केमिकल फर्टिलाइज, पेस्टिसाइड के जहर से खेतों को बचाने के लिए अपनाएं ये तरीका, बचत के साथ बढ़ेगा मुनाफा
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक केमिकल फर्टिलाइजर के ज्यादा इस्तेमाल से कैंसर, पेट से संबंधित और कई तरह की अनुवांशिकी बीमारियां होने लगी हैं. इससे बचने के लिए जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ाना होगा.
खेतों को केमिकल के जहर से बचाएं. (Image- Freepik)
खेतों को केमिकल के जहर से बचाएं. (Image- Freepik)
केमिकल फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड से बंजर होते जमीन को बचाने के लिए किसानों ने तोड़ निकाल लिया है. किसान घर में मिलने वाले सामान से जीवामृत, बीजामृत, अमृत पानी और जैविक चटनी बनाने लगे हैं. बिहार के किसानों ने किसान रासायनिक खाद के इस्तेमाल से तौबा कर अपने खेतों को जहर से बचा रहे हैं. किसान जैविक खेती (Organic Farming) से उत्पादन सुधरने के साथ ही फसलों पर कीड़ों-मकोड़ों के प्रकोप से भी बचा रहे हैं.
बिहार सरकार कृषि विभाग के मुताबिक, कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि केमिकल फर्टिलाइजर के ज्यादा इस्तेमाल से कैंसर, पेट से संबंधित और कई तरह की अनुवांशिकी बीमारियां होने लगी हैं. इससे बचने के लिए जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ाना होगा. फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्राकृतिक रूप से उपलब्ध चीजें इस्तेमाल कर जीवामृत, बीजामृत और जैविक चटनी बनानी होगी.
ये भी पढ़ें- Business Idea: महज एग्री में इंटरमीडिएट के बाद सब्जी की नर्सरी से ₹15 लाख कमा रहे राशिद, जानिए कैसे
कैसे बनाएं बीजामृत, जीवामृत, अमृतपानी और जैविक चटनी?
TRENDING NOW
बाजार बंद होते ही Tata ग्रुप की इस कंपनी ने पेश किए दमदार नतीजे, 265% बढ़ा मुनाफा, कल शेयर में दिखेगा एक्शन
सोमवार को इस स्मॉलकैप स्टॉक पर रखें नजर, कंपनी ने की ₹700 करोड़ की डील, 10 महीने में 114% दिया रिटर्न
इस कंपनी को मिला 2 लाख टन आलू सप्लाई का ऑर्डर, स्टॉक में लगा अपर सर्किट, 1 साल में 4975% दिया रिटर्न
Retirement Planning: रट लीजिए ये जादुई फॉर्मूला, जवानी से भी मस्त कटेगा बुढ़ापा, हर महीने खाते में आएंगे ₹2.5 लाख
बीजामृत
गौमूत्र, गुड़, बेसन से बीजामृत बनाते हैं. खेत में बीज लगाने से पहले बीज उपचार के लिए बीजामृत का इस्तेमाल करते हैं.
जीवामृत
सड़ा हुआ केला, गौमूत्र, गुड़, गोबर, पुराने बरगन के पेड़ के नीचे की मिट्टी जीवामृत यानी खाद बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. इनके मिश्रण को दो दिनों तक छोड़ देते हैं. इसके बाद खेतों में छिड़काव कर देते हैं. इससे खेतों की उर्वरा शक्ति बनी रहती है. अधिक उत्पादन होता है और सबसे खास बात यह है कि महज 200 रुपये में एक एकड़ खेत के लिए खाद तैयार कर लेते हैं. यह खेतों में नाइट्रोजन, कार्बन और जिंक की मात्रा को बढ़ाता है.
ये भी पढ़ें- झोपड़ी में मशरूम उगाएं, लाखों कमाएं
अमृतपानी
यह जैविक कीटनाशक होता है. इसे बनाने के लिए 5 किलो नीम के पत्ते, 5 किलो गुड़, तीन लीटर गौमूत्र, 10 किलो मिर्च और 5 किलो धतूरा चाहिए. इसे एक साथ कूटकर एक बर्तन में डाल देंगे. उबालकर फिर बंद करके रख दें. अमृतपानी 40 दिन में तैयार होता है.
जैविक चटनी
8 लीटर गुनगुना में आधा किलो लहसून, आधा किलो प्याज, आधा किलो हरी मिर्च और आधा किलो अदरक को कूटकर में घोल देते हैं. इस्तेमाल कीड़े-मकौड़ों को मारने के लिए किया जाएगा. 400 ग्राम जैविक चटनी 15 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव किया जाता है. 24 घंटा में तैयार हो जाता है.
ये भी पढ़ें- KCC: गाय-भैंस पालने वालों को अब मिलेगा क्रेडिट कार्ड, जानिए अप्लाई करने का तरीका
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
08:10 PM IST