New Wage Code: 60 की उम्र में मिलेंगे 1,08,94,586 करोड़ रुपए, आपका EPF का पैसा ही बना देगा करोड़पति, जानें कैसे
New Wage Code 2022 latest news: न्यू वेज कोड के लागू होने को लेकर काफी चर्चा चल रही है. सूत्रों की मानें तो जल्द ही इसे अमली जामा पहनाने की तैयारी है. लेकिन, इसमें सैलरी में जो बदलाव होने वाले हैं, उसमें सबसे ज्यादा रिटायरमेंट फंड पर असर पड़ेगा.
New Wage Code 2022: न्यू वेज कोड में Cost to Company (CTC) को लेकर काफी चर्चा है. सूत्रों की मानें तो जल्द ही न्यू Wage Code लागू कर दिया जाएगा. Labour Ministry में इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है. ड्राफ्ट्स पर ज्यादातर राज्यों की मंजूरी मिल चुकी है. इस कोड के लागू होने पर सबसे ज्यादा असर प्राइवेट नौकरी करने वालों पर होगा. इससे टेक होम सैलरी, PF और Gratuity पूरी तरह बदल जाएगी. इस कोड में प्राइवेट नौकरीपेशा के हाथ में आने वाली सैलरी घट सकती है. हालांकि, बुढ़ापे को लेकर सरकार ज्यादा अच्छी व्यवस्था कर रही है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मंथली इन हैंड सैलरी बेशक घटेगी लेकिन, बेसिक बढ़ने से रिटायरमेंट फंड में ज्यादा पैसा जमा होगा. इससे रिटायरमेंट के लिए बड़ा फंड तैयार होगा. इसके अलावा Gratuity में भी फायदा मिलेगा.
यहां समझें Calculation
अगर किसी एम्प्लॉई की उम्र 30 साल है और उसकी मंथली सैलरी 50 हजार रुपए है और बेसिक सैलरी 15 हजार रुपए होगी. तो रिटायरमेंट यानि 60 की उम्र तक अगर हर साल 5% सैलरी में एवरेज अप्रेजल ली जाए तो मौजूदा ब्याज दर 8.1% के हिसाब से नियमित निवेश से PF अकाउंट में कुल रकम 65,36,758 रुपए होगी.
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अब किसी एम्प्लॉई की बेसिक सैलरी 25 हजार रुपए महीना हो जाएगी. तब रिटायरमेंट पर PF की रकम 1,08,94,586 रुपए हो जाएगी. यहां सालाना इंक्रीमेंट 5 फीसदी लिया गया है, जिससे PF का फंड और बढ़ जाएगा.
क्या है कॉस्ट टू कम्पनी (Cost to Company)
New Wage code benefits: किसी कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारी पर किया जाने वाला खर्च CTC होता है. यह कर्मचारी का पूरा सैलरी पैकेज होता है. CTC में मंथली बेसिक पे, भत्ते, रीइम्बर्समेंट शामिल होता है. वहीं, सालाना आधार पर ग्रेच्युटी, एनुअल वैरिएबल पे, एनुअल बोनस जैसे प्रोडक्ट शामिल होते हैं. CTC की रकम कर्मचारी की टेक होम सैलरी के बराबर कभी नहीं होती. CTC में कई कंपोनेंट होते हैं इसलिए यह अलग होती है. CTC = ग्रॉस सैलरी + PF + ग्रेच्युटी
बेसिक सैलरी होती क्या है?
बेसिक सैलरी किसी कर्मचारी की बेस इनकम होती है. सभी कर्मचारियों के लेवल के आधार पर यह फिक्स होती है. यह कर्मचारी के पद और जिस उद्योग में वह काम कर रहा है उसके अनुसार होती है.
ग्रॉस सैलरी किसे कहते हैं?
बिना टैक्स काटे जो बेसिक पे और भत्तों को जोड़कर सैलरी बनती उसे ग्रॉस सैलरी कहते हैं. इसमें बोनस, ओवर टाइम पे, हॉलिडे पे और अन्य मद के भत्ते शामिल होते हैं.
Gross Salary = बेसिक सैलरी+HRA+अन्य भत्ते
क्या होती है नेट सैलरी?
नेट सैलरी को टेक होम सैलरी भी कहते हैं. टैक्स कटने के बाद जो सैलरी बनती है उसे नेट इनकम कहते हैं.
Net Salary = Basic Salary + HRA + भत्ते - आयकर - EPF - Professional Tax
कौन-कौन से भत्ते होंगे शामिल?
कंपनी कर्मचारी को नौकरी की एवज में भत्ते देती है. यह हर कंपनी में अलग-अलग हो सकता है.
> HRA : हाउस रेंट अलाउंस कर्मचारी को रेंट पर घर के एवज में दिया जाता है.
> LTA : LTA कर्मचारी को घरेलू यात्रा पर दिए जाने वाला खर्च है. इसमें फूडिंग, होटल किराया शामिल नहीं होता.
> वाहन भत्ता : कनवेंस अलाउंस कर्मचारी को दफ्तर से घर जाने में आने वाले खर्च के एवज में दिया जाता है.
> महंगाई भत्ता : DA जीविका से जुड़ा भत्ता है. यह महंगाई की एवज में दिया जाता है. इसके पात्र सरकारी कर्मचारी और पेंशनर होते हैं.
> अन्य भत्तों में स्पेशल अलाउंस, मेडिकल अलाउंस व प्रोत्साहन या इंसेटिव शामिल होता है.
कितना होगा रिइम्बर्समेंट
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कई कंपनियों में कर्मचारी को इलाज, फोन खर्च, न्यूजपेपर बिल को रीइम्बर्स करने का प्रावधान होता है. यह रकम सैलरी से अलग मिलती है. लेकिन बिल देने पर ही. आयकर अधिनियम के तहत हर रीइम्बर्समेंट में एक सीमा तक ही कर छूट है.
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