Karnataka Election Results: BJP नहीं तोड़ पाई 38 साल पुरानी परंपरा, जानिए पिछड़ने की क्या है वजह
Karnataka Election Results: कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है, रुझानों में कांग्रेस को बहुमत मिल गई है. रुझानों के बाद कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 38 साल पुरानी परंपरा तोड़ने से चूक गई. राज्य में 1985 के बाद से कोई भी पार्टी दोबारा सत्ता में वापसी नहीं की है.
Karnataka Election Results: कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है, रुझानों में कांग्रेस को बहुमत मिल गई है. चुनाव आयोग ने 224 विधानसभा क्षेत्रों के रुझान घोषित किए. कांग्रेस 119 सीटों पर, बीजेपी 72 सीटों पर और जेडीएस 25 सीटों पर आगे चल रही है. रुझानों के बाद कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 38 साल पुरानी परंपरा तोड़ने से चूक गई. राज्य में 1985 के बाद से कोई भी पार्टी दोबारा सत्ता में वापसी नहीं की है.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के रुझानों के मुताबिक, बीजेपी 80 से कम सीटों पर थमती दिख रही है. वहीं कांग्रेस एक बार फिर सत्ता का स्वाद चखने की ओर अग्रसर है. वह बहुमत का आंकड़ा पार कर चुकी है. राज्य में सरकार बनाने के लिए 113 सीटों की दरकार होती है जो कांग्रेस अकेले अपने दम पर हासिल कर रही है. ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन के क्या कारण हो सकते हैं.
TRENDING NOW
6 शेयर तुरंत खरीद लें और इस शेयर को बेच दें; एक्सपर्ट ने निवेशकों को दी कमाई की स्ट्रैटेजी, नोट कर लें टारगेट और SL
इस कंपनी को मिला 2 लाख टन आलू सप्लाई का ऑर्डर, स्टॉक में लगा अपर सर्किट, 1 साल में 4975% दिया रिटर्न
ये भी पढ़ें- Karnataka Election Results: कर्नाटक में कांग्रेस जीती तो लोगों को 200 यूनिट फ्री बिजली के साथ ये चीजें मिलेंगी मुफ्त
उत्तर भारत की पार्टी टैग ने बिगाड़ा खेल
भारतीय जनता पार्टी (BJP) को दक्षिण भारत राज्यों में उत्तर भारत की पार्टी के रूप में माना जाता है. गोमांस पर विवाद हो या हिंदी भाषा की प्रधानता, मोदी सरकार को आरएसएस के एजेंडे को बढ़ावा देने वाली ताकत के रूप में देखा जाता है. आरएसएस (RSS) के हिंदुत्व द्वारा परिभाषित जीवन का तरीका अभी भी कर्नाटक के लोगों के लिए कुछ अलग है. बीजेपी के खिलाफ जो काम करता है वह यह है कि बेंगलुरु और राज्य के अन्य हिस्सों में रहने वाले उत्तर भारतीय बड़े पैमाने पर युवा हैं जो हिंदुत्व संगठनों द्वारा की जाने वाली नैतिक पुलिसिंग से असहज हैं. यह वर्ग प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के पक्ष में हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि कर्नाटक में बीजेपी शासन को लेकर उत्साहित हो.
नेतृत्व का अभाव
BJP के लिए इस चुनाव में नए नेतृत्व की दुविधा रही. मुख्यमंत्री बोम्मई पार्टी का चेहरा रहे और पार्टी ने यह संकेत भी दिया कि अगर भाजपा सत्ता में वापस आती है तो वही मुख्यमंत्री रहेंगे, लेकिन इसके पीछे बड़ा फैक्टर उनका लिंगायत समुदाय से आना है. पार्टी के लिए कड़वी सचाई यह है कि अभी भी 80 साल के बीएस येदियुरप्पा उसके सबसे बड़े नेता बने हैं.
ये भी पढ़ें- Karnataka Election Results 2023: कर्नाटक की 224 सीटों के विजेता की पूरी लिस्ट, किस सीट से कौन जीता- यहां देखिए
पार्टी ने चुनाव प्रचार की शुरुआत में नए नेतृत्व की बदौलत चुनावी जंग लड़ने की कोशिश तो जरूर की, लेकिन जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आती गई, येदियुरप्पा पर पार्टी की निर्भरता बढ़ती गई. कहा तो यह भी गया कि बाद में टिकट वितरण तक में येदियुरप्पा की ही चली. इसी कारण बीजेपी की नई और पुरानी पीढ़ी के बीच विभाजन भी दिखा और इसे लेकर सार्वजनिक बयानबाजी भी हुई.
येदियुरप्पा पर नहीं रहा लोगों का भरोसा
जेल में समय बिताने के साथ भ्रष्टाचार का दाग येदियुरप्पा पर स्थायी रूप से चिपक गया है. बीजेपी दावा कर रही है कि अदालत के फैसले से ये दाग साफ हो गया है, लेकिन राजनीति धारणा से चलती है. ऐसे में राजनीतिक नैरेटिव से पूर्व सीएम पर लगा दाग मिटाना आसान नहीं है.एक प्रशासक के रूप में भी सिद्धारमैया का रिकॉर्ड येदियुरप्पा से बेहतर प्रतीत होता है. BJP ने अपने विकास कार्यक्रमों को राज्य के लोगों तक नहीं पहुंचाया. उसकी चर्चा पूरे चुनाव में न के बराबर हुई. किसी भी बड़े नेता की रैली में कर्नाटक सरकार की उपलब्धियों का गुणगान नहीं किया.
ये भी पढ़ें- karnataka election Result Live 2023: बीजेपी के निगेटिव कैंपन को जनता ने रिजेक्ट कर दिया- कांग्रेस
03:40 PM IST