स्मार्टफोन से आंखों के कैंसर का ऐसे लगा सकते हैं पता, समय रहते हो सकेगा इलाज
Smartphone: डॉक्टरों के मुताबिक ये हर 15000 में एक बच्चे में पाया जाता है. ये एक रेयर तरह का कैंसर है जिसकी वजह से लोगों को इसके बारे में बहुत कम जानकारी होती है.
आंखों का कैंसर 6 महीने से लेकर 6 साल तक के बच्चों में अधिक पाया जाता है.
आंखों का कैंसर 6 महीने से लेकर 6 साल तक के बच्चों में अधिक पाया जाता है.
कैंसर पर हो रही रिसर्च में तरह-तरह के कैंसर सामने आ रहे हैं, इसमें कई तो जानलेवा साबित होते हैं और कई ऐसे भी हैं जिनका सही समय पर इलाज कराने से मरीज की जान बचाई जा सकती है. इन्हीं में से एक है 'रैटिनोब्लासटोमा'. ये एक खास तरह का आंखों का कैंसर है जो 6 महीने से लेकर 6 साल तक के बच्चों में पाया जाता है. आप इसका पता अपने स्मार्टफोन से लगा सकते हैं, ताकि समय पर पता लगने से समुचित इलाज हो सके.
स्मार्टफोन से ऐसे लगा सकते हैं पता
राहत की बात ये है कि इसके लक्षण बाकी कैंसर के मुकाबले जल्दी सामने आ जाते हैं और इसका पता मामूली स्मार्टफोन के कैमरे से लगाया जा सकता है. इसके लिए डिम लाईट में कैमरे की फ्लैश लाईट ऑन करके बच्चे की आंखो का तस्वीर लेनी होती है, फोटो इतनी नज़दीक से लेनी होती है कि बच्चे की आंख की पुतली साफ नजर आनी चाहिए. आम तौर पर आंखो की पुतली काली होती है लेकिन अगर आखों की पुतली या उसके आस पास सफेद रंग का कुछ रिफ्लैक्शन दिखता है तो ये 'रैटिनोब्लासटोमा" के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे में बच्चे को खास तौर पर आंखों के डॉक्टर के पास ले जाना जरुरी है.
15000 में एक बच्चे में होती है ये बीमारी
डॉक्टरों के मुताबिक ये हर 15000 में एक बच्चे में पाया जाता है. ये एक रेयर तरह का कैंसर है जिसकी वजह से लोगों को इसके बारे में बहुत कम जानकारी होती है. लेकिन सही समय पर इलाज न होने पर ये ट्यूमर का रुप लेकर शरीर के बाकी हिस्सों में फैल जाता है और अन्य कैंसर की तरह ये भी खतरनाक साबित हो सकता है.
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एम्स में एक मामला आया सामने
21 साल के एक मरीज 'रैटिनोब्लासटोमा' के शिकार रहे हैं. सही समय पर पता लगने से मरीज की जान तो बच गई लेकिन उसने अपनी एक आंख हमेशा के लिए खो दी. मरीज का कहना है कि 1 साल की उम्र में उनके माता-पिता ने देखा कि वो बहुत ज्यादा सोते हैं और उठने पर ज्यादातर रोते रहते हैं. साथ ही उनकी एक आंख लाइट पड़ने पर सफेद चमकती थी. आस-पास के डॉक्टरों ने कुछ दवाई तो दी लेकिन किसी ने इस कैंसर के बारे में उनको नहीं बताया.' रैटिनोब्लासटोमा के बारे में उन्हें तब पता चला जब तकलीफ बढ़ने पर एम्स में दिखाया गया.
03:39 PM IST