World Ozone day 2022: वर्ल्ड ओजोन डे आज, क्या है इस साल की थीम, जाने इतिहास और महत्व
ओजोन लेयर के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 16 सितंबर को वर्ल्ड ओजोन डे मनाया जाता है. जानिए क्या है इस दिन का महत्व और इतिहास.
World Ozone Day 2022: हर साल 15 सितंबर को वर्ल्ड ओजोन डे मनाया जाता है. इसका मकसद लोगों को प्रकृति को लेकर जागरूक करना है. इस दिन को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1964 को की थी. इस दिन लोगों को कई तरह के कार्यक्रम के द्वारा समझाया जाता है कि इस दिन का क्या महत्व है. हर साल ओजोन डे पर लोगों को क्लोरोफ्लोरोकार्बन, प्लास्टिक और सभी हानिकारक पदार्थों के इस्तेमाल को कम कर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है.
ओजोन दिवस का इतिहास
वैज्ञानिकों ने साल 1970 में ओजोन लेयर में छेद होने के बारे में दुनिया को बताया. इसके बाद दुनिया भर में इसके उपाय को लेकर बैठक हुई. साल 1985 में ओजोन लेयर की रक्षा के लिए वियना कन्वेंशन को अपनाया. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र और 45 अन्य देशों ने ओजोन लेयर को खत्म करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर 16 सितंबर 1987 को हस्ताक्षर किए थे. इसके बाद 19 दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 दिसंबर की तारीख को अंतरराष्ट्रीय ओजोन डे मनाने का फैसला किया. साल 1995 में पहला वर्ल्ड ओजोन डे मनाया गया.
World Ozone day 2022 की थीम
हर सेल ओजोन लेयर के प्रति जागरूक करने के लिए एक थीम जारी की जाती है. विश्व ओजोन दिवस 2022 थीम ” इस साल की थीम Global Cooperation Protecting life on Earth (पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने वाला वैश्विक सहयोग) थीम रखी गई है.
ओजोन लेयर क्या है?
TRENDING NOW
कॉल और मैसेज के लिए नहीं होगी नेटवर्क की जरूरत, BSNL ने लॉन्च की देश की पहली सर्विस, जानिए कैसे करेगी काम
Miniratna Defence PSU के कमजोर Q2 नतीजे, मुनाफे में आई 17% गिरावट, गिरते बाजार में शेयर में दिखी तेजी
ओजोन लेयर ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली गैस है और ये पृथ्वी के वायुमंडल की एक लेयर है, जो सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों से हमें बचानी है. ओजोन लेयर पृथ्वी पर मौजूद जीव-जंतुओं और पौधों को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है. फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने 1913 में इस परत की खोज की थी.
अल्ट्रावायलेट किरणों से नुकसान
समय के साथ हम लोग बहुत ज्यादा नए अप्लायंसेज और टेक्नोलॉजी पर डिपेंड हो गए हैं. आज हर घर में फ्रिज और एसी है इससे निकलने वाली गैस से ओजोन लेयर को काफी नुकसान होता है.अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों से हमारे स्किन का मेलेनिन (Melanin) बढ़ जाता है. यहां आपको बता दें कि किसी के स्किन का कलर उसके बॉडी में मेलेनिन पर डिपेंड करता है. जिसके बॉडी में मेलानिन पिंगमेंट ज्यादा होगा, उस इंसान का स्किन कलर डार्क होगा. ये मेलानिन पिगमेंट कैंसर की वजह भी बन सकता है. यूवी किरण से स्किन का कसाव कम होने लगता है. इसकी वजह से स्किन डैमेज से त्वचा का कसाव कम होने लगता है जिससे, त्वचा ढीली पड़ जाती है और सिकुड़ने लगती है.
अल्ट्रावायलेट किरण बनाते हैं समय से पहले बुढ़ा
अल्ट्रावायलेट की वजह से चेहरे पर फाइन लाइन्स और झुर्रियां दिखने लगती है, जिसके कारण लोग समय से पहले बूढ़े नजर आने लगते हैं. यूवी किरण हमारी आंखों को भी नुकसान पहुंचाती हैं. इनसे मोतियाबिंद जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ये किरणें हमारे इम्यून सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और लोग आसानी से इंफेक्शन और बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं.
ओजोन की सुरक्षा के उपाय
- सनस्क्रीन लगाएं.
- विटामिन सी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें.
- वाहन का इस्तेमाल कम से कम करें.
- रबर और प्लास्टिक के टायर जलाने पर रोक लगाएं
- ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं.
- पौधे को नुकसान पहुंचाने वाले पेस्टीसाइड का उपयोग कम करें.
11:59 AM IST