इस फूल की खेती कराएगी तगड़ी कमाई, जानिए उन्नत किस्में और खेती का तरीका
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Thu, Jan 09, 2025 04:58 PM IST
Agri Business Idea: सर्दियों के मौसम में रंग-बिरंगे फूलों की खेती कमाई का बेहतर आइडिया साबित हो सकता है. गुलदाउदी (Chrysanthemums), दुनिया में व्यावसायिक रूप से उगाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण फूलों की फसलों में से एक है. इसके फूल का इस्तेमाल मुख्य रूप से पूजा-पाठ, माला, गजरा और अन्य सजावटी काम में किया जाता है. इस फूल की बढ़ती मांग के कारण इसकी व्यावसायिक खेती तगड़ी कमाई करा सकती है.
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कैसे होनी चाहिए मिट्टी?
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गुलदाउदी की उन्नत किस्में
गुलदाउदी में एकवर्षीय और बहुवर्षीय दोनों प्रकार की किस्में पायी जाती है. एकवर्षीय स्थायी किस्में- सफेद, पीली और बहुरंगी किस्म है. एकवर्षीय गुलदाउदी बीजों द्वारा उगाई जाती है. वहीं, बहुवर्षीय किस्मों में- वसंतिका, मीरा, शारदा, कुंदन, बीरबल साहनी, नानाको, बागी, सलेक्शन 5, सलेक्शन 4, रेडगोल्ड, फ्लिर्ट, श्यामल, मेधामी और गुल शाहिर हैं. बहुवर्षीय किस्म को कलम और अंत:भूस्तरियों द्वारा लगाया जाता है.
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रोपाई व निराई-गुड़ाई
खेत में पौधों की रोपाई करते समय पौधे से पौधे और कतार से कतार की दूरी छोटे फूलों वाली किस्मों में 25 से 30 सेमी और बड़े फूलों वाली किस्मों में 50 सेमी रखना चाहिए. खेत में खरपतवार नहीं पनपे इसके लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए. पहली निराई रोपाई के एक महीने बाद करनी चाहिए. खेत से खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए शाकनाशी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
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रोग-कीट प्रबंधन
गुलदाउदी फूल के अच्छे उत्पादन के जरूरी है कि इसके रोग और कीटों से बचाएं. गुलदाउदी में जड़ सड़न, लीफ स्पॉट और विल्ट रोग लगते हैं. इसको नियंत्रण करना जरूरी है. जड़ सड़न रोग की रोकथाम के लिए 2.5 ग्राम प्रति लीटर की दर से थीरम या कैप्टॉन या दोनों के मिश्रण से मिट्टी को भिगोएं. लीफ स्पॉट के मामले में संक्रमित पत्तियों को जलाकर नष्ट कर दें. कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 0.2% का छिड़काव करें. वहीं, विल्ट को नियंत्रित करने के लिए डायथेन एम-45 0.2% के साथ मिट्टी का उपचार करें. रोपण से पहले जड़ वाली कटिंग को बेनोमाइल सस्पेंशन में डुबोएं. प्रतिरोधी किस्मों का इस्तेमाल करें.
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कीटों की रोकथाम कैसे करें?
गुलदाउदी में सनफ्लावर लेस विंग बग कीट प्रबंधन के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 एस.एल 1.5 मिली या मिथाइल डिमेटान 25 ई.सी 1 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. मूलग्रंथि सूत्रकृमि रोग की रोकथाम के लिए पौधा तैयार करते समय कार्बोफ्यूरॉन 3 जी 6 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से डालें. एफिड्स- इसके नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 एस.एल 1.5 मिली या मिथाइल डिमेटान 25 ई.सी 1 मिली प्रति लीटर पानी के साथ पखवाड़े के अंतराल पर छिड़काव करें.
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