चोरी हो गई गाड़ी? घबराए नहीं...सरकारी ट्रैकिंग सिस्टम ढूंढ़ने में करेगा मदद, आया नया ड्राफ्ट
Stolen Car Tracking System: देशभर में सालाना गाड़ियों के चोरी होने का रिकॉर्ड करीब 2.5 लाख है. ऐसे में सरकार नए ट्रैकिंग सिस्टम पर काम कर रही है, जिसकी मदद से कार को ढूंढ़ना आसान हो जाएगा.
Stolen Car Tracking System: गाड़ी के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है. अच्छी खबर ये है कि अगर आपकी 4 व्हीलर कार चोरी हो जाती है, तो वापस मिल जाएगी. लेकिन सिर्फ एक ही टेक्नीक से. सरकार एक ऐसे ट्रैकिंग सिस्टम पर काम कर रही है, जिसकी मदद से चोरी हुई गाड़ी को ढूंढ़ पाना काफी आसान हो जाएगा. इसके लिए टेलीकॉम मंत्रालय ने एक ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है. दरअसल हर साल 3 बड़े राज्यों से गाड़ी चोरी के औसन मामले सामने आए है. देश में सालाना करीब 2.5 लाख गाड़ियां चोरी होती है. आइए जानते हैं डीटेल.
सालाना इतनी गाड़िया हुईं चोरी
बता दें, हर साल 3 बड़े राज्यों से गाड़ी चोरी के औसत मामले सामने आए हैं. दिल्ली में करीब 38 हजार, उत्तर प्रदेश में 34 हजार, महाराष्ट्र में करीब 22 हजार गाड़ियां चोरी हुई हैं. इनमें से पुलिस करीब 400 गाड़ियां ही ढूंढ़ पाई है.
एडवांस तकनीक ला रही है सरकार
देशभर में सालाना गाड़ियों के चोरी होने का रिकॉर्ड करीब 2.5 लाख है. हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट, एंटी थेफ्ट डिवाइसेस, तमाम प्रयासों के बावजूद वाहन चोरी की घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रहा है. ऐसे में सरकार नई और एडवांस तकनीक लाने की तैयारी में है. इसके लिए सरकार गाड़ियों के लिए नया ट्रैकिंग सिस्टम तैयार कर रही है, जिसकी मदद से गाड़ी चोरी होने पर उसे ट्रैक करना आसान होगा और चोर पुलिस की गिरफ्त में होंगे.
स्टेकहोल्डर्स से मांगे जाएंगे जवाब
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बता दें, नेशनल सेंटर फॉर कम्युनिकेशन सिक्योरिटी (NCCS) ने वाहन ट्रैकिंग डिवाइस के लिए इंडियन टेलीकम्युनिकेशन सिक्योरिटी एश्योरेंस (ITSAR) का ड्राफ्ट जारी किया है. सभी Stakeholders से 21 अप्रैल तक सुझाव मांगे जाएंगे.डिवाइस निर्माता कंपनियों, एप्लिकेशन सर्विस प्रोवाइडर्स, इंडस्ट्री बॉडीज और एक्सपर्ट्स समेत तमाम स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे गए हैं.
फास्ट ट्रैकिंग सिस्टम की क्यों पड़ी जरूरत?
चोरी हुई गाड़ियों को पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर जब तक उसको खोजने की प्रक्रिया शुरू करती है, तब तक गाड़ी के पुर्जे-पुर्जे बिक चुके होते हैं. NCCS के प्रस्तावित ड्राफ्ट के अनुसार, नया वाहन ट्रैकिंग डिवाइस ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का इस्तेमाल करेगा और डिजिटल मैप के साथ हर समय वाहन के स्थान के बारे में वास्तविक जानकारी देगा.
एडवांस तकनीक की जरूरत?
ये टेक्नोलॉजी निजी और पब्लिक व्हीकल्स के लिए बहुत काम की होने वाली है.
- मौजूदा उपाय पर्याप्त नहीं है
- नए सिस्टम में ऑटोमेटिव ट्रैकिंग डिवाइस इंटीग्रेटेड इमरजेंसी सिस्टम होगा
- इससे वाहन में लगी डिवाइस एक नेटवर्क कम्युनिकेशन सेंटर से कनेक्ट रहेगी
- सेंटर को गाड़ी की स्थिति, समय के साथ उसकी दिशा की जानकारी रियल टाइम में मिलती रहेगी
- गाड़ी चोरी किए जाने के बाद उसे किस ओर ले जाया जा रहा है, चुराकर और छिपाकर कहां रखा गया है, ऐसी तमाम जानकारी मिल जाएगी
- डिवाइस से कनेक्टेड ऐप में एक एमरजेंसी बटन भी होगा, जिसे दबाते ही नेशनल नेटवर्क कम्युनिकेशन सेंटर को गाड़ी की स्थिति के बारे में अलर्ट चला जाएगा.
- मौजूदा वाहन ट्रैकिंग डिवाइस वास्तविक समय में वाहन की पोजीशन ट्रैक करने में सक्षम तो हैं, लेकिन उसकी जानकारी वाहन मालिकों तक ही सीमित रहती है
- प्रस्तावित ट्रैकिंग सिस्टम एक नेशनल कम्युनिकेशन सेंटर से कनेक्टेड होगा
इन सुविधाओं से लैस होगा ट्रैकिंग सिस्टम
प्रस्तावित डिवाइस में ट्रैकिंग जानकारी कुछ समय के लिए स्टोर किया जा सकेगा, जिसे भविष्य में डाउनलोड भी किया जा सकता है. यह एनालिसिस में मदद करेगा.ट्रैकिंग डिवाइस गाड़ी की पोजीशन, फ्यूल लेवल, स्पीड वगैरह ट्रैक करेगा. यह GPS यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम का इस्तेमाल करेगा और सेल्युलर नेटवर्क या वायरलेस के माध्यम से डेटा स्टोर और प्रसारित करेगा. नेटवर्क प्रोवाइडर के जरिये डेटा सर्वर तक जाएगा और वाहन मालिक के साथ ही नेशनल कम्युनिकेशन सेंटर को भी ये जानकारी पहुंच जाएगी.
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07:46 PM IST