Childrens day 2022: गुलजार साहब ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि “बच्चों के साथ बात करना उनसे घुलना मिलना मुझे पसंद है. मुझे लगता है कि ये बेहद जरूरी भी है. जब तक आप उनके साथ घुल मिल नहीं जाते आप उनके लिए लिख नहीं सकते.” आज बाल दिवस के दिन हम गुलजार साहब के कुछ ऐसे गानों के बारे में बात करेंगे जो आपको भी आपके बचपन में ले जाएंगे.
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हम को मन की शक्ति देना – फिल्म गुड्डी
एक ऐसा गीत जो हर स्कूल में गाया जाने लगा था. इस गीत ने सिखाया कि दूसरों पर भरोसा करने से पहले इंसान को खुद पर भरोसा करना चाहिए “दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें”.
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सा रे के सा रे गा मा को ले कर - फिल्म परिचय
इस मास्टर पीस गाने में गुलजार साहब ने संगीत के सात सुरों का परिचय बड़ी ही आसानी से गाने के बोल में दिया. सा- सवेरा, रे- रेशमी किरणें, ध- धूप. साथ ही आरडी बर्मन साहब की म्यूजिक की समझ और पकड़ ने इस गाने को एक मास्टरपीस बना दिया.
आज तक बच्चे -बच्चे की जबान पर आप इस गाने के बोल सुन सकते हैं . जब भी ये गाना सुनाया जाता है इसके आसान और ध्यान खींचने वाले बोल तुरंत बच्चों के दिमाग में एक दृश्य बना देते हैं. “घोड़ा पहुंचा चौक में, चौक में था नाई.. घोड़े जी की नाई ने हजामत जो बनाई” सुनने में आपको भले ही समझ न आए. लेकिन एक बच्चे के दिमाग में घुसते ही ये बोल एक खुबसूरत दृश्य में तब्दील हो जाते हैं.
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मास्टर जी की आ गई चिट्ठी – फिल्म किताब
गुलजार साहब ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि “ टीचर के एब्सेंट होने पर क्लास में जो माहौल होता है. यहां मैंने वही दिखाने की कोशिश की है. पंचम दा की म्यूजिक में बेहतरीन समझ ने इस गाने को और निखारा. पंचम दा खुद भी दिल से एक बच्चे हैं. बच्चों की दुनिया की एक बेहतरीन समझ होने के कारण पंचम दा के म्यूजिक ने इस गाने को जिंदा किया.”
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