जानें क्या है 'वन रैंक, वन पेंशन' योजना, रिटायर सैनिकों को क्या है फायदा
वन रैंक-वन पेंशन स्कीम के तहत अलग-अलग समय पर रिटायर हुए एक ही रैंक के दो सैनिकों की पेंशन राशि में बड़ा अंतर नहीं होगा. भले ही वे कभी भी रिटायर हुए हों.
वन रैंक, वन पेंशन योजना के तहत केंद्र सरकार ने इस साल 35,000 करोड़ का बजट मंजूर किया है (फाइल फोटो- PTI)
वन रैंक, वन पेंशन योजना के तहत केंद्र सरकार ने इस साल 35,000 करोड़ का बजट मंजूर किया है (फाइल फोटो- PTI)
2014 में सत्ता में आते ही केंद्र की बीजेपी सरकार ने रिटायर सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की थी. तीन साल पहले इस योजना को लागू कर दिया गया था. वन रैंक-वन पेंशन स्कीम के तहत अलग-अलग समय पर रिटायर हुए एक ही रैंक के दो सैनिकों की पेंशन राशि में बड़ा अंतर नहीं होगा. भले ही वे कभी भी रिटायर हुए हों. इस बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सैनिकों के लिए जारी कल्याणकारी योजनाओं का बजट लगातार बढ़ाया जा रहा है.
इससे पहले स्थिति यह थी कि 2006 से पहले रिटायर हुए सैनिकों को कम पेंशन मिलती थी, यहां तक कि अपने से छोटे अफसर से भी कम पेंशन उनके खाते में आती थी. इस व्यवस्था को लेकर रिटायर सैनिकों में काफी आक्रोश था और वे लंबे समय से एक समान पेंशन की मांग भी कर रहे थे. इस व्यस्था से मेजर जनरल से लेकर कर्नल, सिपाही, नायक और हवलदार तक प्रभावित थे.
क्या थी मांग
जानकारी के मुताबिक, वर्तमान में लगभग 25 लाख रिटायर्ड सैनिक हैं. सैनिकों की मांग थी कि जो अफसर कम से कम 7 साल कर्नल की रैंक पर रहा हो, उसे समान रूप से पेंशन मिले. ऐसे अफसरों की पेंशन 10 साल तक कर्नल रहे अफसरों से कम नहीं होगी, बल्कि उनके बराबर होगी. 2008 में पूर्व सैनिकों ने इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट (आइएसएम) नाम से एक संगठन बनाकर लंबे समय तक संघर्ष भी किया. दिल्ली के जंतर-मंतर पर लगातार धरने-प्रदर्शन किए गए.
फौजियों की मांग थी कि उन्हें भी 60 साल पर रिटायर किया जाए. सैनिकों को 33 साल पर ही रिटायर कर दिया जाता है और उसके बाद सारा जीवन उन्हें पेंशन पर ही गुजारना पड़ता है. जबकि अन्य कर्मचारी 60 साल तक पूरी तनख्वाह पाते हैं.
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फौजी सिर्फ इतना ही चाहते थे कि छठे वेतन आयोग को लागू करते हुए समान पद और समान समय तक सर्विस कर चुके फौजियों को एक समान पेंशन दी जाए, चाहे दोनों किसी भी साल में रिटायर हुए हों.
कुछ राज्य सरकारों ने भी सैनिकों की इस मांग का समर्थन किया था. यह आंदोलन इतना तेज हुआ कि पूर्व सैनिकों ने अपने खून से पत्र लिखकर राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया और हजारों सैनिकों ने अपने मैडल तक वापस कर दिए.
2014 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी. केंद्र सरकार ने अपना बजट पेश करते हुए इस मद में 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा. हालांकि इससे पहले फरवरी में यूपीए सरकार वन रैंक, वन पेंशन योजना को अमल में लाने की घोषणा कर चुकी थी, लेकिन चुनावों में सत्ता पलट हो गया.
वन रैंक, वन पेंशन का इतिहास
रिटायर सैनिकों में समान पेंशन की मांग लंबे समय से है. इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो पता चलता है कि 1973 तक सशस्त्र बलों में 'वन रैंक, वन पेंशन' योजना थी और उन्हें अन्य कर्मचारियों से ज्यादा वेतन मिलता था. लेकिन 1973 में आए तीसरे वेतन आयोग ने सैनिकों की तनख्वाह आम लोगों के समान कर दी थी.
2008 में पूर्व सैनिकों ने इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट (आइएसएम) नाम से एक संगठन बनाकर 'वन रैंक, वन पेंशन' की मांग को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया था. दिल्ली के जंतर-मंतर पर यह आंदोलन लगातार 85 दिन चला था. पीएम नरेंद्र मोदी के आश्वासन के बाद धरना समाप्त हुआ था.
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा. सितंबर 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने 'वन रैंक, वन पेंशन' पर आगे बढ़ने का आदेश दिया. 2010 में रक्षा पर बनी संसद की स्थाई समिति ने 'वन रैंक, वन पेंशन' योजना को लागू करने की सिफारिश की थी.
सितंबर, 2013 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने पर 'वन रैंक, वन पेंशन' योजना लागू करने का वादा किया था.
आम चुनावों से पहले फरवरी, 2014 यूपीए सरकार ने 'वन रैंक, वन पेंशन' योजना को लागू करने का फैसला किया और इस मद में 500 करोड़ रुपये का बजट का आवंटन किया थी.
लेकिन मई में सत्ता परिवर्तन हुआ और जुलाई, 2014 में एनडीए सरकार ने इस मद में 1000 करोड़ के बजट का प्रावधान किया, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया. फरवरी, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर 'वन रैंक, वन पेंशन' योजना को लागू करने का आदेश दिया था.
OROP के फायदे
वन रैंक, वन पेंशन योजना से सैना से रिटायर हो रहे अधिकारियों और सैनिकों को ये फायदे होंगे-
- समान रैंक, समान पेंशन योजना का लाभ मिलेगा.
- जो सैनिक 2006 से पहले रिटायर हो चुके हैं और जो अब रिटायर होंगे, उन सभी को एक समान पेंशन मिलेगी.
- ओआरओपी का मतलब ये है कि एक ही रैंक से रिटायर होने वाले अफसरों को एक जैसी ही पेंशन मिलेगी.
- यानी 1990 में रिटायर हुए कर्नल को आज रिटायर होने वाले कर्नल के समान ही पेंशन मिलेगी.
- इस योजना से लगभग 3 लाख रिटायर सैनिकों को फायदा होगा.
- इस योजना के तहत मिलने वाली राशि की भुगतान चार किस्तों में किया जाएगा. पहली किस्त का भुगतान हो चुका है.
07:40 PM IST