Good Friday: क्यों यीशू को सूली पर चढ़ाया गया और क्यों इस दिन 12 से 3 के बीच की जाती है प्रार्थना? यहां जानिए
गुड फ्राइडे का दिन ईसाई समुदाय से जुड़े लोगों के लिए काले दिवस की तरह है. इस दिन ईसाई धर्म के लोग गिरजाघरों (Church) में जाकर विशेष प्रार्थना करते हैं. ये प्रार्थना अधिकतर दोपहर में 12 से 3 के बीच की जाती है.
Good Friday Unknown Facts: हर साल ईस्टर संडे (Easter Sunday) से पहले वाले शुक्रवार को गुड फ्राइडे (Good Friday) के तौर पर मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन जीसस क्राइस्ट यानी यीशू को सूली पर लटकाया गया था. ईसाई समुदाय से जुड़े लोगों के लिए ये दिन काले दिवस की तरह है. ये दिन यीशू की महानता, प्रेम की पराकाष्ठा, उनके त्याग और नेक मंशा का उदाहरण है. इसलिए इस दिन को होली डे, ग्रेट फ्राइडे और ब्लैक डे के तौर पर भी जाना जाता है.
इस दिन ईसाई धर्म के लोग गिरजाघरों (Church) में जाकर विशेष प्रार्थना करते हैं. ये प्रार्थना अधिकतर दोपहर में 12 से 3 के बीच की जाती है. क्या आप जानते हैं कि यीशू को आखिर सूली पर क्यों चढ़ाया गया था और गुड फ्राइडे के दिन प्रार्थना के लिए 12 से 3 बजे के समय को ही क्यों चुना गया? आज गुड फ्राइडे के मौके पर आइए आपको बताते हैं इस दिन से जुड़ी खास बातें.
इसलिए सूली पर लटकाया गया
यीशू को ईश्वर का बेटा कहा जाता है. ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार ईश्वर ने उन्हें पृथ्वी से अज्ञानता और अंधकार को मिटाने के लिए भेजा था. वे संसार में ईश्वर की महिमा का बखान करते थे और लोगों को ज्ञान की बातें बताते थे. उस वक्त यहूदियों के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने यीशु का बहुत पुरजोर तरीके से विरोध किया और उस समय के रोमन गवर्नर पिलातुस से यीशु की शिकायत कर दी. रोमन साम्राज्य हमेशा इस बात से डरते थे कि कहीं यहूदी क्रांति न कर दें. इसी के चलते यीशु को क्रॉस पर लटकाकर जान से मारने का आदेश दे दिया गया.
12 से 3 के बीच इसलिए होती है प्रार्थना
TRENDING NOW
Miniratna Defence PSU के कमजोर Q2 नतीजे, मुनाफे में आई 17% गिरावट, गिरते बाजार में शेयर में दिखी तेजी
कॉल और मैसेज के लिए नहीं होगी नेटवर्क की जरूरत, BSNL ने लॉन्च की देश की पहली सर्विस, जानिए कैसे करेगी काम
कहते हैं कि जिस समय ईसाह मसीह को सूली पर लटकाया गया था, तब उनकी उम्र 33 साल थी और दिन शुक्रवार था और समय 12 से 3 के बीच का माना जाता है. यही वजह है कि ज्यादातर चर्च में दोपहर 12 से 3 बजे तक प्रार्थना सभा और बाइबल में वचन को पढ़ा जाता है. कहते हैं कि ईसा मसीह सूली पर 6 घंटे लटके रहे और आखिरी के 3 घंटे के दौरान संपूर्ण राज्य में अंधेरा छा गया था. जब यीशु के प्राण निकले तो एक जलजला सा आया. कब्रों की कपाटें टूटकर खुल गईं और दिन में अंधेरा हो गया था. सूली पर लटकाने से पहले ईसाह मसीह को तमाम यातनाएं दी गई थीं. उसके बाद भी उन्होंने सबके भले के बारे में ही प्रार्थना की. ईसाह मसीह के आखिरी शब्द थे- ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं…’
गुड फ्राइडे से पहले 40 दिनों का व्रत
इसाई समुदाय में गुड फ्राइडे से 40 दिन पहले से घरों में प्रार्थना शुरू हो जाती है और व्रत रखे जाते हैं. कुछ लोग इसे ईसाइयों का रोजा भी कहते हैं. 40 दिन बाद में जब व्रत खत्म होता है, तब गुड फ्राइडे के दिन वो चर्च जाते हैं. इस दिन मंदिर में घंटे की बजाय लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं. लोग दान-पुण्य वगैरह करते हैं और बढ़चढ़कर अच्छे काम करते हैं. साथ ही इस दिन प्रभु यीशु के उपदेशों का स्मरण किया जाता है. गुड फ्राइडे के दिन ईसा के अंतिम सात वाक्यों की विशेष व्याख्या की जाती है जो क्षमा, मेल-मिलाप, सहायता और त्याग पर केंद्रित होती है.
ईस्टर संडे पर अंडे के आकार का गिफ्ट
गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद ईस्टर संडे आता है. माना जाता है कि इस दिन यीशू फिर से जिंदा हो गए थे. इस दिन ईस्टर एग यानी कि अंडे का विशेष महत्व है. ईस्टर संडे के दिन लोग एक दूसरे को अंडे के आकार के गिफ्ट देते हैं. यही नहीं सजावट में भी अंडे के आकार का इस्तेमाल किया जाता है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
07:00 AM IST