Health Policy: किन स्थितियों में बदलनी चाहिए हेल्थ पॉलिसी और किन बातों का रखना चाहिए ध्यान, यहां जानिए काम की बात
अगर आप अपनी हेल्थ पॉलिसी से संतुष्ट नहीं हैं, तो सिम की तरह आप इसे भी दूसरी हेल्थ पॉलिसी में पोर्ट करवा सकते हैं. लेकिन पोर्ट कराने से पहले आपको कुछ बातों को ध्यान रखना चाहिए.
अगर आप हेल्थ पॉलिसी ली है और आप इसकी सर्विस से संतुष्ट नहीं हैं, तो सिम की तरह आप इसे भी दूसरी हेल्थ पॉलिसी (Health Policy) में पोर्ट करवा सकते हैं. हालांकि सभी तरह की हेल्थ पॉलिसी पोर्ट नहींं होतीं, आपकी पॉलिसी जिस तरह की है, उसी तरह की आप पोर्ट करवा सकते हैं जैसे आप रिम्बर्समेंट प्लान को रिम्बर्समेंट प्लान में ही पोर्ट करवा सकते हैं. हालांकि हेल्थ पॉलिसी को भी विशेष स्थितियों में ही पोर्ट कराना चाहिए. यहां जानिए किन स्थितियों में बदलनी चाहिए हेल्थ पॉलिसी और पोर्ट करवाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
इन स्थितियों में ही लें कंपनी बदलने का फैसला
- कंपनी की खराब सर्विस
- डिजिटल फ्रेंडली न होना
- पॉलिसी में कम लाभ
- रूम किराया सीमा कम होना
- अपर्याप्त कवर
- निपटान प्रक्रिया में जटिलता
- क्लेम देने में देरी
- पारदर्शिता की कमी
पोर्ट कराते समय ध्यान रखें ये बातें
- पॉलिसी को पोर्ट कराने से पहले नई कंपनी की प्रीमियम दरों के बारे में अच्छे से पता कर लें. अगर आप उच्च जोखिम वाली श्रेणी में हैं, तो हो सकता है कि नई कंपनी आपसे पुरानी कंपनी की तुलना में ज्यादा प्रीमियम वसूल करे. इसलिए पोर्ट कराने से पहले तीन से चार कंपनियों के बारे में पता करें. उनके प्रीमियम के साथ उनकी सर्विस का भी पता करें, तब ही कोई फैसला लें.
- दूसरी कंपनी कम प्रीमियम ऑफर कर रही है, ये देखकर कभी कंपनी को न बदलें. दूसरी और भी कंपनियों के ऑफर्स की तुलना उससे करें. साथ ही नई कंपनी के कवरेज, उसकी लिमिट और सब-लिमिट को समझें.
- वर्तमान कंपनी में पॉलिसी एक्सपायर होने के 45-60 दिन पहले आपको पोर्ट के लिए अप्लाई करना होगा. साथ ही वर्तमान बीमा कंपनी को पॉलिसी पोर्ट कराने के संबंध में सूचना देनी होगी और नई कंपनी की जानकारी को भी मुहैया कराना होगा. आपको अपनी अवधि को ब्रेक किए बिना ही पॉलिसी का नवीनीकरण करना होता है, इसलिए पोर्टिंग प्रक्रिया शुरु होने पर 30 दिन की अनुग्रह अवधि मिलती है.
ऐसे करें पोर्ट
लिसी एक्सपायर होने के 45-60 दिन पहले आपको पोर्ट के लिए अप्लाई करें. नई कंपनी को पोर्टेबलिटी रिक्वेस्ट मिलने के बाद कंपनी आपको पोर्टिबिलिटी और प्रपोजल फॉर्म भेजेगी, जिसके बाद आप इन दोनों फॉर्म को भरेंगे. इस फॉर्म में आपको अपनी निजी जानकारी और पिछली इंश्योरेंस कंपनी की जानकारी देनी होगी. पॉलिसी खरीदने के बाद 30 दिन का वेटिंग पीरियड, पुरानी बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड, किसी खास बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड और पुरानी पॉलिसी का नो क्लेम बोनस (No Claim Bonus) भी नई पॉलिसी में ट्रांसफर किया जा सकता है.
पॉलिसी को पोर्ट करवाते समय आपको कुछ दस्तावेजों की जरूरत होती है. इसमें हेल्थ इंश्योरेंस को रिन्यू करने से संबंधित नोटिस या पिछले साल का पॉलिसी शेड्यूल, नो क्लेम बोनस क्लेम करना है तो एक घोषणापत्र, कोई क्लेम किया है तो डिस्चार्ज समरी, जांच और फॉलो-अप रिपोर्ट, पिछली मेडिकल हिस्ट्री, रिपोर्ट और कॉपी आदि शामिल हैं.
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11:18 AM IST