Success Story: सिर्फ ₹10 हजार में 2 दोस्तों ने खड़ा किया ई-कॉमर्स बिजनेस, आज 1 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर
Small Business: आज हम आपको 2 ऐसे दोस्तों की सक्सेस स्टोरी (Success Story) बता रहे हैं, जिन्होंने पढ़ाई साथ की और साथ बिजनेस भी किया. आज ये दोनों दोस्त लाखों में कमाई कर रहे हैं.
नौकरी करते-करते कई बार आपके मन में भी अपना बिजनेस करने का ख्याल आता होगा. यकीन मानिए इस ख्याल से ख्याली पुलाव बनाने से कोई फायदा नहीं होगा. क्योंकि आज हम आपको 2 ऐसे दोस्तों की सक्सेस स्टोरी (Success Story) बता रहे हैं, जिन्होंने पढ़ाई साथ की, 1 साल तक नौकरी की और उसके बाद अपना बिजनेस शुरू कर लिया. इन दोनों दोस्त का नाम है दया आर्या और उपेंद्र यादव और दोनों ने MBA पढ़ा है.
बहुत छोटी रकम से शुरू किया बिजनेस
दया और उपेंद्र ने युवाओं की पसंद को फॉलो किया और वही अपना काम किया, जहां स्कोप बहुत था. जी हां, दया और उपेंद्र ने डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में काम किया और ऑनलाइन टी-शर्ट बेचने लगे. उनके बिजनेस की खास बात यह थी कि वो लोगों की डिमांड पर टी-शर्ट प्रिंट करवाते थे और उन्हें बेचते थे. दया आर्या ने बताया कि उन्होंने मात्र 10-12 हजार रुपए में ही ये बिजनेस शुरू कर लिया था और इस बिजनेस का नाम रखा Trim Trim Store.
क्या है प्रिंट ऑन डिमांड बिजनेस मॉडल?
बिजनेस मॉडल के बारे में बताते हुए कंपनी के को-फाउंडर दया आर्या का कहना है कि प्रिंट ऑन डिमांड थोड़ा खास मॉडल है, जो किसी भी युवा को खुद का बिजनेस करने का मौका देता है. हम अपने बिजनेस के साथ-साथ उन सभी नए लोगों की मदद करते हैं, जो ऑनलाइन टीशर्ट सेलिंग का बिजनेस करना चाहते हैं और पैसे की कमी के चलते काम को बढ़ा नहीं पाते. दरअसल, हमारा काम है टीशर्ट के मॉकअप तैयार करना और उनकी प्रिंटिंग करना. टीशर्ट भी तभी तैयार होती है, जब उसकी डिमांड आती है. इस मॉडल में पहले से कुछ भी तैयार रखने की जरूरत नहीं होती, बल्कि कस्टमर की डिमांड पर एक ऑर्डर की भी सप्लाई सुनिश्चित की जाती है. दया ने बताया कि उनकी कंपनी trimtrim.in के नाम से होलसेल का कारोबार करती है और उनके प्रोडक्ट कई प्लेटफॉर्म्स पर लिस्टेड हैं. ऐसे में युवाओं को हम प्रिंट ऑन डिमांड के जरिए मनचाही डिजाइन की टीशर्ट सप्लाई करने का मौका देते हैं.
कमाई बढ़ी तो खुद का लगवा लिया प्रिंटिंग यूनिट
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दया ने बताया कि पहले तो वो खुद की वेबसाइट से ही कपड़े बेचते थे लेकिन बाद में दूसरे शॉपिंग प्लेटफॉर्म के साथ भी जुड़ गए. उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे उनके पास बड़े ऑर्डर आने लगे और फिर कमाई धीरे-धीरे बढ़ने लगी. कमाई में इजाफा हुआ तो दया और उपेंद्र ने प्रिंटिंग यूनिट लगवा ली. इससे कमाई पर सीधा असर पड़ा और प्रिटिंग यूनिट को जाने वाली लागत बचने लगी.
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युवाओं की कैसे होती है मदद
मान लीजिए कोई युवा फ्लिपकार्ट, अमेज़ॉन, मिंत्रा या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर टीशर्ट सेल करना चाहता है और अगर उसने अपने 1000 प्रोडक्ट लिस्ट कराए हैं, तो कम से कम उसे 1000 टीशर्ट का बैकअप लेकर चलना होगा. क्योंकि उसे नहीं पता कि कब किस दिन, किस टीशर्ट का ऑर्डर उसके पास आएगा. वहीं. इसकी जगह हमारी सर्विस उन्हें ये ऑफर देती है कि उन्हें अपना खुद का स्टॉक रखने की कोई जरूरत नहीं. हम उन्हें हजारों तरह के मॉकअप (प्रतीकात्मक इमेज जो आप ऑनलाइन किसी प्रोडक्ट की देखते हैं) देते हैं. अब अगर वो कोई ऑर्डर लेकर आते हैं तो वो सिर्फ हमें बताएं हम उनकी बताई हुई जगह पर वही प्रोडक्ट डिलिवर कर देंगे.
कब शुरू हुई कंपनी?
कंपनी की शुरुआत मार्च 2019 में हुई थी. तब से अब तक कंपनी को मोदी सरकार की स्टार्टअप योजना के तहत दो बैंकों से फंडिंग मिल चुकी है. कंपनी के अन्य को-फाउंडर उपेन्द्र यादव ने कहा कि हमारा सालाना टर्नओवर एक करोड़ से अधिक है. हम धीरे-धीरे अन्य युवाओं को भी इसी सिस्टम से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उन्हें हमारी तरह शुरुआत में फंडिंग की परेशानियों से न जूझना पड़े.
04:11 PM IST