EVs के लिए बुरी खबर! कच्चा माल, बैटरी उत्पादन के लिए चीन पर बढ़ेगी भारत की निर्भरता, जानिए वजह
Electric Vehicles: जीटीआरआई ने कहा कि विश्व स्तर पर बनने वाली हर चार बैटरी में से तीन का निर्माण चीन करता है. बता दें कि ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में सबसे बड़ी लिथियम खदानें (Lithium mines) चीन के अधिकार में हैं.
Electric Vehicles: इलेक्ट्रिक व्हीकल का भारत में मैन्युफैक्चरिंग होने से कच्चा माल, मिनरल प्रोसेसिंग और बैटरी उत्पादन के लिए देश की निर्भरता चीन पर बढ़ जाएगी. आर्थिक विचार समूह ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, जीटीआरआई (GTRI) ने इस रिपोर्ट में कहा कि बैटरी निर्माण, निस्तारण और चार्जिंग के दौरान प्रदूषक तत्व निकलते हैं. इसके अलावा भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों या ईवी की मैन्युफैक्चरिंग में लगने वाली करीब 70% सामग्री चीन तथा अन्य देशों से मंगवाई जाती है.
इसमें कहा गया, ईवी के लिए कच्चा माल, मिनरल प्रोसेसिंग और बैटरी उत्पादन के मामले में भारत की निर्भरता चीन पर बढ़ जाएगी. जीटीआरआई ने कहा कि विश्व स्तर पर बनने वाली हर चार बैटरी में से तीन का निर्माण चीन करता है. बता दें कि ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में सबसे बड़ी लिथियम खदानें (Lithium mines) चीन के अधिकार में हैं.
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रिपोर्ट में EV से संबंधित ऐसे 13 मुद्दों की पहचान की गई है जो उपभोक्ताओं, उद्योग और सरकार के हितों से जुड़े हैं और जिनका आकलन करना चाहिए. GTRI के को-फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा, लिथियम आयन बैटरी (lithium-ion batteries) वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर प्रयोग अभी चल ही रहे हैं. हमें रोजगार, प्रदूषण स्तर, आयात और आर्थिक वृद्धि पर इस प्रकार के वाहनों के दीर्घकालिक असर को समझना होगा.
प्रदूषण के मुद्दे पर यह स्पष्ट किया कि एक सामान्य 500 किलोग्राम लिथियम कार बैटरी में 12 किलोग्राम लिथियम, 15 किलोग्राम कोबाल्ट, 30 किलोग्राम निकल, 44 किलोग्राम तांबा और 50 किलोग्राम ग्रेफाइट का उपयोग होता है. इसमें करीब 200 किलो स्टील, एल्युमीनियम और प्लास्टिक का भी इस्तेमाल होता है. इन सामग्रियों के खनन निष्कर्षण, परिवहन और प्रसंस्करण से प्रदूषक और CO2 निकलते हैं, जिससे वायु और जल प्रदूषण होता है.
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