स्टील इंडस्ट्री को कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए सरकार कर रही मदद, ₹15000 करोड़ की योजना हो रही तैयार
Green Steel: सरकार स्टील उद्योग को कार्बन उत्सर्जन कम करने और नेट जीरो लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 'ग्रीन स्टील मिशन' (Green Steel Mission) तैयार कर रही है.
Green Steel: केंद्र सरकार स्टील उद्योग को कार्बन उत्सर्जन कम करने और नेट जीरो लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 'ग्रीन स्टील मिशन' (Green Steel Mission) तैयार कर रही है. यह जानकारी स्टील मंत्रालय द्वारा जारी वर्ष के अंत की समीक्षा में दी गई. इस मिशन में ग्रीन स्टील के लिए पीएलआई योजना (PLI Scheme), रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहन और उद्योग की पर्यावरण से जुड़ी सस्टेनेबिलिटी को बढ़ाने के लिए सरकारी एजेंसियों को ग्रीन स्टील खरीदने के लिए अनिवार्यताएं शामिल हैं.
ग्रीन स्टील को बढ़ावा
इस साल सितंबर में स्टील क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के विभिन्न प्रमुख लीवरों पर स्टील मंत्रालय द्वारा गठित 14 टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर 'भारत में स्टील क्षेत्र को हरित बनाना' विषय पर एक रिपोर्ट जारी की गई थी. इसके बाद इस महीने की शुरुआत में भारत के लिए ग्रीन स्टील की टैक्सोनॉमी जारी की गई, जिसमें ग्रीन स्टील के लिए स्टार रेटिंग को परिभाषित किया गया है.
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समीक्षा में कहा गया है कि स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति घरेलू स्तर पर उत्पादित स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाकर इन प्रयासों को और आगे बढ़ाती है. मंत्रालय ने 12 दिसंबर को ग्रीन स्टील के लिए टैक्सोनॉमी जारी की, ताकि कम उत्सर्जन वाले स्टील को परिभाषित करने और वर्गीकृत करने के लिए मानक प्रदान किए जा सकें. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है.
स्टील क्षेत्र भी मिशन में एक हितधारक है और इसे वित्त वर्ष 2029-30 तक मिशन के तहत लौह और इस्पात क्षेत्र में पायलट परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए 455 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन आवंटित किया गया.
ब्लास्ट फर्नेस में हाइड्रोजन के इस्तेमाल को मंजूरी
इस मिशन के तहत, इस्पात मंत्रालय ने इस साल सितंबर में वर्टिकल शाफ्ट में 100% हाइड्रोजन का उपयोग करके डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (DRI) का उत्पादन करने के लिए दो पायलट प्रोजेक्ट और कोयले/कोक की खपत को कम करने के लिए मौजूदा ब्लास्ट फर्नेस में हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है.
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सरकार ने 'स्पेशलिटी स्टील' के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात को कम करने के लिए अधिक निवेश आकर्षित करने की एक प्रमुख पहल के रूप में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI Scheme) योजना भी शुरू की है. भाग लेने वाली कंपनियों ने 27,106 करोड़ रुपये के निवेश, 14,760 के प्रत्यक्ष रोजगार और योजना में 7.90 मिलियन टन 'स्पेशलिटी स्टील' (Speciality Steel) के अनुमानित उत्पादन के लिए प्रतिबद्धता जताई है. अक्टूबर 2024 तक, कंपनियों ने पहले ही 17,581 करोड़ रुपये का निवेश किया है और 8,660 से अधिक रोजगार सृजित किए हैं.
समीक्षा में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि सरकार भारत को इस्पात उद्योग में अग्रणी बनाने के लिए एक व्यापक वैश्विक रणनीति तैयार कर रही है, जो घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण निर्यातक भी बन सके.
05:51 PM IST