Tomato Prices: टमाटर की कीमतों में आई नरमी, 22.4% तक गिरे दाम, जानें लेटेस्ट रेट
Tomato Prices: दिल्ली की आजादपुर मंडी में बढ़ती आवक के कारण मॉडल थोक मूल्य में लगभग 50% की तेज गिरावट देखी गई, जो 5,883 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2,969 रुपये प्रति क्विंटल हो गई.
Tomato Price Hike: महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी के लिए अच्छी खबर है. टमाटर की कीमतों में गिरावट आने लगी है. देश में आपूर्ति में सुधार से टमाटर की खुदरा कीमतों में लगभग एक चौथाई गिरावट आई है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि देशभर में आपूर्ति में सुधार के कारण टमाटर की खुदरा कीमतों में मासिक आधार पर 22.4% की गिरावट आई है.
थोक मूल्य में लगभग 50% की गिरावट
सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, 14 नवंबर को टमाटर का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 52.35 रुपये प्रति किलोग्राम रहा, जो 14 अक्टूबर को 67.50 रुपये प्रति किलोग्राम था. इसी अवधि के दौरान, दिल्ली की आजादपुर मंडी में बढ़ती आवक के कारण मॉडल थोक मूल्य में लगभग 50% की तेज गिरावट देखी गई, जो 5,883 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2,969 रुपये प्रति क्विंटल हो गई.
मंत्रालय ने कहा कि पिंपलगांव (महाराष्ट्र), मदनपल्ले (आंध्र प्रदेश) और कोलार (कर्नाटक) जैसे प्रमुख बाजारों से भी इसी तरह की कीमत में सुधार की सूचना मिली. मंत्रालय ने कहा, हालांकि मदनपल्ले और कोलार के प्रमुख टमाटर केंद्रों पर आवक कम हो गई है, लेकिन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात से मौसमी आपूर्ति के कारण कीमतों में कमी आई है, जिससे देश भर में आपूर्ति की कमी पूरी हो गई है.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
ये भी पढ़ें- किसानों के लिए खुला कमाई का रास्ता, अब बीज उत्पादन से बढ़ेगा मुनाफा, सरकार देगी सब्सिडी
टमाटर उत्पादन 4% बढ़ने का अनुमान
बयान में कहा गया है कि मौसम की अनुकूल स्थिति ने पैदावार और खेतों से उपभोक्ताओं तक सप्लाई चेन के सुचारू संचालन, दोनों को समर्थन दिया है. वित्त वर्ष 2023-24 में देश का टमाटर उत्पादन 4% बढ़कर 213.20 लाख टन होने का अनुमान है.
टमाटर की खेती (Tomato Farming) साल भर की जाती है, लेकिन उत्पादन अलग-अलग क्षेत्रों में मौसम के हिसाब से अलग-अलग होता है. मंत्रालय ने कहा कि फसल की उच्च संवेदनशीलता और जल्दी खराब होने वाली प्रकृति के कारण प्रतिकूल मौसम और रसद व्यवधान कीमतों पर काफी असर डालते हैं.
ये भी पढ़ें- केले की खेती किसानों को बनाएगी बनाएगी मालामाल, इन किस्मों की करें बुवाई
अक्टूबर 2024 के दौरान कीमतों में उछाल का कारण आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अत्यधिक और लंबे समय तक बारिश होना था. अक्टूबर और नवंबर प्रमुख उत्पादक राज्यों में बुवाई का मुख्य समय है. मंत्रालय ने कहा कि फसल की कम खेती अवधि और कई कटाई के कारण नियमित बाजार उपलब्धता बनी रहती है.
03:44 PM IST