IPO 2022: आईपीओ से जुटाई गई रकम 2022 में हुई आधी, अगले साल और गिरावट की आशंका
IPO 2022: बढ़ती महंगाई के बीच ब्याज दरों में बढ़ोतरी और मंदी की आशंका के कारण 2022 का साल निवेशकों के लिए परेशानी भरा रहा.
साल 2023 में बाजार में रह सकती है नरमी. (File Photo)
साल 2023 में बाजार में रह सकती है नरमी. (File Photo)
IPO 2022: लिस्टेड कंपनियों के शेयर प्राइस में गिरावट आने और जियो-पॉलिटिकल टेंशन के कारण आई वॉलेटिलिटी से प्राइमरी मार्केट में सेंटिमेंट्स प्रभावित हुईं जिससे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के जरिए वर्ष 2022 में महज 57,000 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सके. नए वर्ष में इन गतिविधियों में और भी सुस्ती आने का अनुमान है. इस साल आईपीओ के जरिये जुटाए गए फंड में से 20,557 करोड़ रुपये यानी 35% हिस्सेदारी अकेले एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) की थी. अगर इस साल एलआईसी (LIC) का आईपीओ नहीं आया होता तो इनिशियल शेयर सेल से होने वाला कुल कलेक्शन और भी कम होता. बढ़ती महंगाई के बीच ब्याज दरों में बढ़ोतरी और मंदी की आशंका के कारण 2022 का साल निवेशकों के लिए परेशानी भरा रहा.
साल 2023 में बाजार में रह सकती है नरमी
True Beacon and Zerodha के को-फाउंडर निखिल कामत ने कहा, दुनियाभर में ग्रोथ के मंद पड़ने के बीच 2023 मुश्किल साल रहने वाला है. भारत में भी इसके दुष्प्रभाव नजर आएंगे. मेरा अनुमान है कि 2023 में बाजार नरम रह सकता है और आईपीओ के जरिये फंड जुटाने की गतिविधियों में भी अगले वर्ष कमी आ सकती है या फिर यह 2022 के स्तर पर ही रह सकता है.
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जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेस में रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि शेयर बाजारों (Stock Market) में वॉलेटिलिटी रहने की आशंका के बीच 2023 में IPO का कुल आकार कम रहने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि हाल में आए आईपीओ के कमजोर प्रदर्शन का भी निवेशकों पर असर पड़ने और उसकी वजह से निकट भविष्य में कमजोर प्रतिक्रिया रहने का अनुमान है.
36 कंपनियों ने IPO से जुटाए 56,940 करोड़
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 16 दिसंबर तक कुल 36 कंपनियां अपने आईपीओ लेकर आईं जिससे 56,940 करोड़ रुपये जुटाए गए. अगले हफ्ते दो और कंपनियों के आईपीओ आने वाले हैं जिसके बाद यह राशि और बढ़ जाएगी. वर्ष 2021 में 63 कंपनियों ने सार्वजनिक निर्गम से 1.2 लाख करोड़ रुपये जुटाये थे जो बीते दो दशकों में आईपीओ का सबसे अच्छा साल रहा था. इसके पहले 2020 में 15 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 26,611 करोड़ रुपये जुटाये थे. आईपीओ के अलावा रूचि सोया (Ruchi Soya) की सार्वजनिक पेशकश में 4,300 करोड़ रुपये जुटाए गए थे.
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ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर आईपीओ पर
फरवरी में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने की वजह से निवेशकों के लिए माहौल परेशानी भरा रहा क्योंकि भारत समेत दुनियाभर के बाजारों में गिरावट आई. इसके अलावा दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाईं इससे भी प्राथमिक बाजार की धारणा प्रभावित हुई. इसका असर शेयरों के दाम पर पड़ा और कंपनियों ने आईपीओ लाने की योजना टाल दी.
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(पीटीआई)
09:45 PM IST