एथेनॉल बनाने में बढ़ेगी मक्का की भूमिका, IIMR के प्रोजेक्ट ने बदली तस्वीर
Ethanol Production: एथेनॉल के लिए मक्का उत्पादन बढ़ाने की मुहिम में एफपीओ (FPO), किसान, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर काम किया जा रहा है.
Ethanol Production: केंद्र सरकार पेट्रोलियम आयात कम करके उस पैसे को किसानों तक पहुंचाने की मुहिम में जुट गई है. इसके लिए सरकार एथेनॉल ब्लेंडिंग पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम चला रही है. एथेनॉल (Ethanol) की वजह से ही अब किसानों को अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी कहा जा रहा है. अब तक पेट्रोल में 12% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य पूरा हो गया है. जबकि 2025 तक इसे 20% तक ले जाना है. इसलिए सरकार न सिर्फ गन्ने बल्कि चावल और मक्का से भी एथेनॉल बनाने पर जोर दे रही है.
गन्ना और चावल की खेती में अधिक पानी खर्च होता है जबकि मक्के की खेती (Maize Cultivation) में कम पानी खर्च होता है. इसलिए सरकार मक्के से एथेनॉल बनाने पर जोर दे रही है. इसीलिए 'एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि' नाम से प्रोजेक्ट शुरू किया है. जिसकी जिम्मेदारी आईसीएआर के अधीन आने वाले भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) को दी गई है. इसके तहत मक्का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है.
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इस प्रोजेक्ट को देख रहे आईआईएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसएल जाट का कहना है कि एथेनॉल के लिए मक्का उत्पादन बढ़ाने की इस मुहिम में एफपीओ (FPO), किसान, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर काम किया जा रहा है. इसके तहत किसानों को ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों के बीजों का वितरण किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत खरीफ और रबी सीजन में मिलाकर 1508 एकड़ में मक्का की बुवाई करके किसानों को इसकी खेती बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया है, हालांकि वर्षवार लक्ष्य 1500 एकड़ का ही था.
प्रोजेक्ट में कितना काम हुआ
जाट ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का मकसद वर्तमान दौर में किसानों को मक्के की खेती के फायदे को बताना और इथेनॉल के लिए उत्पादन बढ़ाना है. अभी जो हालात बन रहे हैं इसमें यकीनन मक्का की खेती किसानों को अच्छा प्रॉफिट देगी. इस प्रोजेक्ट के तहत खरीफ सीजन में 788 एकड़ में मक्का की खेती की गई थी. जिसमें डेमो की संख्या 808 थी. इसके तहत 20 ट्रेनिंग की गई, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों के 425 किसानों ने शिरकत की. इसके तहत 67 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 1508 किसानों ने शिरकत की.
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रबी सीजन में इस प्रोजेक्ट के तहत 720 एकड़ में मक्का की बुवाई का लक्ष्य था, जबकि 672 में बुवाई की गई. इसके तहत 35 ट्रेनिंग कार्यक्रम किए गए, जिनमें 897 किसानों ने शिरकत की. इसी के तहत 43 जागरूकता कार्यक्रम हुए, जिसके तहत 1500 से अधिक किसानों ने शिरकत की. कुल मिलाकर खरीफ और रबी सीजन मिलाकर इस प्रोजेक्ट के तहत 1508 एकड़ में मक्का की बुचाई हुई. जाट ने बताया कि एथेनॉल बनाने में मक्का का योगदान बढ़ रहा है. इसकी खेती प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाती है, इसलिए सरकार इसके उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है.
एथेनॉल में मक्के का योगदान
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष इथेनॉल बनाने के लिए लगभग 60 लाख टन मक्का का उपयोग किया गया है. तेल मार्केटिंग कंपनियों ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2024-25 के लिए लगभग 837 करोड़ लीटर एथेनॉल आवंटित किया है. जिसमें मक्का की हिस्सेदारी सबसे अधिक 51.52% (लगभग 431.1 करोड़ लीटर) की है. मक्के से एथेनाल बनाने को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कोशिश कर रही है. इसके तहत ऐसे क्षेत्रों में मक्का की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है जहां इसके लिए अच्छी परिस्थितियां मौजूद हैं फिर भी किसान इसकी खेती नहीं करते थे.
01:35 PM IST