345 गुना सब्सक्राइब हुआ था ये IPO, सेबी ने लिस्टिंग पर लगाई रोक, जानिए पूरा मामला
Trafiksol IPO: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने SME कंपनी ट्रैफिकसॉल ITS टेक्नोलॉजीज की लिस्टिंग पर फिलहाल रोक लगा दी है. IPO की अर्जी में दिए डिस्क्लोजर की जांच होगी.
Trafiksol IPO: एसएमई आईपीओ में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ी खबर है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने एसएमई कंपनी ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (Trafiksol ITS Technologies) द्वारा आईपीओ दस्तावेजों में किए गए खुलासे की विस्तृत जांच करने का फैसला किया है. इसके साथ ही सेबी ने बीएसई (BSE) को कंपनी के शेयर लिस्ट करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ने का निर्देश दिया.
विशेष खाते में रखी जाएगी रकम
मार्केट रेगुलेटर ने अपने अंतरिम आदेश में BSE से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आईपीओ से मिली राशि को ब्याज वाले विशेष खाते में रखा जाए और ट्रैफिकसोल या उसके सहयोगियों को अगली सूचना तक यह रकम न दी जाए. सेबी की जांच 30 दिन के भीतर पूरी हो जाएगी. BSE ने निवेशकों की चिंताओं के बाद अपने एसएमई प्लेटफॉर्म पर ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजीज (Trafiksol ITS Technologies) की लिस्टिंग को स्थगित कर दिया था. सेबी का फैसला इसके करीब एक महीने बाद आया है.
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सेबी को शक कि वेंडर कहीं शेल कंपनी तो नहीं है. 17.70 करोड़ रुपये सॉफ्टवेयर खरीद में इस्तेमाल होना था. इश्यू 44.87 करोड़ रुपये था. आरोप है कि जिस कंपनी से सॉफ्टवेयर खरीदने की बात कही थी उसका सॉफ्टवेयर के कारोबार से लेना देना नहीं है। साथ ही कंपनी का दफ्तर बंद मिला. वेंडर ने 3 साल का ऑडिटेड खाता RoC में नहीं दिया था. FY22, FY23, FY24 का खाता इस साल सितंबर में साइन.
345 गुना से अधिक सब्सक्राइब हुआ था IPO
ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजीज (Trafiksol ITS Technologies) के 45 करोड़ रुपये के आईपीओ को 345 गुना से अधिक सब्सक्राइब हुआ था. कंपनी के खिलाफ शिकायत मिली थी कि वह कथित तौर पर गलत दावे करके फर्जी कंपनियों के जरिये आईपीओ से मिली आय में हेराफेरी करना चाहती थी.
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IPO खुलने के एक हफ्ते पहले ऑडिटर ने साइन किया
कंपनी ने बीते तीन साल का अपना वित्तीय लेखा जोखा रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को नहीं सौंपा था. कंपनी ने पिछले कारोबारी साल की आमदनी निल दिखाई थी. तीनों साल के वित्तीय लेखे जोखे पर ऑडिटर ने इसी साल सितंबर की तारीख में दस्तखत किए थे. मतलब IPO खुलने के एक हफ्ते पहले ही ऑडिटर ने दस्तावेज पर दस्तखत किए थे. जीएसटी का रजिस्ट्रेशन भी इसी साल जनवरी में किया था. GST के रजिस्ट्रेशन के लिए कंपनी ने अपने कारोबार के विषय में बताया था कि ट्रेड रिटेलर है रीटेल कारोबार से जुड़ाव है.
ट्रैफिकसॉल ITS टेक्नोलॉजीज की सेबी करेगी जांच
- जांच पूरी होने तक कंपनी की लिस्टिंग पर रोक लगी
- सेबी 30 दिन की मियाद में अपनी जांच पूरी करेगी
- DRHP में दिए गए सभी डिस्क्लोजर की जांच होगी
- निवेशकों से जुटाए पैसे अलग खाते में रखे जाएंगे
- सेबी को शक कि वेंडर कहीं शेल कंपनी तो नहीं है
- 17.70 Cr रु सॉफ्टवेयर खरीद में इस्तेमाल होना था
- इश्यू 44.87 Cr रु था, 17.70 Cr रु सॉफ्टवेयर के लिए
- वेंडर ने 3 साल का ऑडिटेड खाता RoC में नहीं दिया था
- FY22, FY23, FY24 का खाता इस साल सितंबर में साइन
- IPO खुलने के एक हफ्ते पहले ऑडिटर ने साइन किया था
- ICAI के नियमों के तहत दस्तावेजों पर UDIN भी नहीं था
- वेंडर का GST रजिस्ट्रेशन भी इसी साल जनवरी में हुआ था
- GST रजिस्ट्रेशन में बताया था कि कंपनी का रिटेल कारोबार
09:52 AM IST