कंज्यूमर ने पकड़ी ऐसी ‘चालबाजी’ कि Colgate Palmolive को लगी 65,000 रुपए की चपत
ये किस्सा है एक ऐसे जागरूक कंज्यूमर का जिसने एक दिग्गज कंपनी की गड़बड़ी उजागर की और उसे 65,000 रुपए की पेनाल्टी भरने पर मजबूर कर दिया.
कमीशन ने कंपनी को कीमतों के साथ खिलवाड़ के मुद्दे पर ही घेर लिया.(ज़ी बिज़नेस)
कमीशन ने कंपनी को कीमतों के साथ खिलवाड़ के मुद्दे पर ही घेर लिया.(ज़ी बिज़नेस)
महंगाई अक्सर तो डाकू बनकर आती है. हमारी कमाई पर खुलेआम डाका डालती है. लेकिन कई बार चोर की तरह भी आती है. धीरे से जेब काट लेती है. कंपनियां अक्सर सीधे-सीधे अपने प्रोडक्ट के दाम बढ़ा देती हैं. लेकिन कई बार ऐसे चुपके से चपत लगाती हैं कि हमें पता भी नहीं चलता. अपनी रोजमर्रा की उलझनों से हमें फुर्सत कहां कि देखें- कब कोई 500 ग्राम का पैक 400 ग्राम का हो गया और कीमत वही रही. कब 250 ग्राम वाला पैक 200 ग्राम का हो गया और दाम कुछ खास नहीं घटा. ये परखने की फुर्सत भी नहीं हमारे पास कि एक ही प्रोडक्ट की अलग-अलग क्वॉन्टिटी वाले पैक की MRP में कोई लॉजिकल कनेक्शन है या नहीं. लेकिन ये किस्सा है एक ऐसे जागरूक कंज्यूमर का जिसने एक दिग्गज कंपनी की गड़बड़ी उजागर की और उसे 65,000 रुपए की पेनाल्टी भरने पर मजबूर कर दिया.
50 ग्राम का पैक 20 रुपए का, तो 150 ग्राम का...?
सीधा हिसाब है ना? वजन 3 गुना बढ़ा तो कीमत भी 3 गुनी बढ़ेगी. यानी जवाब होगा 60 रुपये. बल्कि एक कंज्यूमर के तौर पर तो हम उम्मीद करेंगे कि बड़ा पैक है तो कुछ सस्ता ही होगा. लेकिन यहां कुछ उल्टा ही मामला चल रहा था. 150 ग्राम पैक की कीमत लिखी थी 92 रुपए. जी हां, आपके जवाब से 32 रुपए ज्यादा. लेकिन फिक्र मत कीजिए. आप सही हैं. कंपनी ही गलत थी. और ये हम नहीं कह रहे, कंज्यूमर कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है.
Colgate Max Fresh: बड़ा है तो ‘बदतर’ है?
Colgate Palmolive बहुत पुरानी और बहुत बड़ी कंपनी है. शायद ही कोई घर हो जहां इस कंपनी के प्रोडक्ट न मिलें. इसी कंपनी का एक टूथपेस्ट है Colgate Max Fresh Red Gel जिसे लेकर सारा झगड़ा शुरू हुआ. हुआ यूं कि हैदराबाद के प्रशांत नगर में रहने वाले 67 साल के पेंशनर सीएच नगेंद्र ने Reliance Fresh के एक स्टोर से 150 ग्राम का मैक्स फ्रेश खरीदा. कीमत थी 92 रुपए. उन्हें याद आया कि कुछ रोज पहले इसी टूथपेस्ट का 50 ग्राम का पैक उन्होंने 20 रुपए में खरीदा था. ये कैसा हिसाब हुआ? ये तो सरासर धोखाधड़ी है! उन्होंने सवाल उठाते हुए कंपनी को लीगल नोटिस भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं आया.
कंज्यूमर कमीशन के सामने कंपनी की अजीबो-गरीब दलील
सीएच नगेंद्र भी हार मानने वाले नहीं थे. उन्होंने अनुचित व्यापार व्यवहार (Unfair Trade Practices) का आरोप लगाते हुए संगारेड्डी के डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन (District Consumer Disputes Redressal Commission) में अर्जी दी. कोलगेट पामोलिव से जवाब तलब किया गया तो उसकी दलील काफी दिलचस्प थी. कंपनी ने कहा, ‘मैन्यूफैक्चरर को अपने प्रोडक्ट की उचित कीमत तय करने की आजादी है. टूथपेस्ट जरूरी प्रोडक्ट हो सकता है लेकिन कानून के तहत ये एसेंशियल कमोडिटी के तहत नहीं आता. इसलिए मैन्यूफैक्चरिंग, मार्केटिंग और सप्लाई चेन जैसे खर्चों के मद्देनजर कंपनी अपने प्रोडक्ट की कीमत तय कर सकती है. बिना किसी आधार या सबूत के ये कहना ठीक नहीं कि Colgate Max Fresh Red Gel की कीमत 92 रुपए रखना धोखा या सेवा में कमी है.’
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कंज्यूमर को लुभाने के लिए छोटे पैक सस्ते रखे: कंपनी
कोलगेट पामोलिव ने ये भी कहा कि ग्राहकों को लुभाने के इरादे से 20 ग्राम की कीमत 10 रुपए रखी गई है. उसने कहा, ‘अलग-अलग प्रोडक्ट हों या एक ही प्रोडक्ट के अलग साइज, कंपनी को उनकी कीमत तय करने का पूरा हक है. ऐसा अलग-अलग जरूरत रखने वाले ग्राहकों को ध्यान में रखकर किया जाता है. कानूनन कंपनी को अपने प्रोडक्ट की कीमत तय करने का अधिकार है. इसलिये ये आरोप गलत है कि इसमें किसी तरह का धोखा, सेवा में कमी या अनुचित व्यापार व्यवहार है.’
कंज्यूमर कमीशन ने खारिज की Colgate Palmolive की हर दलील
कमीशन ने कंपनी को कीमतों के साथ खिलवाड़ के मुद्दे पर ही घेर लिया. कंज्यूमर कमीशन ने कहा,’ग्राहक ने रिलायंस फ्रेश से जो प्रोडक्ट खरीदा वो उसे असल कीमत 92 रुपये की जगह डिस्काउंट पर 87.40 रु का मिला. कंपनी ने 150 ग्राम मैक्स फ्रेश का दाम भी मात्रा के अनुपात में नहीं रखा. अगर 20 ग्राम कोलगेट मैक्स फ्रेश 10 रुपए का है तो 150 ग्राम की कीमत 75 रुपए होनी चाहिए. इस सबके अलावा कंज्यूमर के भेजे लीगल नोटिस का जवाब नहीं देना भी कंपनी का लचर रवैया साबित करता है.’
(ऑफिशियल वेबसाइट)
बड़े पैक पर तो कंपनी का कम खर्च होता है: कंज्यूमर कमीशन
कमीशन ने कहा,’100 ग्राम पैक के मुकाबले 20-20 ग्राम के 5 पैक बनाना मैन्यूफैक्चरर के लिए ज्यादा खर्चीला होगा. भारत में ज्यादातर लोग फैमिली के हिसाब से खरीदारी करते हैं और टूथपेस्ट उनकी महीने की ग्रॉसरी का हिस्सा होता है. मिडिल क्लास फैमिली महीने के इस्तेमाल के लिए अक्सर बड़े पैक ही खरीदती हैं.’ कमीशन ने साफ कहा, ‘ये सच हो सकता है कि कोलगेट को अपने अलग-अलग प्रोडक्ट्स के दाम तय करने का अधिकार है लेकिन एक ही प्रोडक्ट और एक ही क्वॉन्टिटी के पैक की अलग-अलग कीमत नहीं वसूली जा सकती, चाहे पैक छोटा हो या बड़ा. हमारा मानना है कि कंपनी ने मात्रा के अनुपात में MRP तय नहीं की, इसलिए इसे अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस माना जाएगा.’
(रॉयटर्स)
कंज्यूमर वेल्फेयर फंड में जमा कराने पड़े 50,000 रुपए
इसी साल 22 जनवरी को आए फैसले में कंज्यूमर कमीशन ने कोलगेट पामोलिव को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस का दोषी माना. उसने कंपनी को आदेश दिया कि शिकायतकर्ता को जो मानसिक यातना झेलनी पड़ी उसकी भरपाई के लिए उसे 10,000 रुपए चुकाए. साथ ही, कानूनी खर्चों के तौर पर 5,000 रुपए का हर्जाना दे. कमीशन ने ये भी कहा कि कंपनी 50,000 रुपए कंज्यूमर वेल्फेयर फंड में जमा कराए. कोर्ट ने ये भी साफ कह दिया कि शिकायतकर्ता को ये मुआवजा 30 दिन के भीतर मिल जाना चाहिए.
(लेखक ज़ी बिज़नेस हिन्दी डिजिटल के ए़डिटर हैं)
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11:42 AM IST