क्या है दिल्ली एयरपोर्ट पर इस्तेमाल होने वाला 'टैक्सीवे', हर साल बचेंगे 180 करोड़ रुपये, पर्यावरण को भी होगा फायदा
Delhi Airport पर बने ईस्टर्न क्रॉस टैक्सीवे हर साल एयरलाइंस के लिए 180 करोड़ रुपये की बचत कर सकता है. आइए जानते हैं आखिर ये क्या है और कैसे ये कॉर्बन उत्सर्जन में मदद करता है.
(Source: Reuters)
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Delhi Airport पर बने ईस्टर्न क्रॉस टैक्सीवे (Eastern Cross Taxiways) का इस्तेमाल करने से एयरलाइंस को सालाना लगभग 150-180 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है. एयरपोर्ट के एक शीर्ष अधिकारी ने यह अनुमान जताया है. एयरपोर्ट का परिचालन करने वाली कंपनी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) के CEO विदेह कुमार जयपुरियार ने कहा कि अगर 10-15 प्रतिशत विमान भी इस टैक्सी का इस्तेमाल करते हैं तो करीब 55,000 टन कार्बन-डाई ऑक्साइड की बचत हो सकती है. हवाईपट्टी पर जाने में लगने वाले समय और ईंधन खपत में कमी आने से एयरलाइंस 150 करोड़ रुपये से लेकर 180 करोड़ रुपये तक की बचत कर सकती हैं.
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGIA) पर प्रतिदिन 1,500 विमानों की आवाजाही होती है. इस एयरपोर्ट पर कुछ महीने पहले ही 2.1 किलोमीटर लंबा ईस्टर्न क्रॉस टैक्सीवे (ECT) बना है जो चौड़े आकार वाले विमानों को भी संभाल सकता है. जयपुरियार ने कहा कि ECT के माध्यम से उत्तर में उतरने और दक्षिण में आने वाले विमान के लिए औसतन सात-आठ मिनट का समय बचता है. ECT एयपोर्ट के पूर्वी हिस्से में उत्तरी और दक्षिणी हवाई क्षेत्रों को जोड़ता है.
बचेंगे 180 करोड़ रुपये
जयपुरियार ने कहा, "प्रत्येक लीटर एटीएफ 2.5-3 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करता है. अगर हम 55,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड बचाने की बात कर रहे हैं, तो आप इसे 3 से विभाजित करते हैं और मूल रूप से इसका मतलब लगभग 18,000 टन एटीएफ है. प्रत्येक टन एटीएफ की लागत 1 लाख रुपये है और यह 100 रुपये प्रति लीटर है... कम टैक्सिंग समय के कारण एयरलाइंस के लिए लगभग 150-180 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है."
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जयपुरियार ने कहा कि ईसीटी के माध्यम से उत्तर में उतरने और दक्षिण में आने वाले विमान के लिए औसतन 7-8 मिनट का टैक्सिंग समय बचता है. DIAL के अनुसार, जब भी कोई विमान RW 29R से टर्मिनल 1 तक रनवे से गुजरता है और इसके विपरीत, ECT से लगभग 350 किलोग्राम ईंधन की बचत होने का अनुमान है.
55000 टन कार्बन उत्सर्जन होगा कम
उन्होंने इस साल जुलाई में कहा था कि इससे इस मार्ग पर उड़ान भरने वाले प्रत्येक विमान के लिए लगभग 1,114 किलोग्राम CO2 उत्सर्जन में कमी आएगी। वार्षिक आधार पर, ECT से विमान से लगभग 55,000 टन CO2 उत्सर्जन कम होने का अनुमान है. इस साल जुलाई में कहा गया था.
DIAL ने यह भी कहा था कि 55,000 टन CO2 उत्सर्जन लगभग 15 लाख पेड़ लगाने के बराबर है. ईसीटी हवाई अड्डे के पूर्वी हिस्से में उत्तरी और दक्षिणी हवाई क्षेत्रों को जोड़ता है और एक विमान के लिए टैक्सिंग दूरी को 7 किलोमीटर कम कर देगा. तीसरे रनवे पर उतरने और टर्मिनल 1 (T1) तक जाने के बाद एक विमान को जो दूरी तय करनी होती है, वह अब 9 किलोमीटर से घटकर 2 किलोमीटर हो जाएगी.
डुअल-लेन ईसीटी A380 और B777 और B747 सहित चौड़े शरीर वाले विमानों को संभाल सकता है. प्रत्येक लेन 44 मीटर चौड़ी है और दो विमानों के एक साथ गुजरने की अनुमति देने के लिए उनके बीच 47 मीटर का अंतर है.
02:45 PM IST