गर्मियों में दुधारू पशुओं के लिए फायदेमंद है ये चारा; ज्वारा, बाजार के साथ उगाने पर बढ़ जाती है गुणवत्ता, जानिए उन्नत किस्में
Lobia Cultivation: यह गर्मी और खरीफ मौसम की जल्द बढ़ने वाली फलीदार, पौष्टिक और स्वादिष्ट चारे वाली फसल है. गर्मियों में दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ाने के लिए लोबिया का चारा जरूर खिलाना चाहिए.
Lobia Cultivation: गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं के लिए लोबिया चारे की फसल फायदेमंद है. लोबिया की खेती प्राय: सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. यह गर्मी और खरीफ मौसम की जल्द बढ़ने वाली फलीदार, पौष्टिक और स्वादिष्ट चारे वाली फसल है. हरे चारे के अलावा दलहन, हरी फली (सब्जी) व हरी खाद के रूप में अकेले अथवा मिश्रित फसल के तौर पर भी लोबिया को उगाया जाता है.
हरे चारे की बढ़ेगी गुणवत्ता
हरे चारे की अधिक पैदावार के लिए इसे सिंचित इलाकों में मई में और बारिश पर निर्भर इलाकों में बरसात शुरू होते ही बीज देना चाहिए. उन्होंने बताया कि मई में बोई गई फससल से जुलाई में इसका हरा चारा चारे की कमी वाले समय में भी उपलब्ध हो जाता है. अगर किसान लोबिया को ज्वारा, बाजरा या मक्का के साथ 2:1 के अनुपात में लाइनों में उगाएं तो इन फसलों के साथ चारे की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है.
ये भी पढ़ें- Sarkari Yojana: यहां खेतों की तारबंदी के लिए सरकार दे रही ₹48 हजार, आवेदन करने का ये है तरीका
दुधारू पशुओं को खिलाएं
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
Adani Group की रेटिंग पर Moody's का बड़ा बयान; US कोर्ट के फैसले के बाद पड़ेगा निगेटिव असर, क्या करें निवेशक?
टूटते बाजार में Navratna PSU के लिए आई गुड न्यूज, ₹202 करोड़ का मिला ऑर्डर, सालभर में दिया 96% रिटर्न
गर्मियों में दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ाने के लिए लोबिया का चारा जरूर खिलाना चाहिए. इसके चारे में औसतम 15-20 फीसदी प्रोटीन और सूखे दानों में लगभग 20-25 फीसदी प्रोटीन होती है.
उन्नत किस्मों का चयन
हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसार किसान लोबिया की उन्नत किस्में लगाकर चारा उत्पादन बढ़ा सकते हैं. लोबिया की सी.एस. 88, एक उत्कृष्ट किस्म है जो चारे की खेती के सर्वोतम है. यह सीधी बढ़ने वाली किस्म है जिसके पत्त गरहे हरे रंग के और चौड़े होते हैं. यह किस्म अलग-अलग रंगों विशेषकर पीले मौजेक विषाणु रोग के लिए प्रतिरोधी व कीटों से मुक्त है.
इस किस्म की बिजाई सिंचित और कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में गर्मी और खरीफ के मौसम में की जा सकती है. इसका हरा चारा लगभग 55-60 दिनों में कटाई लायक हो जाता है. इसके हरे चारे की पैदावार लगभग 140-150 क्विंटल प्रति एकड़ है.
ये भी पढ़ें- सेब की इस किस्म ने किसानों की बदली किस्मत, 5 हजार की लागत से होगी ₹75 हजार की कमाई
मिट्टी और खेती का तरीका
लोबिया की काश्त के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे बेहतर होती है, लेकिन रेतीली मिट्टी में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है. लोबिया की अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को खेत की बढ़िया तैयारी करनी चाहिए. इसके लिए 2-3 जुताई काफी हैं. पौधों की उचित संख्या व बढ़ावार के लिए 16-20 किग्रा बीज प्रति एक एकड़ उचित रहता है. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी रखकर पोरे और ड्रिल द्वारा बिजाई करें. लेकिन जब मिश्रित फसल बोई जाए तो लोबिया के बीच की एक तिहाई मात्रा ही इस्तेमाल करें. बिजाई के समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए.
बीजोपचार जरूर करें
लोबिया को राइजोबियम कल्चर से बीज का उपाचर करके बिजाई करें. फसल की अच्छी बढ़वार के लिए 10 किग्रा नाइट्रोजन व 25 किग्रा फॉस्फोरस प्रति एकड़ बिजाई के पहले कतारों में ड्रिल करनी चाहिए. दलहनी फसल होने के कारण इसे नाइट्रोजन उर्वरक की अधिक जरूरत नहीं होती है. मई में बोई गई फसल को हर 15 दिन बाद सिंचाई की जरूरत पड़ती है.
04:13 PM IST