SEBI Meeting: इनसाइडर ट्रेडिंग, फ्रंटरनिंग से लेकर कॉरपोरेट बॉन्ड तक, निवेशक जान लें 10 बड़ी बातें
सेबी ने कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए ऐसी प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य में बड़ी कटौती करने का फैसला किया है. इसके साथ ही म्यूचुअल फंड में ‘फ्रंट-रनिंग’ और इनसाइडर ट्रेडिंग पर लगाम लगाने के लिए फैसला हुआ कि असेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना होगा. जान लें 10 बड़ी बातें.
मार्केट रेगुलेटर SEBI की बोर्ड मीटिंग में मंगलवार को शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड से जुड़े निवेश पर कई बड़े फैसले लिए गए हैं. बाजार नियामक सेबी ने कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए ऐसी प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य में बड़ी कटौती करने का फैसला किया है. इसके साथ ही म्यूचुअल फंड में ‘फ्रंट-रनिंग’ और इनसाइडर ट्रेडिंग पर लगाम लगाने के लिए फैसला हुआ कि असेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना होगा. जान लें 10 बड़ी बातें.
1. सेबी ने कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए इनके अंकित मूल्य को घटा दिया है. फिलहाल कंपनियों की तरफ से जारी होने वाले एक बॉन्ड का अंकित मूल्य एक लाख रुपये होता है लेकिन सेबी ने अब इसे घटाकर 10,000 रुपये करने का फैसला किया है. इसके अलावा पात्र धारकों की पहचान के लिए रिकॉर्ड डेट को भी स्टैंडर्डाइज कर दिया गया है.
2. सेबी ने जारीकर्ताओं को मर्चेंट बैंकर नियुक्त करने की जरूरत के साथ 10,000 रुपये के कम अंकित मूल्य पर निजी आवंटन के जरिये एनसीडी या गैर-परिवर्तनीय प्रतिदेय तरजीही शेयर (NCRPS) जारी करने का विकल्प प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
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3. सेबी ने सिर्फ गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों (NCDs) को लिस्ट कराने वाली कंपनियों के लिए अखबरों में अपने वित्तीय नतीजों के प्रकाशन से संबंधित निर्देशों को भी लचीला बनाने का फैसला किया है.
4. सेबी बोर्ड ने अपनी बैठक में रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) के संदर्भ में यूनिट-आधारित कर्मचारी लाभ (यूबीईबी) के लिए एक रूपरेखा तैयार करने का भी फैसला किया है. सेबी ने कहा कि रीट के प्रबंधक या इनविट के निवेश प्रबंधक इनकी यूनिट के आधार पर अपने कर्मचारियों के लिए यूनिट-आधारित कर्मचारी लाभ योजनाओं की पेशकश कर सकते हैं.
5. सेबी निदेशक मंडल ने फैसला किया कि परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना होगा. इसके साथ ही निदेशक मंडल ने ऐसे संस्थागत तंत्र के लिए म्यूचुअल फंड का संचालन करने वालीं एएमसी के प्रबंधन की जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ाने का निर्णय लिया.
6. नियामक चाहता है कि एएमसी गलतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले ‘व्हिसिल ब्लोअर’ तंत्र बनाकर पारदर्शिता को बढ़ावा दे. सेबी के मुताबिक, संस्थागत तंत्र से एएमसी के कर्मचारियों, डीलरों, स्टॉक ब्रोकरों या किसी अन्य संबंधित संस्थाओं द्वारा संभावित गड़बड़ी का पता लगाने और सूचना देने की उम्मीद की जाती है. इसमें खास तरह की गड़बड़ी की पहचान, निगरानी और पता लगाने के लिए उन्नत निगरानी प्रणाली, आंतरिक नियंत्रण प्रक्रियाएं और वृद्धि प्रक्रियाएं शामिल होनी चाहिए.
7. एएमसी से संबंधित गड़बड़ी में फ्रंट रनिंग, भेदिया कारोबार और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग शामिल हैं. जब कोई ब्रोकर या निवेशक गोपनीय जानकारी के आधार पर किसी कारोबार में शामिल होता है, उसे ‘फ्रंट रनिंग’ कहते हैं. यह ऐसी संवेदनशील जानकारी होती है, जिससे परिसंपत्ति की कीमत प्रभावित होती है.
8. यह निर्णय सेबी द्वारा एक्सिस एएमसी और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से संबंधित दो ‘फ्रंट-रनिंग’ मामलों में जारी आदेश के बीच आया है. नियामक ने बयान में कहा, "हाल में सामने आए मामलों को ध्यान में रखते हुए निदेशक मंडल ने संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए एएमसी को एक व्यवस्थित संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996 में संशोधन को मंजूरी दी.'' एक्सिस एएमसी मामले में ब्रोकर-डीलरों, कुछ कर्मचारियों और संबंधित संस्थाओं को एएमसी के कारोबारों को ‘फ्रंट-रनिंग’ में लिप्त पाया गया था. वहीं एलआईसी मामले में, एक सूचीबद्ध बीमा कंपनी के एक कर्मचारी को सौदों की ‘फ्रंट-रनिंग’ करते हुए पाया गया था.
9. जहां सेबी इस संस्थागत तंत्र की विस्तृत रूपरेखा को निर्धारित करेगा वहीं म्यूचुअल फंड निकाय 'एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया' (एम्फी) सेबी के परामर्श से ऐसे संस्थागत तंत्र के लिए विस्तृत मानकों को तय करेगा. इसके अतिरिक्त, नियामक ने म्यूचुअल फंड के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रायोजक की समूह कंपनियों की प्रतिभूतियों के संबंध में निष्क्रिय योजनाओं के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों को सुव्यवस्थित किया है. वर्तमान में, म्यूचुअल फंड योजनाओं को प्रायोजक की समूह कंपनियों में अपने शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) का 25 प्रतिशत से अधिक निवेश करने की अनुमति नहीं है.
10. इसके अलावा अपनी योजनाओं के निवेश को पूरी तरह से समाप्त करने में असमर्थता के संबंध में पूर्ववर्ती उद्यम पूंजी कोष (वीसीएफ) मानदंडों के तहत पंजीकृत वीसीएफ के समक्ष आने वाले मुद्दों के समाधान को लेकर सेबी के निदेशक मंडल ने प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस प्रस्ताव के तहत ऐसे वीसीएफ को वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) नियमों में स्थानांतरित होने और अघोषित निवेश के मामले में एआईएफ के लिए उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाने का विकल्प मिलेगा.
(एजेंसी से इनपुट के साथ)
09:20 AM IST