अजीम प्रेमजी क्यों हैं बेहद खास, बेशकीमती और सच्चे 'भारत रत्न'
अजीम प्रेमजी अब तक अपनी संपत्ति से 1.45 लाख करोड़ रुपये दान कर चुके हैं.
अजीम प्रेमजी महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते हैं (फाइल फोटो).
अजीम प्रेमजी महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते हैं (फाइल फोटो).
जो कहानी 19वीं सदी के उत्तरार्ध में एक नए भारत के सपने के साथ शुरू हुई थी, वो आज भारत के इतिहास में महान त्याग की कहानी बन गई है. ये कहानी है अजीम हाशिम प्रेमजी (Azim Hashim Premj) , जिन्होंने 21 साल की उम्र में विप्रो लिमिटेड (Wipro) की स्थापना की और देखते-देखते उसे साबुन-तेल बेचने वाली कंपनी से भारत की विशाल आईटी कंपनी बना दिया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक विप्रो 1999 तक इतनी बड़ी हो चुकी थी कि सिर्फ अपने 22% शेयर बेचकर रिलायंस को खरीद सकती थी. उस समय अजीम प्रेमजी भारत के सबसे धनवान व्यक्ति थे. धन-वैभव के शिखर पर पहुंचने के बाद प्रेमजी ने त्याग और परोपकार की ऐसी मिसाल पेश की जिस सुनकर हर किसी का सिर उनके सम्मान में झुक जाए. अजीम प्रेमजी अब तक अपनी संपत्ति से 1.45 लाख करोड़ रुपये दान कर चुके हैं.
विप्रो में 67% हिस्सेदारी दान की
उन्होंने विप्रो में अपने शेयर के अलावा विप्रो इंटरप्राइजेज और प्रेमजी इनवेस्ट में अपनी हिस्सेदारी भी दान की है. जिस विप्रो को उन्होंने बनाया, उसमें उनकी और उनके परिवार की महज 7% हिस्सेदारी है. उनकी इस उदारता पर बॉयोटेक की संस्थापक और अजीम प्रेमजी की दोस्त किरन मजूमदार शॉ ने ट्वीट किया, 'अजीम प्रेमजी बेहद खास हैं, बेशकीमती हैं और सच्चे 'भारत रत्न' हैं.' उन्होंने आगे लिखा, 'प्रेमजी की उदारता की कोई सीमा नहीं है. उन्होंने अपने दान को बढ़ाकर 21 बिलियन डॉलर कर दिया है, इसमें विप्रो की उनकी 67% हिस्सेदारी शामिल है. मैं अत्यधिक सम्मान के साथ उनके इस विशाल परोपकार को सलाम करती हूं.'
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Azim Premji is a gem of a man a true ‘Bharat Ratna’ https://t.co/w8zKpkIWqM
— Kiran Mazumdar Shaw (@kiranshaw) March 13, 2019
कराची में हुआ जन्म
अजीम प्रेमजी का जन्म 1945 में कराची में हुआ था. उनके पिता चावल और तेल के बड़े व्यापारी थे और मुंबई में आकर बस गए थे. देश के विभाजन के बाद जिन्ना ने उनसे पाकिस्तान में बसने का आग्रह किया, लेकिन अजीम प्रेमजी के पिता ने मना कर दिया. अजीम प्रेमजी ने अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनीवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की. पिता का अचानक देहांत होने के बाद प्रेमजी को फैमली बिजनेस संभालने के लिए भारत वापस आना पड़ा. इस समय उनकी उम्र सिर्फ 21 वर्ष थी.
महात्मा गांधी हैं आदर्श
अजीम प्रेमजी महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते हैं. उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा जनकल्याण के कार्यों को बढ़ावा दिया. फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में आज 1300 स्टूडेंट पढ़ते हैं और अब मध्य प्रदेश में एक नया कैंपस खोलने की तैयारी है. प्रेमजी फाउंडेशन देश के 2 लाख से अधिक पब्लिक स्कूलों के साथ मिलकर काम कर रहा है और उनकी शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए योगदान कर रहा है. फाउंडेशन खुद कोई स्कूल नहीं चलता है, लेकिन स्कूलों के पाठ्यक्रम और बेहतर बनाने के लिए उसके 1600 फील्ड वर्कर काम कर रहे हैं. ये फील्ड वर्कर पाठ्यक्रम को बेहतर बनाने और अध्यापकों को प्रशिक्षित करने का काम कर रहे हैं. इसके अलावा फाउंडेशन भारत में महिला और बच्चों के विकास के लिए भा काम कर है.
02:47 PM IST