Delhi Air Pollution: जानिए कैसे आपकी सेहत पर असर डाल रही है जहरीली हवा, कैसे करें बचाव?
दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 के पार पहुंच गया है जो बेहद गंभीर स्थिति को दर्शाता है. एक्सपर्ट की मानें तो इतनी खराब हवा लोगों की सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है.
दिल्ली में हवा कि क्वालिटी लगातार खराब होती जा रही है. PM2.5 और PM10 जैसे प्रदूषणकारी अतिसूक्ष्म कणों से हवा में लगातार जहर घुल रहा है, जिसके कारण राजधानी और आसपास का क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए इस दमघोंटू हवा के बीच सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 के पार पहुंच गया है जो बेहद गंभीर स्थिति को दर्शाता है. रोजाना सुबह-सुबह आसमान में स्मॉग की मोटी चादर दिखाई देती है. एक्सपर्ट की मानें तो इतनी खराब हवा लोगों की सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है. आइए आपको बताते हैं कि ये जहरीली हवा कैसे लोगों के शरीर को नुकसान पहुंचा रही है.
इन कणों के बढ़ने से जहरीली होती है हवा
दरअसल सर्दी बढ़ने के साथ धुंध की चादर और मोटी हो जाती है, इसकी वजह है कि मौसम ठंडा होने के कारण हवा भारी हो जाती है और ऊपर नहीं जा पाती. ऐसे में हवा में पीएम-2.5 और पीएम-10 बढ़ने लगते हैं. ये अतिसूक्ष्म कण वायुमंडल में तरल या ठोस किसी भी रूप में हो सकते हैं. PM10 का व्यास 10 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है और PM 2.5 अतिसूक्ष्म कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है. PM 2.5 को बेहद खतरनाक माना जाता है. कोयले को जलाने, पराली जलाने, औद्योगिक ईकाइयों से उत्सर्जन, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं आदि तमाम इसके कारण हो सकते हैं.
जानिए शरीर को कैसे होता है नुकसान
सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. निष्ठा सिंह की मानें तो PM 2.5 की अधिकता बेहद खराब होती है. ये कण इतने छोटे होते हैं कि आप इन्हें खुली आंखों से भी नहीं देख सकते. ये कण आंखों में जलन की समस्या पैदा करते हैं. साथ ही सांस के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. ऐसे में खांसी, सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों में इन्फेक्शन, नाक, कान और गले में इन्फेक्शन, स्किन से जुड़ी समस्याएं, बालों का झड़ना आदि समस्याएं पैदा करते हैं. इसके अलावा जो लोग पहले से सांस के मरीज है, अस्थमा, हार्ट और बीपी के मरीज है, उन्हें इस बीच खासतौर पर सावधानी बरतनी चाहिए. ऐसे में मेडिकल एमरजेंसी की स्थिति भी पैदा हो सकती है.
बचाव के लिए क्या करें
- एयर पॉल्यूशन से बचने के लिए N95 मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलें.
- सुबह की सैर पर जाने से बचें. जब भी घर से बाहर निकलना हो तो शरीर को अच्छे से कवर करके ही बाहर जाएं.
- बाहर निकलते समय आंखों में चश्मा पहनें. जब भी बाहर से आएं तो हाथ-मुंह को अच्छे से धोने के बाद अपनी आंखों को ठंडे और साफ पानी से क्लीन करें.
- घर के गमलों में पीपल, मनीप्लांट, तुलसी आदि पौधे लगाएं ताकि आपके आसपास की हवा शुद्ध रहे.
- शरीर में पानी की कमी न होने दें. दिनभर में भरपूर पानी पीएं ताकि पानी के जरिए आपका शरीर डिटॉक्सीफाई होता रहे.
- योग और एक्सरसाइज घर में रहकर ही करें. खाने में हरी सब्जियां और जूसी चीजें लें. लेकिन इन्हें भी बनाने से पहले अच्छे से धोएं. बाहरी चीजों को खाने से परहेज करें.
- अस्थमा या सांस के मरीज हैं तो घर से बाहर निकलने से बचें. अगर निकल भी रहे हैं तो शरीर को पूरी तरह से कवर रखें और अपनी दवाएं व इन्हेलर साथ जरूर रखें.
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कितना एक्यूआई अच्छा माना जाता है
वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index- AQI) एक ऐसा नंबर होता है जो हवा की गुणवत्ता के बारे में बताता है. यह दरअसल एक नंबर होता है जिसके जरिए हवा का गुणवत्ता पता लगाया जाता है. 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में रखा जाता है.
10:33 AM IST