चेक बाउंस के नियमों में बदलाव की पड़ताल! आखिर क्यों हैं व्यापारी नाराज
कारोबारियों का एक बड़े वर्ग का मानना है कि चेक बाउंस के नियमों में ढील देने से कारोबार में पेमेंट सिस्टम बिगड़ सकता है.
व्यापारी वर्ग तो चेक बाउंस के नियमों को और सख्त करने की मांग कर रहा है.
व्यापारी वर्ग तो चेक बाउंस के नियमों को और सख्त करने की मांग कर रहा है.
केंद्र सरकार चेक बाउंस स्कीम में बड़ा बदलाव लाने जा रही है. चेक बाउंस होने की स्थिति में सरकार आपराधिक केस को खत्म करके इसे सिविल करने की योजना बना रही है. लेकिन व्यापारी वर्ग इस बदलाव का विरोध कर रहे हैं.
ज़ी बिजनेस ने कारोबारियों की मांग पर सरकार की इस योजना के खिलाफ एक मुहीम 'चेक बाउंस का चक्कर' (Cheque Bounce ka Chakkar) चलाई है. इस मुहीम को लोगों का खूब समर्थन मिल रहा है.
बता दें कि वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने कई कानूनों में छोटी गलतियां होने पर आपराधिक केस चलाने का प्रावधान खत्म करने की पेशकश की है. इसमें यह भी है कि अगर चेक बाउंस होता है तो किसी को जेल न भेजा जाए. सिर्फ सामान्य सिविल केस के तौर पर ही इसे देखा जाए.
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चेक बाउंस के नियमों में बदलाव की पड़ताल! क्यों हैं व्यापारी नाराज?देखिए चेक बाउंस पर ज़ी बिज़नेस की खास मुहिम...#ChequeBounceKaChakkar@AnilSinghvi_ @PMOIndia @FinMinIndia @nsitharaman @Anurag_Office @SwatiKJain @BrajeshKMZee @monikareporter pic.twitter.com/mEqKUwtvBm
— Zee Business (@ZeeBusiness) July 14, 2020
सरकार ने इस पर 23 जून तक लोगों से सुझाव मांगे थे. अभी तक छोटी-छोटी रकम के चेक बाउंस होने पर भी जेल की सजा का प्रावधान है.
नियमों में ढील के पीछे सरकार का तर्क है कि कई बार अनजाने में भी चेक बाउंस हो जाता है, जिसमें चेक जारी करने वाले की कोई गलत मंशा या गलती नहीं होती है. कई बार बहुत छोटी रकम के लिए भी लोगों को जेल की हवा खानी पड़ती है, जोकि तर्क संगत नहीं है.
कारोबारियों का एक बड़े वर्ग का मानना है कि चेक बाउंस के नियमों में ढील देने से कारोबार में पेमेंट सिस्टम बिगड़ सकता है. कारोबारियों का कहना है कि जेल जाने के डर से ही लोग चेक के भुगतान में कोताही नहीं करते हैं.
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कारोबारियों का कहना है कि नियमों में ढील से भुगतान को लेकर एक विश्वास बना हुआ है, वह खत्म हो जाएगा और चेक बाउंस होने के मामलों में इजाफा होगा. इसका सीधा असर व्यापार पर पड़ेगा.
कारोबारियों का तो यहां तक तर्क है कि कोरोना महामारी के चलते काम-धंधे ठप पड़े हैं, ऐसे में जो काम चल भी रहे हैं तो उसमें लोग पेमेंट करने से कतरा रहे हैं. अगर चेक के नियमों में ढील दी गई तो पेमेंट के मामले और ज्यादा लटक जाएंगे. क्योंकि चेक जारी करने वाले को यह पता होगा कि चेक बाउंस होने पर सिविल मामला चलेगा और ये मामले कई-कई सालों तक चलते रहते हैं.
10:01 PM IST