Drive करते वक्त हो गई हैं गलतियां? वीडियो रिकॉर्डिंग देख मिल जाएगी सीख- जानें इससे जुड़े फायदे
Driving Test video To help drivers polish skill: अगर आप ड्राइविंग टेस्ट देने निकले हैं, फिर आपसे कोई गलती होती है, तो वो गलतियां अब वीडियो में रिकॉर्ड हो जाएंगी. उस वीडियो के जरिए आप अपनी ड्राइविंग स्किल्स सुधार सकते हैं.
Driving Test video To help drivers polish skill: अगर आप ड्राइविंग लाइसेंस (DL) पाने के लिए ड्राइव टेस्ट (Driving Test) देने के लिए गए हैं और इसमें गलती कर बैठते हैं, तो घबराए नहीं उसके लिए आपको आपकी गलती दिखा दी जाएंगी. इसका मतलब ये कि अगर आपने ड्राइविंग टेस्ट (Driving Test) देते वक्त कोई भी गलती की है, तो आपकी पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग आप तक पहुंच जाएगी. इसकी मदद से आप या कोई भी अपनी गलतियां देख सकेगा, जिसे आगे के लिए प्रेक्टिस में ला सकें.
बता दें शहर के ऑटोमेटेड टेस्ट ट्रैक (Automated Test Track) पर हाई फेलियर रेट (high failure rate) की वजह से, स्टेट ट्रांस्पोर्ट डिपार्टमेंट काम कर रहा है. इसमें STD कैंडिडेट्स की ड्राइव टेस्टिंग के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग (Drive testing video Recording) करेगा, जिस पर फिलहाल वो काम कर रहा है.
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Driving Skill को सुधारने का मिलेगा मौका
एक रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) के अधिकारी ने बताया कि, कैंडिडेट्स अक्सर अपने फुटेज की एक कॉपी चाहते हैं. वो इसलिए ताकि वो समझ सकें, तो उन्होंने ड्राइव करते वक्त कहां गलती की और कहां नहीं. इससे उन्हें आगे के लिए अपनी ड्राइविंग स्किल को सुधारने का मौका मिलेगा.
अधिकारी ने कहा कि, 'दिल्ली में परमानेंट लाइसेंस (Permanent Licence) के लिए हर ड्राइविंग टेस्ट की वीडियोग्राफी कोर्ट के आदेश के अनुसार की जाती है. उन्होंने समझाया, 'हम इसे एप्लीकेंट को उपलब्ध कराने की वैलिडिटी की जांच कर रहे हैं. इस सुविधा को काफी स्ट्रिक्टनेस के साथ ऑन-रिक्वेस्ट लोगों तक पहुंचाया जाएगा.
ऑटोमेटेड ट्रैक पर जुलाई में 48.91% एप्लीकेंट हुए फेल
रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑटोमेटेड ट्रैक के पहले एक साल के परिणामों को देखा जाए, तो उनसे पता चलता है जुलाई 2019 तक खोले गए तीन ट्रैक पर कम से कम 48.91% एप्लीकेंट ड्राइविंग टेस्ट में फेल हुए हैं. हालांकि, इन ऑटोमेटेड ट्रैक को खोले जाने से पहले, फेल होने वाले एप्लीकेंट्स की दर केवल 16.24% थी.
दरअसल ऑटोमेटेड ट्रैक्स को खुले हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. इससे पहले ड्राइव टेस्ट सामान्य ट्रैफिक के साथ नॉर्मल से रास्ते पर किए जाते थे. इन टेस्ट में, जो भी ड्राइव टेस्ट देने आया है, उसे 1 किलोमीटर तक कम समय के लिए ड्राइव करने का मौका मिलता है. ऐसे में एक मोटर लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर उन्हें 1 किलोमीटर तक देखता है, कि वो कैसी ड्राइविंग कर रहा है. टेस्ट रिजल्ट पर लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर का ही फैसला आखिरी फैसला होता था. लेकिन जारी हुए नए टेस्ट फॉर्मेट में अब लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर टेस्ट की देखरेख करता है. जो रिजल्ट आता है उसका प्रिंट-आउट निकालकर उस पर अपने साइन करता है.
04:10 PM IST