2 महीने की ट्रेनिंग के बाद किसान बन गया लखपति, एक साल में कमा लिया 10 लाख रुपये, जानिए कैसे
Dairy Farming: महाराष्ट्र के बनगे गांव के प्रकाश सावंत एक छोटे और पारंपरिक डेयरी किसान हैं. उनके पास लगभग 2 एकड़ जमीन है जिसमें उनका घर और गौशाला शामिल है. इससे उनको कम मुनाफा हो रहा था और इनकम भी रेगुलर नहीं थी, क्योंकि गायें साल भर दूध नहीं देती थीं. लेकिन सरकारी संस्था से दो महीने की ट्रेनिंग लेने के बाद अब वो दूध बेचकर लाखों में कमाई कर रहे हैं.
2 महीने की ट्रेनिंग ने बदल दी जिंदगी. (File Photo)
2 महीने की ट्रेनिंग ने बदल दी जिंदगी. (File Photo)
Dairy Farming: लाइवस्टॉक (Livestock) ग्रामीण गरीबों की मूल्यवान संपत्ति हैं. यह प्रतिकूल समय में उनकी आजीविका को सपोर्ट करते हैं. महाराष्ट्र के बनगे गांव के प्रकाश सावंत 20 वर्षों से एक छोटे और पारंपरिक डेयरी किसान हैं. उनके पास लगभग 2 एकड़ जमीन है जिसमें उनका घर और गौशाला शामिल है. इससे उनके मुनाफा बहुत हो रहा था और इनकम भी रेगुलर नहीं थी, क्योंकि गायें साल भर दूध नहीं देती थीं. लेकिन सरकारी संस्था से दो महीने की ट्रेनिंग लेने के बाद अब वो दूध (Dairy Farming) बेचकर लाखों में कमाई कर रहे हैं.
2 महीने की ट्रेनिंग ने बदल दी जिंदगी
सावंत ने बताया कि एक दिन वह KVAAF, उत्तर के नोडल अधिकारी के संपर्क में आया और उसे कृषि-क्लीनिक और कृषि-बिजनेस सेंटर स्कीम के तहत एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने की सलाह दी गई. बाद में उन्होंने दो महीने की रेजिडेंशियल ट्रेनिंग में भाग लिया.
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लोन लेकर खरीदी 10 गायें
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ट्रेनिंग पूरी होने के बाद प्रकाश सावंत ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 20 लाख रुपये लोन के लिए अप्लाई किया. तीन महीने के अंदर उनका लोन मंजूर हो गया. उन्होंने 10 एचएफ गायें खरीदीं और प्रतिदिन 120-130 लीटर दूध देती थीं.
लाखों में होने लगी कमाई
गाय खरीदने के बाद उन्होंने गोकुल डेयरी (Gokul Dairy) के साथ करार किया और 27 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से दूध बेचना शुरू किया. आज उनके बिजनेस का सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपये है. 9 गावों के 100 से ज्यादा किसान उनके साथ जुड़े हैं.
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इसके अलावा, वो किसानों को स्वच्छ दूध देने, चारा और चारा प्रबंधन, मवेशियों को समय पर दवा देने और वर्मीकम्पोस्टिंग पर भी ट्रेनिंग दी. उनके काम देखकर नाबार्ड (NABARD) ने उन्हें 36% सब्सिडी देने की पेशकश की.
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05:46 PM IST