मूल्य निर्धारण होता है. पिछले कुछ सालों से, एपीडा देश से कम फेमस, स्वदेशी और जीआई-टैग खाद्य प्रोडक्ट को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. अगस्त 2021 में, इंडिया पोस्ट ने पश्चिम बंगाल की मिठाई मिहिदाना और सीताभोग पर एक विशेष कवर जारी किया था. वहीं एपीडा राज्यों में पैक हाउस स्थापित करने के लिए सहायता भी प्रदान करता है जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ताजे फल और सब्जियों के एक्सपोर्ट के लिए जरूरी आवश्यकता या बुनियादी ढांचे को पूरा करेगा.
प.बंगाल के Geographical Indication Tag युक्त मिहिदाना का स्वाद बेहतरीन,
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) October 5, 2021
भारत की मिठास पहुंची बहरीन।
📖 https://t.co/AuX80AsbK6 pic.twitter.com/gz0NHxqDOY
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क्या होता है जीआई टैग?
GI टैग यानि जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग ये एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है. ऐसा प्रोडक्ट जिसकी विशेषता या फिर नाम खास तौर से प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है
10 साल तक होता है मान्य
एक बार मिल जाने के बाद 10 वर्षों तक जीआई टैग मान्य होते हैं. इसके बाद उन्हें फिर रिन्यू कराना पड़ता है. भारत में दार्जिलिंग चाय, कश्मीर की पश्मीना, चंदेरी की साड़ी, नागपुर का संतरा, छत्तीसगढ़ का जीराफूल को यह टैग मिला है. वहीं ओडिशा की कंधमाल, गोरखपुर में टेराकोटा के उत्पाद, कश्मीरी का केसर, कांजीवरम की साड़ी, मलिहाबादी आम आदि को भी ये टैग हासिल है.
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04:44 PM IST