भारत की दवा नकली या विदेशियों को लग रही कड़वी? दवा कंपनियों के लाइसेंस रद्द होने की Exclusive Inside Story
देशभर में कई दवा कंपनियों पर छापेमारी की गई है. 18 कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं और 26 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. कुल 76 कंपनियां अभी भी सरकार के रडार पर हैं.
आज हम आपको सावधान करने वाली खबर दिखाने जा रहे हैं क्योंकि जिन दवाओं को आप अपने जीवन को बचाने के लिए खाते हैं, उसे कुछ कंपनियां मिलावट करके जहरीला बना रही हैं. और इसी पर बड़ी कार्रवाई करते हुए देशभर में दवा कंपनियों पर छापेमारी की गई है. 18 कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं और 26 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. कुल 76 कंपनियां अभी भी सरकार के रडार पर हैं. यह खामियां भारत सरकार के Central Drugs Standard Control Organization (CDSCO) की पकड़ में आई.
सबस्टैंडर्ड दवाओं की लिस्ट मिली है
SUBSTANDARD दवाओं की Exclusive 145 पन्नों की सूची हैं. इन 145 पन्नों में जनवरी, 2022 से लेकर जनवरी 2023 तक 13 महीने में भारत में टेस्टिंग के दौरान मिली Substandard दवाओं की पूरी लिस्ट है. इस अवधि में भारत सरकार को कुल 635 दवाएं Substandard मिल चुकी हैं. लिस्ट को अगर ठीक से देखें तो इसमें ज्यादातर दवाएं आम हैं और उनका प्रयोग एक बड़ी आबादी करती है, जैसे बुखार की दवा, पेट दर्द की दवा, Vitamin, B Complex जैसी दवाएं...." अगर इसी डाटा की गिनती करें तो भारत में हर महीने लगभग 49 दवाएं Substandard पाई जा रही हैं, जो आपका इलाज करने के बजाए आपको बीमार कर रही हैं.
सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर ने चलाया अभियान
भारत में लगातार Substandard दवाओं के मिलने और दुनिया भर में भारतीय दवाओं की किरकिरी होने के बाद सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर ने राज्यों के साथ मिलकर अभियान चलाया. हमें स्वास्थ्य मंत्रालय के एक पुख्ता सूत्र ने जानकारी मिली कि भारत सरकार मिलावटी दवाओं को बनाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई कर रही है और दिसंबर 2022 से लेकर अब तक भारत सरकार 18 ऐसी दवा कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर चुकी है जो भारत मे खराब क्वालिटी की या मिलावटी दवाएं बना रहे थे. सूत्रों ने हमें ये भी बताया है कि पिछले तीन महीने में 203 कंपनियों का इंस्पेक्शन किया गया है और ये कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी.
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भारत की छवि को पहुंच रहा नुकसान
भारत सरकार को अपनी कार्रवाई के दौरान क्या कुछ मिला है और फर्जी दवा बनाने वाली कंपनियों की क्या Modus Operandi है. इसकी जानकारी भारत के तत्कालीन DCGI VG SOMANI के आज से 3 महीने पहले दिसंबर 2022 में देश के सभी राज्यो के ड्रग कंट्रोलर को लिखे गए एक्सक्लूसिव लेटर में मिलती है. लेटर में तत्कालीन DCGI भारत के सभी राज्यों के ड्रग कंट्रोलर को बताते हैं कि किस तरह से हिमाचल प्रदेश में स्थित एक कंपनी बिना लाइसेंस के दूसरी कंपनी की दवाओं को बना रही थी, और पकड़े जाने पर पता चला कि ये दवाएं देश के कई राज्यों तक फैल चुकी थीं. भारत दुनिया में सबसे ज्यादा दवाएं बनाता है और दुनिया भर को दवाएं सप्लाई भी करता है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से भारत की “Pharmacy to the World” की छवि को नुकसान हो रहा था और ये कार्रवाई करना बेहद जरूरी हो गया था.
इस पूरे मामले का बैकग्राउंड क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले वर्ष दिसंबर में भारत में बनने वाले 2 कफ सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया था. ये कफ सिरप नोएडा की फार्मास्युटिकल कंपनी मेरियन बायोटेक फार्मा ने बनाए थे जिन्हें उज्बेकिस्तान में एक्सपोर्ट किया गया. उजबेकिस्तान ने वहां कफ सिरप की वजह से बच्चों की जान जाने का आरोप लगाया था. वैसे कार्रवाई के बाद ये कंपनी भारत सरकार ने बंद कर दी है. अफ्रीकी देश गांबिया ने अक्टूबर के महीने में भारत के हरियाणा की फार्मा कंपनी मेडन फार्मा के कफ सिरप से अपने देश में 66 बच्चों की मौत का आरोप लगाया था. इसी वर्ष फरवरी में भारत में बनी Eye drops एजरीकेयर आर्टिफिशियल टियर्स को अमेरिका में न इस्तेमाल करने की अपील की गई. आरोप था कि इन Eye drops के इस्तेमाल से अमेरिका में 55 लोगों को इंफेक्शन हुआ और एक व्यक्ति की जान चली गई.
भारत का दवा बाजार साख पर टिका है. भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल टेस्टिंग के दौरान 2 से 3 प्रतिशत दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरतीं और उन्हें बाजार में आने से रोक दिया जाता है लेकिन फिर ऐसा क्यों हो रहा है कि विदेशों से भारत की दवाओं को लेकर शिकायतें आ रही हैं? कहीं ये भारत के दवा बाजार को नुकसान पहुंचाने की साजिश तो नहीं? या फिर सच में कहीं कोई कमजोर कड़ी है?
सबस्टैंडर्ड दवाएं क्या होती हैं?
अब आप सोच रहे होंगे कि SUBSTANDARD दवाओं की परिभाषा क्या है और क्यों ये दवाएं आपके स्वास्थ्य के लिए जानलेवा हैं? तो पहले आपको ये समझना जरूरी है कि SUBSTANDARD का मतलब ये नहीं कि वो दवा नकली है. हो सकता है कि दवा में मिलाए गए सॉल्ट की मात्रा कम या ज्यादा हो, उसके लेबल पर जानकारी पूरी ना दी गई हो या फिर वो पूरी तरह नकली हो यानी उसमें दवा का कोई कॉम्पोनेंट ही मौजूद ना हो.
Video देखें: Aapki Khabar Aapka Fayda: कैसे नकली दवाओं के कारोबार को पूरी तरह से बंद किया जा सकता है? देखिए ये चर्चा
कहां पेंच कसने की जरूरत है?
भारत में क्यों मिलावटी दवाओं को बनाने वालों पर उचित कार्रवाई नहीं हो पाती है और क्यों सिर्फ लाइसेंस रद्द होना ही सबसे बड़ी कार्रवाई बची है? कानूनी विशेषज्ञों की मानें तो इसका बड़ा कारण भारत का DRUGS AND COSMETIC ACT 1940 है जो आज भी अंग्रेजों के जमाने का है. ऐसे में बदलाव की जरूरत यहां भी है जिससे इसे सिविल ऑफेंस नहीं क्रिमिनल ऑफेंस माना जाए. भारत में जिस तरह से लगातार SUBSTANDARD दवाओं की पहुंच बढ़ती जा रही है ऐसे में आज जरूरत है कानून को और सख्त करने की जिससे भारत और भारतीयों की सेहत दोनो ठीक बनी रहे.
भारत पर भरोसा कायम रखे जाने की जरूरत
भारत दवा उत्पादन के हिसाब से तीसरे और वैल्यू के लिहाज से 14वें स्थान पर है. भारत का दवा बाजार 50 अरब डॉलर यानी 4 लाख करोड़ रुपए का है जो 2030 तक 130 अरब डॉलर यानि तकरीबन 10 लाख करोड़ रुपए की वैल्यू का हो सकता है. दुनिया के 206 देशों में भारतीय दवा निर्यात की जाती है. दुनियाभर में अलग-अलग बीमारियों के 50 फीसदी टीके भारत से निर्यात होते हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि दुनिया को और हमें खुद भी अपनी दवा को खाते वक्त ये भरोसा हो कि भारतीय दवा की क्वालिटी सबसे अच्छी है.
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06:30 PM IST